
#पलामू #BajrangDal : चट्टानी एकता का प्रतीक बनकर निकली वार्षिक यात्रा
- बजरंग दल की 22 सदस्यीय टीम बूढ़ा अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना।
- जिला संयोजक संदीप प्रसाद गुप्ता और सह संयोजक हिमांशु पांडेय के नेतृत्व में टीम निकली।
- विहिप जिला मंत्री अमित तिवारी ने अंगवस्त्र देकर किया सम्मान।
- वर्ष 2005 से शुरू हुई यह यात्रा राष्ट्रीय स्तर पर हर साल आयोजित होती है।
- राजौरी, पुंछ, सुंदरबनी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से होकर गुजरती है यात्रा।
कल देर रात टाटा नगर-जम्मू तवी एक्सप्रेस से बजरंग दल, पलामू की 22 सदस्यीय टीम वार्षिक चट्टानी एकता यात्रा “बूढ़ा अमरनाथ यात्रा” में शामिल होने के लिए रवाना हुई। यह टीम जिला संयोजक संदीप प्रसाद गुप्ता और सह संयोजक हिमांशु पांडेय के नेतृत्व में यात्रा पर निकली।
रवाना करने पहुंचे विहिप पदाधिकारी
रेलवे स्टेशन पर विश्व हिंदू परिषद, पलामू के जिला मंत्री अमित तिवारी ने सभी यात्रियों को अंगवस्त्र से सम्मानित किया और मंगलमय यात्रा की शुभकामनाएं दीं।
अमित तिवारी ने कहा: “यह यात्रा केवल आस्था नहीं, बल्कि एकता और साहस का प्रतीक है।”
इस दौरान वातावरण जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा।
यात्रा का इतिहास और महत्व
विश्व हिंदू परिषद झारखंड प्रांत सेवा टोली सदस्य सह पलामू जिला पालक दामोदर मिश्र ने जानकारी देते हुए कहा कि साल 2005 में विहिप ने जम्मू संभाग में हिन्दुओं की सुरक्षा और एकजुटता के लिए इस यात्रा को पुनर्जीवित किया।
दामोदर मिश्र ने कहा: “बूढ़ा अमरनाथ यात्रा का उद्देश्य धार्मिक आस्था के साथ-साथ देश की सीमाओं पर बसे हिन्दुओं में सुरक्षा और साहस की भावना जगाना है।”
यह यात्रा राजौरी, सुंदरबनी और पुंछ जैसे क्षेत्रों से होकर गुजरती है, जो सीमा पार घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों के लिहाज से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं।
बढ़ी भागीदारी, बढ़ा उत्साह
शुरुआत में सैकड़ों और अब हजारों कार्यकर्ता इस यात्रा का हिस्सा बनते हैं। इससे न केवल धार्मिक महत्व बढ़ा है, बल्कि इन क्षेत्रों के स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ भी होने लगा। इस बार गर्व की बात है कि पलामू जिले से 22 बजरंगी इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं।
न्यूज़ देखो: आस्था और एकता की मिसाल
यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति, सामुदायिक एकता और साहस का संदेश देने वाली पहल है। पलामू से इन युवाओं का निकलना दिखाता है कि सीमाओं की सुरक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों के लिए समाज आज भी सजग है।
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