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केतार का 23 वर्षीय युवक पलायन का शिकार: फरीदाबाद रेलवे ट्रैक पर मिली लाश, गांव में पसरा मातम

#केतार #पलायनकीत्रासदी : मायेर टोला के युवक की रहस्यमय हालात में मौत — पंजाब जाते वक्त रास्ते में मिला शव, पलायन पर फिर उठे सवाल

मुंबई से पंजाब जाते वक्त रहस्यमय मौत, हरियाणा में मिला शव

केतार प्रखंड के मुकुंदपुर पंचायत अंतर्गत मायेर टोला निवासी छोटन सिंह (23 वर्ष) की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई। वह मुंबई से पंजाब की ओर काम की तलाश में जा रहा था,
लेकिन रास्ते में हरियाणा के फरीदाबाद जिले के रसूलपुर थाना क्षेत्र में रेलवे ट्रैक पर उसका शव लावारिस अवस्था में मिला

फरीदाबाद पुलिस ने शव की पहचान के लिए जांच की, तो मृतक के पास से आधार कार्ड और एक डायरी बरामद हुई, जिसमें गढ़वा जिले के केतार प्रखंड का पता दर्ज था।
इसी आधार पर पुलिस ने परिजनों से संपर्क कर घटना की जानकारी दी।

कर्ज लेकर पहुंचे परिजन, शव देख फूट पड़ा दुख

गरीबी से जूझ रहे रामबिहारी सिंह और उनका परिवार जैसे-तैसे कर्ज लेकर फरीदाबाद पहुंचे और बेटे का शव लेकर गांव लौटे
जैसे ही शव गांव पहुंचा, मायेर टोला में मातम छा गया
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था और हर किसी की आंखें नम थीं।

सामाजिक व राजनीतिक प्रतिनिधियों ने जताया दुख

घटना की खबर मिलते ही झामुमो नेता मुक्तेश्वर पांडे, दीपक वर्मा, दिनेश वर्मा, और मुखिया मुगा साह मौके पर पहुंचे।
उन्होंने शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी और सरकारी सहायता की मांग भी उठाई।

बार-बार दोहराई जा रही त्रासदी

छोटन सिंह की मौत ने एक बार फिर ग्रामीण युवाओं के पलायन की भयावह सच्चाई को सामने ला दिया है
पलायन अब केवल आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि जिंदगियों को लीलने वाली सामाजिक त्रासदी बन चुकी है

गांव में इस समय गुस्सा और दुख दोनों है। लोग बार-बार यही सवाल पूछ रहे हैं:

“आखिर कब तक पलायन के नाम पर बेटों की लाशें लौटती रहेंगी?”
“कब तक मां की गोद सूनी और पत्नी की मांग उजड़ती रहेगी?”

सरकार के वादों और योजनाओं के बीच हकीकत यही है कि रोज़गार की तलाश में आज भी हजारों युवा गांव छोड़ने को मजबूर हैं — जिनमें से कई कभी वापस नहीं लौटते।

न्यूज़ देखो: पलायन की दर्दभरी हकीकत

छोटन सिंह की रहस्यमयी मौत एक व्यक्ति की मृत्यु से कहीं अधिक है —
यह उस आर्थिक असमानता और अवसरों की कमी का प्रतीक है, जिसने गांव-गांव से युवाओं को महानगरों की ओर भागने को मजबूर कर दिया है।
न्यूज़ देखो इस मुद्दे को केवल खबर नहीं, बल्कि नीतिगत बहस का विषय मानता है।
सरकार, समाज और नीति-निर्माताओं को जवाब देना होगा —
क्या हर गरीब परिवार का सपना किसी रेलवे ट्रैक पर दम तोड़ेगा?
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जागरूक बनें, बदलाव की मांग करें

हर नागरिक का अधिकार है कि वह अपने गांव में सम्मानजनक जीवन जी सके।
सरकार को चाहिए कि वह पलायन रोकने के लिए स्थानीय रोज़गार, प्रशिक्षण केंद्र और उद्यमिता योजनाओं को प्राथमिकता दे।
अगर आप इस खबर से जुड़े दर्द को महसूस कर पा रहे हैं, तो अपनी राय नीचे कमेंट करें, खबर को रेट करें और अपने दोस्तों-रिश्तेदारों तक जरूर साझा करें

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