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गढ़वा में हुआ सुंदरकांड पाठ का 550वां आयोजन, 250 से अधिक श्रद्धालुओं ने लिया भाग

#गढ़वा #धार्मिक_अनुष्ठान : श्री सिद्धेश्वरनाथ मंदिर प्रांगण में संगीत के साथ हुआ सामूहिक पाठ — 2013 से अनवरत जारी है आयोजन

2013 से जारी है रामभक्ति का अनवरत सिलसिला

गढ़वा (बिशुनपुर): मानस मंडली बिशनपुर इकाई गढ़वा द्वारा वर्ष 2013 से क्रमबद्ध रूप से आयोजित हो रहे साप्ताहिक सुंदरकांड पाठ कार्यक्रम की 550वीं कड़ी मंगलवार को पुलिस लाइन स्थित श्री सिद्धेश्वरनाथ महादेव मंदिर प्रांगण में भव्य रूप से संपन्न हुई। कार्यक्रम में श्री राम दरबार और बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के साथ सामूहिक सुंदरकांड पाठ, शंखध्वनि, आरती, भजन-कीर्तन, और महाप्रसाद वितरण का आयोजन हुआ।

धर्म-संस्कृति से जुड़ाव का संदेश

कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि सुंदरकांड पाठ से घर में सुख-शांति आती है, सभी समस्याओं का समाधान होता है और जीवन में मंगलकारी ऊर्जा का संचार होता है। वक्ताओं ने विशेष रूप से कहा कि:

“कलियुग में केवल प्रभु नाम स्मरण, भजन-कीर्तन, और सत्संग से ही सभी कष्टों से मुक्ति संभव है। प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को श्री हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ अवश्य करना चाहिए।”

भक्ति रस में डूबे श्रद्धालु

सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। अरुण दुबे, बृजेश कुमार पांडे, आत्मा पांडे, श्यामानंद दुबे, अमरेंद्र मिश्र, सियाराम पांडे, द्वारकानाथ पांडे, सतीश चौबे, मनोज दुबे, राकेश रंजन चौबे, रमाकांत उपाध्यक्ष, उमेश सिंह, रघुपति सिंह, शेखर सिन्हा, चंद्रशेखर दुबे, राकेश कुमार तिवारी, आनंद मिश्रा, संजय सोनी, विजय तिवारी, मार्कंडेय तिवारी, जयराम तिवारी, छोटेलाल तिवारी सहित 250 से अधिक श्रीराम-हनुमान भक्तों ने सामूहिक सुंदरकांड पाठ में हिस्सा लिया।

सम्मानित अतिथि और प्रशासनिक सहभागिता

कार्यक्रम में गढ़वा अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीएम) संजय कुमार पांडे बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। उन्होंने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजनों से समाज में सकारात्मकता और संस्कृति की चेतना बढ़ती है

न्यूज़ देखो: आस्था और अनुशासन का अद्भुत संगम

न्यूज़ देखो मानता है कि सुंदरकांड पाठ जैसे आयोजनों से समाज में न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि सामुदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक संरक्षण का भी संदेश मिलता है। बिशनपुर इकाई का यह 550वां आयोजन इस बात का प्रमाण है कि नियमित साधना, अनुशासन और श्रद्धा के साथ आस्था के पर्व भी जन आंदोलन बन सकते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

रामनाम में है समाधान

भक्ति, श्रद्धा और सत्संग से बड़ी कोई औषधि नहीं। आइए, हम सब भी अपने घरों में श्रीरामचरितमानस का पाठ, हनुमान चालीसा, और सुंदरकांड जैसे आयोजनों से जुड़ें। इस खबर को शेयर करें, टिप्पणी करें, और इसे उन तक पहुँचाएँ जो धर्म और संस्कृति से प्रेरणा लेते हैं। रामभक्ति में ही है सच्ची शक्ति

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