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108 एम्बुलेंस कर्मियों का गिरिडीह में अनिश्चितकालीन धरना, वेतन और नियुक्ति को लेकर फूटा आक्रोश

#गिरिडीह #108एम्बुलेंस_हड़ताल : सरकार और कंपनी के आश्वासन के बावजूद नहीं मिला वेतन और नियुक्ति पत्र

गिरिडीह में फिर उबला 108 कर्मियों का गुस्सा

गिरिडीह जिले के 108 एम्बुलेंस कर्मियों ने एक बार फिर सरकारी वादाखिलाफी और वेतन समस्याओं को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल का रास्ता चुना है। गिरिडीह स्टेडियम के समक्ष कर्मियों ने धरना प्रदर्शन शुरू किया, जिसमें वेतन, नियुक्ति पत्र और अन्य मूलभूत अधिकारों की मांग को लेकर स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ नारेबाजी भी की गई।

सम्मान फाउंडेशन पर लगाए गंभीर आरोप

108 एम्बुलेंस संघ के सचिव मनोज कुमार वर्मा ने बताया कि फरवरी में सम्मान फाउंडेशन नामक आउटसोर्सिंग कंपनी ने सेवा का संचालन संभाला था। लेकिन अब तक:

मनोज कुमार वर्मा (सचिव, 108 एम्बुलेंस संघ): “हमारा घर चलाना मुश्किल हो गया है। गाड़ी की किस्त, बच्चों की पढ़ाई और परिवार की जरूरतें तक पूरी नहीं हो रही हैं।”

वेतन और पीएफ को लेकर कंपनी का पक्ष

सम्मान फाउंडेशन के एसईओ धीरज कुमार कुशवाहा ने बताया कि पीएफ और ईएसआई जैसी सुविधाओं को लेकर कंपनी के वरीय अधिकारियों के साथ वार्ता चल रही है। उन्होंने जल्द समाधान होने की उम्मीद जताई।

जिला प्रशासन ने दी वैकल्पिक व्यवस्था

धरने की स्थिति को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ. एसपी मिश्रा ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा सभी 15 प्रखंडों में वैकल्पिक रूप से 1-1 एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराई गई है ताकि आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं बाधित न हों।

कर्मियों की मांगें बनीं आंदोलन की वजह

108 एम्बुलेंस कर्मियों की प्रमुख मांगें:

धरने पर बैठे कर्मियों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी सभी मांगों पर लिखित कार्रवाई नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

न्यूज़ देखो: जनसेवा की रीढ़ बने कर्मियों को चाहिए सम्मान

108 एम्बुलेंस सेवाएं आम लोगों की आपात जरूरतों की पूर्ति करती हैं। ऐसे सेवा भावी कर्मियों की उपेक्षा और असमान वेतन व्यवस्था प्रशासन की गंभीर विफलता को उजागर करती है।
न्यूज़ देखो इस आंदोलन की हर परत को सामने लाने और जवाबदेही तय कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकार और कंपनियों को चाहिए कि इन कर्मियों को न सिर्फ समय पर भुगतान दें, बल्कि मानवीय गरिमा और श्रमिक अधिकारों का भी सम्मान करें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जनसेवा में लगे कर्मियों को न हो उपेक्षा का सामना

108 एम्बुलेंस कर्मचारी दिन-रात आम लोगों की जिंदगी बचाने के लिए तत्पर रहते हैं। ऐसे कर्मियों की समस्याएं केवल वेतन तक सीमित नहीं, यह मानवाधिकार और सम्मान का भी विषय है।
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