
#मेदनीनगर #छठ_महापर्व : भुसडिया गांव की 8 वर्षीय परी कुमारी ने पूरे विधि-विधान से किया छठ व्रत – बाल मन की श्रद्धा और आस्था से लोगों में जागी प्रेरणा।
- पलामू जिले के भुसडिया गांव की 8 वर्षीय परी कुमारी ने पहली बार छठ महापर्व का व्रत किया।
- परी के पिता मनोज कुमार सिंह अपनी बेटी की आस्था और दृढ़ संकल्प से भावुक हुए।
- ग्रामीणों ने परी की निष्ठा और श्रद्धा को बताया आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत।
- पूरे गांव में नन्ही व्रती की खबर से हर्ष और गर्व का माहौल।
मेदनीनगर (पलामू): जब आस्था और निष्ठा सच्चे मन से जुड़ जाए, तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। पलामू जिले के भुसडिया गांव की मात्र 8 वर्षीय परी कुमारी ने यह बात अपने कर्म से साबित कर दी। नन्ही परी ने इस वर्ष पहली बार महापर्व छठ का व्रत कर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र में श्रद्धा और संकल्प की एक नई मिसाल कायम की।
बाल मन में उमड़ी श्रद्धा की भावना
परी कुमारी ने बताया कि उन्होंने पहले निश्चय किया था कि अगले वर्ष छठ व्रत करेंगी, लेकिन इस बार ही उन्होंने पूरा संकल्प ले लिया। उनकी आस्था और उत्साह देखकर परिजन भी भावुक हो उठे।
परी ने मुस्कुराते हुए कहा –
परी कुमारी ने कहा: “मैंने सच्चे मन से सूर्य भगवान की पूजा की। सभी लोगों को छठ करनी चाहिए, यह बहुत पवित्र व्रत है।”
परिवार और समाज ने सराहा नन्ही व्रती की निष्ठा
परी के पिता मनोज कुमार सिंह, जो पलामू जिले के भुसडिया गांव के निवासी हैं, ने कहा कि बेटी की इस श्रद्धा ने उन्हें गर्व से भर दिया है। उन्होंने बताया कि जब परी ने खुद से व्रत रखने का निर्णय लिया, तो परिवार ने उसका पूरा सहयोग किया।
भुसडिया गांव के ग्रामीणों ने भी इस पहल की सराहना की और कहा कि नन्ही उम्र में इतनी बड़ी निष्ठा दुर्लभ होती है। गांव के बुजुर्गों ने परी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि ऐसी बालिकाएं ही आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगी।
छठ पर्व की महिमा और नन्हीं श्रद्धा की मिसाल
छठ महापर्व सूर्य उपासना का प्रतीक है, जिसमें व्रती बिना अन्न-जल ग्रहण किए भगवान सूर्य और छठी माई की पूजा करते हैं। इस पर्व में जो संयम, तप और भक्ति की भावना होती है, वही परी कुमारी जैसी बच्चियों के हृदय में जन्म लेकर समाज को सकारात्मक संदेश देती है।
इस वर्ष परी ने न केवल व्रत रखा, बल्कि अर्घ्य देने और पूजा विधि में भी पूरे समर्पण से भाग लिया। उसके भक्तिभावना से जुड़े छोटे हाथ और आंखों में सच्ची भक्ति की चमक देखकर उपस्थित हर व्यक्ति भावुक हो उठा।
समाज में उमड़ा गर्व और प्रेरणा का भाव
गांव में जब लोगों ने सुना कि 8 साल की बालिका ने छठ व्रत किया है, तो चारों ओर प्रशंसा की लहर दौड़ गई। महिलाएं और बुजुर्ग कहने लगे कि आज के दौर में जब बच्चे मोबाइल और खेल में व्यस्त रहते हैं, परी जैसी बच्चियां समाज को धर्म, संस्कार और आस्था की दिशा दिखा रही हैं।
गांव की एक महिला ने कहा –
“यह नन्ही बालिका नहीं, बल्कि छठ माई की सच्ची आराधक है। ऐसे बच्चों से समाज को सीख लेनी चाहिए।”

न्यूज़ देखो: नन्ही आस्था ने दिया बड़ा संदेश
पलामू की परी कुमारी ने साबित कर दिया कि आस्था उम्र नहीं देखती। आठ वर्ष की उम्र में किया गया यह छठ व्रत समाज में विश्वास, भक्ति और संस्कार की नई ज्योति जला गया। इस घटना ने यह संदेश दिया कि अगली पीढ़ी में भी धर्म और संस्कृति के प्रति समर्पण जिंदा है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आस्था की शक्ति – आने वाली पीढ़ी के नाम संदेश
परी कुमारी की कहानी केवल एक बालिका की भक्ति नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा है। उसने यह सिखाया कि अगर मन में श्रद्धा सच्ची हो, तो कोई कार्य असंभव नहीं।
अब समय है कि हम भी अपनी परंपराओं और संस्कृति को संजोएं। अपनी राय कमेंट करें, इस प्रेरणादायक खबर को साझा करें और आने वाली पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का संदेश फैलाएं।




