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ऑस्ट्रेलिया में चमका पलामू का सितारा : डॉ. संजय कुमार शुक्ला ने रचा इतिहास

#पलामू #वैश्विकसम्मान | झारखंड के लाल ने इंजीनियरिंग की दुनिया में बनाया बड़ा मुकाम

  • पलामू जिले के चौरा गांव में जन्मे डॉ. संजय कुमार शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बनाई पहचान
  • जियोसिंथेटिक्स और भू-तकनीकी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 25 से अधिक किताबें लिखी
  • ऑस्ट्रेलिया के एडिथ कोवान विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में दे रहे सेवाएं
  • ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही हैं उनकी पुस्तकें
  • दुनिया के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में शामिल होने का गौरव प्राप्त
  • जापान, चीन, मिस्र समेत कई देशों में दे चुके हैं व्याख्यान

बचपन के संघर्ष से विश्वस्तरीय सफलता तक

झारखंड के पलामू जिले के लेस्लीगंज प्रखंड स्थित चौरा गांव में जन्मे डॉ. संजय कुमार शुक्ला ने अपनी मेहनत और समर्पण से दुनिया में एक अनूठा स्थान बनाया है। प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हासिल करने के बाद, तमाम कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी।

“संघर्ष ही सफलता की असली पाठशाला है।” – डॉ. संजय कुमार शुक्ला

जियोसिंथेटिक्स इंजीनियरिंग में नवाचार के अग्रदूत

डॉ. शुक्ला आज जियोसिंथेटिक्स और भू-तकनीकी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अग्रणी विशेषज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में अब तक 25 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनका उपयोग ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज और अन्य विश्वप्रसिद्ध संस्थानों में तकनीकी शिक्षा हेतु किया जा रहा है।

उनकी चर्चित पुस्तकों में “एन इंट्रोडक्शन टू ज्योसिंथेटिक इंजीनियरिंग”, “कोर प्रिंसिपल ऑफ सॉल मैकेनिक्स” और “फंडामेंटल्स ऑफ फाइबर-रीइंफोर्स्ड सॉल इंजीनियरिंग” प्रमुख हैं। ये किताबें छात्रों और शोधकर्ताओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं।

वैश्विक मंचों पर भारत और झारखंड का परचम

डॉ. संजय कुमार शुक्ला ने अपने अनुसंधान और नवाचार से ऑस्ट्रेलिया के एडिथ कोवान विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। वे जिओ टेक्निकल एंड जियो एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च ग्रुप के भी संस्थापक प्रमुख हैं।

इसके अलावा, वे भारत के आईआईटी मद्रास, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय, और बीआईटी सिंदरी से भी जुड़े रहे हैं। उनकी अगुवाई में प्रकाशित “इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ज्योसिंथेटिक एंड ग्राउंड इंजीनियरिंग” आज वैश्विक स्तर पर पढ़ा जाता है।

शोध कार्य और अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान

डॉ. शुक्ला को उनके शोध कार्य के लिए कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं। वे दुनिया के टॉप 2% वैज्ञानिकों में भी शामिल हैं। जापान, चीन, मिस्र, फिनलैंड, फिजी और अफ्रीकी देशों में उन्होंने महत्वपूर्ण व्याख्यान दिए हैं, जिससे भारत और खासकर झारखंड की प्रतिष्ठा बढ़ी है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि से मिली प्रेरणा

डॉ. शुक्ला के पिताजी स्व. युगल किशोर शुक्ला एक प्राचार्य थे और माताजी स्व. नागवंशी देवी ने भी शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया। उनके बड़े भाई स्व. मदन कुमार शुक्ला को राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ था। उनके अन्य भाई शंकर दयाल ज्ञान निकेतन स्कूल के निदेशक हैं। साथ ही, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ला और झामुमो नेता सन्नी शुक्ला भी उनके परिवार से हैं।

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