
#गढ़वा #108_एम्बुलेंस_विवाद : मानदेय कटौती, भ्रष्टाचार और मरम्मत उपेक्षा को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश — डीपीएम शमशाद आलम पर लगे गंभीर आरोप
- फरवरी से अप्रैल तक की मानदेय राशि में कटौती का आरोप
- काम न करने वालों को भी वेतन भुगतान की शिकायत
- जिला में कई 108 एम्बुलेंस खराब, मरम्मत नहीं कर रहा प्रबंधन
- डीपीएम पर धमकी और मानसिक उत्पीड़न का भी आरोप
- उपायुक्त को सौंपा गया आवेदन, कार्रवाई की मांग
पूरे महीने काम फिर भी मानदेय में हज़ारी कटौती
गढ़वा जिले में 108 एम्बुलेंस सेवा से जुड़े कर्मचारियों ने जिला प्रबंधक शमशाद आलम पर गंभीर आरोप लगाते हुए उपायुक्त के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने फरवरी, मार्च और अप्रैल महीनों में लगातार सेवा दी, फिर भी मानदेय में मनमाने तरीके से हजारी कटौती की गई।
कर्मियों का आरोप है कि जिन लोगों ने सेवा नहीं दी, उन्हें भी डीपीएम की मिलीभगत से वेतन भुगतान किया गया।
वहीं, ड्यूटी पर तैनात कर्मियों को अनुशासन के नाम पर मानसिक उत्पीड़न और हटाने की धमकी दी जा रही है।
108 एम्बुलेंस की हालत दयनीय, मरम्मत नहीं कर रहा प्रबंधन
कर्मचारियों ने यह भी बताया कि जिले भर में कई 108 एम्बुलेंस खराब पड़ी हैं, जो लंबे समय से मरम्मत की राह देख रही हैं।
हालांकि चालक लगातार उच्चाधिकारियों से इसे ठीक कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन जिला प्रबंधन की ओर से कोई सुनवाई नहीं हो रही।
इससे आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
रितेश रंजन, 108 एम्बुलेंस कर्मचारी ने कहा:
“हम लोग जनता की सेवा के लिए हर परिस्थिति में कार्य करते हैं, लेकिन जिला प्रबंधक हमसे गलत व्यवहार कर रहे हैं। हमें धमकाया जा रहा है और वेतन भी मनमर्जी से काटा जा रहा है।“
डीसी से कार्रवाई और मरम्मत की मांग
कर्मचारियों ने डीसी से मांग की है कि जिला प्रबंधक शमशाद आलम को हटाया जाए और खराब एम्बुलेंसों की मरम्मत कर तत्काल सेवा में लगाया जाए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन के रास्ते पर जाने को बाध्य होंगे।
शिकायत करने पहुंचे प्रमुख कर्मचारी:
रितेश रंजन, शिव वचन सिंह, राजू कुमार, वकील ठाकुर, मुनेश कुमार राम सहित कई अन्य 108 एम्बुलेंस चालक व स्टाफ उपस्थित थे।
न्यूज़ देखो: ज़िम्मेदार स्वास्थ्य व्यवस्था की मांग जायज़ है
न्यूज़ देखो मानता है कि 108 एम्बुलेंस जैसे आपातकालीन सेवा से जुड़े कर्मचारियों की शिकायतों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए।
अगर मानदेय में हजारी कटौती और मरम्मत की उपेक्षा जैसे गंभीर आरोप सही हैं, तो यह न केवल कर्मचारियों के साथ अन्याय है बल्कि जनता की स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।
जिला प्रशासन को इस मुद्दे पर तत्काल जांच और सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आपकी चुप्पी व्यवस्था को और बिगाड़ती है
यदि आप भी किसी प्रशासनिक लापरवाही या भ्रष्टाचार से प्रभावित हैं, तो आवाज उठाएं।
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आपकी प्रतिक्रिया व्यवस्था को बदलने में मददगार हो सकती है।