
#महुआडांड़ #जल_संकट : मंत्री का आदेश, प्रशासन के वादे और दो दिन की ऐतिहासिक बंदी भी बेअसर।
- महुआडांड़ प्रखंड में लगभग 60 प्रतिशत जल-नल योजना फेल पड़ी हुई है।
- दीपाटोली, रामपुर, अंबवाटोली समेत दर्जनों पंचायतों में ग्रामीण शुद्ध पेयजल से वंचित हैं।
- वर्ष 2024 में पानी की किल्लत के विरोध में दो दिन की ऐतिहासिक बंदी भी की गई थी।
- झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट और सुधार की मांग की थी।
- जल संकट से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक प्रभावित होना पड़ा है।
- ग्रामीण चेतावनी देते हैं कि अगर जल्द नल से पानी नहीं पहुँचा तो आंदोलन और उग्र होगा।
महुआडांड़ प्रखंड में झारखंड सरकार की बहुप्रचारित “हर घर जल–नल योजना” जमीनी स्तर पर पूरी तरह से विफल साबित हो रही है। दीपाटोली, रामपुर, अंबवाटोली समेत कई पंचायतों के हजारों ग्रामीण आज भी शुद्ध पेयजल से वंचित हैं और मजबूरी में चुआं, कुआं या दूषित जल स्रोतों पर निर्भर हैं। जल संकट के कारण लोगों का जीवन कठिन हो गया है और जनस्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है।
ऐतिहासिक बंदी और प्रशासनिक वादे
ग्रामीणों के अनुसार, वर्ष 2024 में पूरे प्रखंड में पानी की किल्लत के विरोध में दो दिन की ऐतिहासिक बंदी हुई थी। इसके बाद जिला प्रशासन मौके पर पहुंचा और हर घर तक जल-नल पहुँचाने का आश्वासन दिया गया। हालांकि, एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद न तो जांच रिपोर्ट सामने आई और न ही स्थिति में कोई ठोस सुधार हुआ।
ग्रामीण प्रतिनिधि ने कहा: “सरकार और प्रशासन के वादे केवल कागजी साबित हुए। हम अब भी दूषित पानी पर निर्भर हैं।”
झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने इस मामले में जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी और स्पष्ट निर्देश दिए थे कि महुआडांड़ के हर घर तक जल-नल योजना पहुंचे। लेकिन आदेश का कोई असर दिखाई नहीं दिया और जिम्मेदार अधिकारी अब तक निष्क्रिय हैं।
जल संकट का सामाजिक और स्वास्थ्य प्रभाव
जल संकट का सबसे ज्यादा प्रभाव महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ा है। कई गांवों में लोग तीन से पांच किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं। दूषित पानी के कारण डायरिया, पीलिया और त्वचा रोग जैसी बीमारियों में वृद्धि हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि यह अब सिर्फ पानी का मुद्दा नहीं, बल्कि प्रशासनिक विफलता और भ्रष्ट व्यवस्था का गंभीर मामला बन चुका है।
एक ग्रामीण ने चेतावनी दी: “अगर जल्द ही हर घर तक नल से पानी नहीं पहुँचता, तो आंदोलन और ज्यादा उग्र और निर्णायक होगा।”
ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ रहा है और वे चाहते हैं कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन तुरंत ठोस कार्रवाई करे।
न्यूज़ देखो: महुआडांड़ का जल संकट और प्रशासनिक निष्क्रियता
महुआडांड़ का यह मामला स्पष्ट करता है कि योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन न होना सीधे जनजीवन को प्रभावित करता है। प्रशासन और सरकार द्वारा लगातार दिए गए वादों के बावजूद अगर शुद्ध जल नहीं पहुँचा, तो यह केवल जनस्वास्थ्य संकट नहीं बल्कि सामाजिक असंतोष को भी जन्म देता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सुरक्षित जल और जागरूक नागरिक बनें
पेयजल तक पहुँच सुनिश्चित करना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। अपने गांव और पंचायत में जल स्रोतों की स्थिति पर नजर रखें, स्थानीय प्रशासन को सूचित करें और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएँ। इस खबर को साझा करें, दूसरों तक पहुँचाएँ और जल सुरक्षा को प्राथमिकता देने की चेतना फैलाएँ।





