#बेतला #TigerDay : बाघ संरक्षण पर जागरूकता बढ़ाने के लिए हो रहा विशेष आयोजन
- बेतला नेशनल पार्क में आज होगा 16वां अंतर्राष्ट्रीय व्याघ्र दिवस का भव्य आयोजन।
- मुख्य अतिथि रहेंगे वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर, पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू और विधायक रामचंद्र सिंह।
- कार्यक्रम में मानव-बाघ संघर्ष और संरक्षण रणनीतियों पर होगी चर्चा।
- स्कूली बच्चों और ग्रामीणों के लिए विशेष जागरूकता सत्र।
बरवाडीह (लातेहार): 29 जुलाई को विश्व भर में बाघों के संरक्षण और संवेदनशीलता के संदेश के साथ मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय व्याघ्र दिवस इस बार पलामू टाइगर रिजर्व में धूमधाम से आयोजित किया जा रहा है। बेतला नेशनल पार्क परिसर में आयोजित होने वाले 16वें अंतर्राष्ट्रीय व्याघ्र दिवस समारोह में राज्य सरकार के कई बड़े चेहरे शामिल होंगे।
कौन होंगे मुख्य अतिथि?
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर, पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू, और मनिका विधानसभा क्षेत्र के विधायक रामचंद्र सिंह शिरकत करेंगे। इसके अलावा, प्रधान मुख्यमंत्री संरक्षक अशोक कुमार की भी गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।
क्यों मनाया जाता है व्याघ्र दिवस?
हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय टाइगर डे (International Tiger Day) मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य है बाघों की घटती संख्या पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना और वन्यजीव संरक्षण के महत्व को रेखांकित करना। भारत सहित कई देशों में इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
बेतला का महत्व
बेतला नेशनल पार्क देश के पहले नौ टाइगर प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिसका ऐतिहासिक महत्व है। पलामू टाइगर रिजर्व का संरक्षण कार्य झारखंड के पारिस्थितिक संतुलन और पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है।
वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा: “इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को बाघों की अहमियत समझाना और मानव-बाघ संघर्ष के समाधान पर चर्चा करना है।”
कार्यक्रम की खास बातें
इस अवसर पर विशेषज्ञों द्वारा बाघों की सुरक्षा, वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय चुनौतियों पर चर्चा होगी।
ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों, स्कूली बच्चों और वनकर्मियों को जागरूक करने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। साथ ही, स्थानीय प्रतिनिधियों से अधिक से अधिक संख्या में कार्यक्रम में भाग लेने की अपील की गई है।
न्यूज़ देखो: प्रकृति संरक्षण की बड़ी पहल
बाघ केवल जंगलों की शान नहीं, बल्कि हमारे पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन का प्रतीक हैं। बेतला में यह आयोजन दिखाता है कि झारखंड सरकार और वन विभाग संरक्षण के प्रति कितने गंभीर हैं।
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