
#लातेहार #आत्महत्या_मामला : फुलसु पंचायत के पिपराटोला गांव में शाल पेड़ से लटकता मिला शव — नशे की लत और पारिवारिक अकेलेपन को माना जा रहा वजह
- पिपराटोला निवासी मोहन यादव ने जंगल में फांसी लगाकर जान दी
- शव शाल के पेड़ पर गमछे से लटका मिला, परिजनों ने दी पुलिस को सूचना
- मृतक दो माह से घर पर था, पहले करता था कोलकाता में मजदूरी
- परिवार ने बताया कि मोहन शराब का आदी था
- बारियातू थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की
जंगल के सन्नाटे में मिली दर्दनाक खबर
लातेहार: बारियातू थाना क्षेत्र अंतर्गत फुलसु पंचायत के पिपराटोला गांव में रविवार देर शाम एक 55 वर्षीय व्यक्ति मोहन यादव ने जंगल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
सोमवार सुबह ग्रामीणों ने शव को बालूभांग जाने वाले रास्ते के पास एक शाल के पेड़ से लटकते देखा। सूचना मिलते ही पूरे गांव में सनसनी फैल गई।
रात को लौटे नहीं तो परिजनों को हुआ संदेह
मृतक के पुत्र अनिल यादव ने बताया कि रविवार को मोहन पास के एक पड़ोसी के घर पार्टी में खाना खाने गए थे।
रात को जब वह घर नहीं लौटे, तो परिजनों ने सोचा कि संभवतः किसी के घर रुक गए होंगे।
लेकिन सोमवार सुबह जब शव पेड़ से लटकते देखा गया, तो परिजनों ने पहचान कर उसे घर ले आए और पुलिस को सूचना दी।
पुलिस पहुंची मौके पर, जांच शुरू
घटना की जानकारी मिलते ही बारियातू थाना के एएसआई पीके तिवारी और मिथिलेश सिंह दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे।
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर स्थल का मुआयना किया और आत्महत्या के कारणों की जांच शुरू की है।
दो बेटों के सहारे चल रहा था परिवार, मृतक था शराब का आदी
परिजनों के अनुसार मोहन यादव पहले कोलकाता में मजदूरी करते थे, जबकि उनके दोनों बेटे चेन्नई और अन्य जगहों पर काम करते हैं।
वह पिछले दो माह से घर पर ही थे और इस दौरान वे शराब के आदी हो चुके थे।
परिवार का कहना है कि संभवतः नशे की हालत में उन्होंने आत्मघाती कदम उठाया।
रोते-बिलखते परिजन, माहौल ग़मगीन
घटना के बाद से पत्नी कुनिया देवी और अन्य परिजन लगातार रो रहे हैं।
गांव में मातम का माहौल है और लोग घटना को लेकर स्तब्ध हैं।
न्यूज़ देखो: ग्रामीण मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी न बने त्रासदी
यह घटना सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी का परिणाम है।
प्रशासन और समाज को मिलकर ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें समय रहते सहारा देना होगा।
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समाज को चाहिए संवेदना और सतर्कता
हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है कि वह अपने आसपास मानसिक तनाव से जूझ रहे लोगों को सहारा दे और उन्हें अकेला न छोड़े।
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