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रांची में 40 फीट ऊंचा ऑपरेशन सिंदूर थीम पर आधारित दुर्गा पूजा पंडाल: दिखेगा मां दुर्गा का रौद्र रूप और स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान

#रांची #दुर्गापूजा : कांटाटोली पंडाल में भारत माता और ऑपरेशन सिंदूर की झलक, 17 लाख की लागत से तैयार हो रहा आकर्षण

राजधानी रांची का कांटाटोली इस साल दुर्गा पूजा के दौरान भक्ति और देशभक्ति का अद्भुत संगम पेश करेगा। नेताजी नगर दुर्गा पूजा कमेटी की ओर से बन रहा पंडाल इस बार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ थीम पर आधारित होगा। लगभग 40 फीट ऊंचे इस पंडाल के निर्माण में करीब 17 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। श्रद्धालु यहां मां दुर्गा के रौद्र रूप का दर्शन करेंगे और साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की झलक भी देख पाएंगे।

थीम और आकर्षण

इस बार का पंडाल पूरी तरह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की थीम पर तैयार किया जा रहा है। पंडाल का प्रवेश द्वार भारत माता पर आधारित होगा, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगा। कांटाटोली चौक से लेकर पंडाल तक रंगीन और आकर्षक लाइटिंग की व्यवस्था की गई है, जिससे पूरा इलाका रोशनी से जगमगा उठेगा।

प्रतिमा और कारीगरी

मां दुर्गा की प्रतिमा 13 फीट ऊंची होगी और इसे रांची के अजय पाल ने बनाया है। प्रतिमा को रौद्र रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जो इस वर्ष की पूजा को और भी खास बनाएगा। पंडाल निर्माण की जिम्मेदारी बंगाल के गणेश डेकोरेटर्स को दी गई है, जिसमें 25 से 30 कारीगर लगातार मेहनत कर रहे हैं।

पूजा समिति और परंपरा

नेताजी नगर दुर्गा पूजा कमेटी कांटाटोली वर्ष 1957 से लगातार दुर्गा पूजा का आयोजन करती आ रही है। इस बार समिति के अध्यक्ष अमित कुमार दास, महासचिव जॉय दास, सचिव राहुल कुमार, उपाध्यक्ष बिजय दास, संदीप घोष, सुभोजित गुहा, सुरोजित दास, कोषाध्यक्ष परितोष घोष, अमित घोष और संरक्षक गौतम घोष आयोजन को भव्य बनाने में जुटे हैं।

न्यूज़ देखो: देशभक्ति और आस्था का संगम बनेगा कांटाटोली पंडाल

रांची के कांटाटोली का यह पंडाल न केवल मां दुर्गा की भक्ति का स्थल बनेगा बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाकर समाज में राष्ट्रप्रेम की भावना को और प्रखर करेगा। थीम आधारित यह पूजा लोगों को एक साथ जोड़ने का कार्य करेगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आस्था और देशभक्ति से जुड़ने का संदेश

कांटाटोली दुर्गा पूजा समिति की यह पहल हमें यह सिखाती है कि आस्था और देशभक्ति दोनों मिलकर समाज को नई दिशा दे सकते हैं। अब समय है कि हम भी इस प्रेरणा से जुड़ें और अपने बच्चों को परंपरा और इतिहास दोनों से परिचित कराएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि श्रद्धा और राष्ट्रप्रेम का संदेश दूर तक पहुंचे।

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