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झारखंड की 18 वर्षीय शुभांशी चक्रवर्ती ने रचा इतिहास, बनीं शिव नादर विश्वविद्यालय की विजिटिंग प्रोफेसर

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#रामगढ़ #शिक्षा_उपलब्धि : कम उम्र में बड़ी उपलब्धि, युवाओं के लिए बनीं प्रेरणा
  • 18 साल की शुभांशी चक्रवर्ती को मिला विजिटिंग प्रोफेसर का पद।
  • शिव नादर विश्वविद्यालय दिल्ली-एनसीआर में नियुक्ति।
  • शिक्षा, लेखन और पर्यावरण के क्षेत्र में योगदान के लिए मिली पहचान।
  • रामगढ़ जिले की बेटी, रजरप्पा निवासी।
  • पिता शुभाशीष चक्रवर्ती, प्रसिद्ध सोशल साइंटिस्ट।
  • युवाओं के लिए बनीं प्रेरणास्रोत

रामगढ़ जिले की 18 वर्षीय शुभांशी चक्रवर्ती ने अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर वह मुकाम हासिल कर लिया है, जो आमतौर पर बहुत कम उम्र में संभव हो पाता है। उन्हें दिल्ली-एनसीआर स्थित शिव नादर विश्वविद्यालय ने विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया है। यह उपलब्धि न सिर्फ उनके परिवार और जिले के लिए गर्व की बात है, बल्कि पूरे राज्य के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।

शिक्षा और लेखन में गहरी रुचि

शुभांशी की सफलता का आधार उनकी शिक्षा, लेखन और पर्यावरण विषयों पर गहन समझ है। छोटी उम्र से ही उन्होंने इन विषयों में अपनी अलग पहचान बनाई। कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनके विचारों को सराहना मिली है। उनके कार्यों ने यह साबित किया कि उम्र कभी प्रतिभा और मेहनत की राह में बाधा नहीं बनती।

परिवार और पृष्ठभूमि

शुभांशी रजरप्पा की रहने वाली हैं और वह प्रसिद्ध सोशल साइंटिस्ट शुभाशीष चक्रवर्ती की बेटी हैं। पिता से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने सामाजिक और शैक्षणिक मुद्दों को गहराई से समझा और उन्हें अपने लेखन और विचारों में पिरोया। परिवार ने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए सहयोग और मार्गदर्शन दिया।

युवाओं के लिए प्रेरणा

शुभांशी की नियुक्ति यह संदेश देती है कि यदि किसी में लगन, मेहनत और सीखने की जिज्ञासा है, तो सफलता किसी भी उम्र में पाई जा सकती है। उनकी उपलब्धि उन युवाओं के लिए खास संदेश है, जो समाज और शिक्षा जगत में अपनी पहचान बनाने का सपना देखते हैं।

न्यूज़ देखो: नई पीढ़ी की मिसाल

शुभांशी चक्रवर्ती ने जिस उम्र में यह उपलब्धि हासिल की है, वह भारत की शिक्षा व्यवस्था और युवाओं की क्षमता को एक नया आयाम देती है। यह सफलता साबित करती है कि झारखंड जैसे राज्यों से भी प्रतिभाएं निकलकर देश-दुनिया में चमक सकती हैं।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सीख और सफलता की राह पर युवा

आज का युवा अगर सही दिशा में मेहनत करे तो कोई भी मंज़िल असंभव नहीं है। शुभांशी की कहानी हमें यही सिखाती है। आप भी उनकी उपलब्धि पर अपनी राय दें और इस प्रेरक खबर को दूसरों तक पहुंचाएं ताकि और युवा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित हों।

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