
#गिरिडीह #आत्महत्या – कमरे में फंदे से झूलती मिली सबारा खातून, मानसिक तनाव बताया गया कारण, पुलिस ने कहा- हर बिंदु पर जांच जारी
- गिरिडीह जिले के बलगो गांव में युवती ने की आत्महत्या
- परिजनों ने दरवाजा नहीं खुलने पर तोड़ी दीवार, कमरे में मिला शव
- 20 वर्षीय सबारा खातून ने लगाई फांसी, बताया गया मानसिक तनाव
- भरकट्टा ओपी पुलिस ने शव भेजा पोस्टमार्टम के लिए गिरिडीह सदर अस्पताल
- घटना के बाद गांव में मातम, परिजन सदमे में, पुलिस ने शुरू की जांच
पूर्वी बलगो गांव में दर्दनाक घटना, युवती ने किया सुसाइड
गिरिडीह जिला अंतर्गत भरकट्टा ओपी क्षेत्र के ग्राम पूर्वी बलगो (मुस्लिम टोला) में 20 वर्षीय युवती सबारा खातून ने अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना रविवार सुबह की है, जब वह देर तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकली।
दरवाजा नहीं खुला तो तोड़ी गई दीवार
परिजनों ने जब कई बार आवाज देने के बाद भी जवाब नहीं मिला, तो ग्रामीणों की सहायता से कमरे की दीवार को तोड़ा गया। दरवाजा खुलते ही परिजन स्तब्ध रह गए—सबारा फंदे से झूलती मिली। तुरंत शव को नीचे उतार कर भरकट्टा ओपी को सूचना दी गई।
मौके पर पहुंची पुलिस, शव भेजा गया पोस्टमार्टम के लिए
ओपी प्रभारी अमन कुमार, एएसआई संतोष कुमार दुबे और आनंदी प्रसाद मौके पर पहुंचे और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए गिरिडीह सदर अस्पताल भेजा। पुलिस ने घटनास्थल से सभी जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी की।
मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी – मां का बयान
मृतका की मां कुरेशन बीबी ने पुलिस को दिए लिखित आवेदन में बताया कि सबारा मानसिक रूप से अस्वस्थ थी। उन्होंने कहा कि शनिवार रात खाना खाने के बाद वह अपने कमरे में सोने चली गई थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि परिवार की ओर से किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है।
गांव में पसरा मातम, परिजन बेसुध
घटना के बाद पूरे गांव में शोक का माहौल है। मृतका के परिजन गहरे सदमे में हैं और ग्रामीणों ने भी इस घटना को दर्दनाक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। कई ग्रामीण शोक-संवेदना प्रकट करने मृतका के घर पहुंचे।
पुलिस जांच जारी, आत्महत्या या कुछ और?
भरकट्टा ओपी प्रभारी अमन कुमार ने कहा,
“घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। मृतका के परिजनों के बयान के अनुसार, युवती मानसिक रूप से बीमार थी, लेकिन पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है।”
न्यूज़ देखो : मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जरूरी है जागरूकता
‘न्यूज़ देखो’ का मानना है कि ऐसी दुखद घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरूकता और समर्थन कितना जरूरी है। अगर समय पर संवाद और उपचार मिल जाए, तो ऐसी जानें बचाई जा सकती हैं। प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर ऐसे मुद्दों पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है।