
#महुआडांड़ #पेंशन_वंचित : 80 वर्षीय बुजुर्ग का फ़ॉर्म तक नहीं भरा गया—ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की माँग की।
- 80 वर्षीय इतवारी ठिठियो अब तक पेंशन से वंचित।
- रेगाइ पंचायत जामटोली में वर्षों से फ़ॉर्म तक नहीं भरा गया।
- परिवार ने विभागीय कर्मचारियों से कई बार संपर्क किया।
- आर्थिक संकट और दवा–भोजन की कमी से स्थिति गंभीर।
- ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तुरंत पेंशन प्रक्रिया शुरू करने की माँग की।
महुआडांड़ प्रखंड अंतर्गत रेगाइ पंचायत के जामटोली में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सरकारी तंत्र की गंभीर अनदेखी को उजागर कर दिया है। 80 वर्षीय इतवारी ठिठियो, जिन्हें वृद्धावस्था पेंशन मिलना चाहिए था, वे वर्षों से इसके लिए तरस रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि उनका पेंशन फ़ॉर्म तक अब तक नहीं भरा गया। बुजुर्ग और उनका परिवार कई बार अधिकारियों और संबंधित कर्मचारियों के चक्कर लगा चुका है, लेकिन किसी ने भी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई। आर्थिक तंगी से जूझते इस परिवार के लिए दवा और भोजन जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल होता जा रहा है। ग्रामीणों ने इस मामले पर नाराजगी जताते हुए जिला प्रशासन से शीघ्र हस्तक्षेप की अपील की है।
बुजुर्ग की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती, पर प्रशासन खामोश
80 वर्षीय इतवारी ठिठियो की उम्र ऐसी हो चुकी है जिसमें उन्हें आराम, सुरक्षा और पेंशन जैसी सरकारी मदद की सबसे अधिक आवश्यकता है। लेकिन सरकारी मशीनरी की उदासीनता के कारण वे आज भी पेंशन से वंचित हैं। परिवार के सदस्यों ने बताया कि वे कई बार पंचायत सचिव, जनसेवक और अन्य संबंधित कर्मचारियों से मिले, लेकिन हर बार उन्हें टाल दिया गया।
ग्रामीणों ने बताया कि कई बार शिकायत करने के बाद भी फ़ॉर्म नहीं भरा गया, जिससे साफ जाहिर होता है कि सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ कई जगह सिर्फ कागज़ों में ही सिमटकर रह गई हैं।
विभागीय लापरवाही पर ग्रामीणों में नाराजगी
स्थानीय लोगों ने कहा कि ऐसे मामलों से यह स्पष्ट होता है कि ग्रामीण इलाकों में वृद्ध, विधवा और दिव्यांग पेंशन जैसी योजनाएँ सही तरीके से लागू नहीं हो पा रही हैं। लोग महीनों तक कार्यालयों का चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन परिणाम शून्य मिलता है।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को ऐसे मामलों पर विशेष निगरानी रखनी चाहिए ताकि जरूरतमंदों को समय पर लाभ मिल सके।
भोजन, दवा और बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष
परिवार आर्थिक संकट में जी रहा है। बुजुर्ग की उम्र और बीमारी को देखते हुए दवाइयां और पोषक आहार बेहद जरूरी हैं, लेकिन पेंशन न मिलने से परिवार को रोज संघर्ष करना पड़ता है।
यह स्थिति न केवल मानवीय दृष्टिकोण से चिंताजनक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि ज़मीनी स्तर पर सरकारी योजनाएँ कितनी प्रभावी हैं।
ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल सहायता की मांग की
ग्रामीणों ने एकजुट होकर जिला प्रशासन, प्रखंड कार्यालय और सामाजिक सुरक्षा विभाग से अनुरोध किया है कि इतवारी ठिठियो का पेंशन फ़ॉर्म प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए और उन्हें तुरंत पेंशन सुविधा प्रदान की जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे सामूहिक रूप से अधिकारियों को ज्ञापन देंगे और आंदोलन का रास्ता भी अपना सकते हैं।
न्यूज़ देखो: व्यवस्था की अनदेखी से बुजुर्ग पेंशन से वंचित
यह मामला सिर्फ एक बुजुर्ग का नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों की समस्या को सामने लाता है जिन्हें योजनाओं का लाभ कागज़ी प्रक्रियाओं और विभागीय लापरवाही के कारण नहीं मिल पाता। ऐसी घटनाएँ प्रशासन की संवेदनशीलता पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं। जरूरत है कि जिला प्रशासन इन मामलों को तत्काल प्राथमिकता दे और निगरानी व्यवस्था को मजबूत करे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
बुजुर्गों के अधिकार सुरक्षित हों
ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी कई बुजुर्ग पेंशन, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। हमें समाज के रूप में ऐसे मामलों पर आवाज उठाने की आवश्यकता है ताकि हर वरिष्ठ नागरिक सम्मानजनक जीवन जी सके।
आप भी अपने क्षेत्र में ऐसे मामलों की जानकारी दें, जागरूकता बढ़ाएं और प्रशासन तक आवाज पहुँचाएं।
अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और जिम्मेदारी निभाएं।





