गढ़वा कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित हुई 19वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति बैठक, 2025-26 की कार्य योजना पर हुआ विचार

#गढ़वा #वैज्ञानिक_विकास – कृषि अनुसंधान, प्रशिक्षण और परीक्षण पर केंद्रित रही बैठक, क्षेत्रीय वैज्ञानिकों और किसानों ने साझा किए अनुभव

बैठक की अध्यक्षता डॉ. डी० एन० सिंह ने की

कृषि विज्ञान केंद्र, गढ़वा में आज 19वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता डॉ. डी० एन० सिंह, मुख्य वैज्ञानिक, शुष्क भूमि, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र ने की।
इस अवसर पर केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. राजीव कुमार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रगति रिपोर्ट के साथ-साथ वर्ष 2025-26 की कार्य योजना प्रस्तुत की।

प्रगति प्रतिवेदन : प्रशिक्षण से लेकर मृदा परीक्षण तक

डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि वर्ष 2024-25 में निम्नलिखित कार्य संपन्न हुए:

2025-26 के लिए प्रस्तावित योजनाएं

डॉ. कुमार द्वारा प्रस्तावित कार्य योजना में शामिल हैं:

वैज्ञानिकों को अनुसंधान केंद्र में आमंत्रण, मिलेंगे संसाधन

बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. डी० एन० सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र की उपलब्धियों की सराहना की और कहा:

“गढ़वा कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों को क्षेत्रीय कृषि आंदोलन अनुसंधान केंद्र में शोध के लिए आमंत्रित किया जाएगा।”

कृषि महाविद्यालयों और वैज्ञानिकों के बीच सहयोग पर ज़ोर

डॉ. डी० के० रूसिया, गढ़वा कृषि महाविद्यालय ने कृषि विज्ञान केंद्र और महाविद्यालय के वैज्ञानिकों के बीच सामंजस्यपूर्ण कार्य पर बल देते हुए राज्य सरकार की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला।
इस अवसर पर विरसा कृषि महाविद्यालय, रांची से आए वैज्ञानिक मनोज कुमार बनवाल, डॉ. प्रवीण कुमार और अरविंद कुमार सिंह तथा चियाक़ी, पलामू के क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने भी बहुमूल्य सुझाव दिए।

महत्वपूर्ण अधिकारियों और किसानों की सहभागिता

बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी, जिला मत्स्य पदाधिकारी, एल०डी०एम० गढ़वा सहित कई वरिष्ठ वैज्ञानिक जैसे:

तथा प्रगतिशील किसान ब्रज किशोर महतो, ममता देवी, मालती देवी, रमेश कुमार गुप्ता, शोभा तिवारी, अशोक राम, प्रदीप मेहता, गणेश राम सहित कई लोगों की उपस्थिति रही।

न्यूज़ देखो : ज्ञान और प्रगति की राह में आपकी आवाज़

न्यूज़ देखो की नजर कृषि क्षेत्र में हो रहे प्रत्येक वैज्ञानिक विकास और प्रशिक्षण गतिविधियों पर बनी रहती है। ऐसे आयोजनों से न केवल वैज्ञानिकों और किसानों के बीच संवाद मजबूत होता है, बल्कि स्थानीय कृषि तकनीकों के विकास में भी योगदान मिलता है।
गढ़वा जैसे ज़िलों में अनुसंधान और प्रशिक्षण से जुड़ी योजनाएं कृषि क्रांति की नींव रख रही हैं।

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