
#लातेहार #हाथी_हमला : छिपादोहर पूर्वी वन क्षेत्र में बकरी चरा रहे ग्रामीण को हाथी ने पटक-पटककर मार डाला, परिजनों को मिला मुआवजा
- मतनाग गांव में हाथी के हमले से वासुदेव सिंह (60) की मौत।
- घटना के वक्त वह जंगल किनारे बकरी चरा रहे थे।
- ग्रामीणों ने किसी तरह जान बचाई और सूचना गांव में पहुंचाई।
- पुलिस व वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर जांच में जुटी।
- वन विभाग ने ₹50 हजार तत्काल सहायता दी, आगे ₹3.5 लाख मुआवजा मिलेगा।
लातेहार जिले के छिपादोहर पूर्वी वन क्षेत्र के मतनाग गांव में सोमवार शाम को एक दर्दनाक घटना घटी। गांव के हंसराज टोला के रहने वाले 60 वर्षीय वासुदेव सिंह की मौत जंगली हाथी के हमले में हो गई। घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल बन गया है।
घटना का पूरा विवरण
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वासुदेव सिंह रोज की तरह जंगल के किनारे अपनी बकरियां चरा रहे थे। तभी अचानक एक जंगली हाथी वहां पहुंच गया और उसने वासुदेव पर हमला बोल दिया। हाथी ने उन्हें पटक-पटककर मौके पर ही मार डाला। उसी समय पास में गाय चरा रहे ग्रामीणों ने किसी तरह अपनी जान बचाई और गांव पहुंचकर घटना की सूचना लोगों को दी।
प्रशासन और वन विभाग की कार्रवाई
ग्रामीणों की सूचना पर थाना प्रभारी यकीन अंसारी और रेंजर अजय टोप्पो की अगुवाई में पुलिस और वन विभाग की टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। घटना की जांच की जा रही है और हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
रेंजर अजय टोप्पो ने कहा: “मृतक के परिजनों को तत्काल ₹50 हजार सहायता राशि दी गई है। आवश्यक कागजी प्रक्रिया के बाद उन्हें ₹3.5 लाख अतिरिक्त मुआवजा भी प्रदान किया जाएगा।”
ग्रामीणों में दहशत और नाराजगी
घटना के बाद ग्रामीणों में भारी नाराजगी और भय का माहौल है। उनका कहना है कि हाल के दिनों में हाथियों की आवाजाही लगातार बढ़ रही है, जिससे गांवों में जान-माल का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों ने वन विभाग से सुरक्षा उपाय बढ़ाने और नियमित निगरानी की मांग की है।
पीड़ित परिवार को सहायता
मृतक वासुदेव सिंह के परिवार को वन विभाग की ओर से मुआवजा दिया गया है। हालांकि ग्रामीणों का मानना है कि केवल आर्थिक मदद ही काफी नहीं, बल्कि प्रशासन को स्थायी समाधान निकालना चाहिए ताकि आगे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
न्यूज़ देखो: वन्यजीव और इंसानी जिंदगी की टकराहट
यह घटना साफ दिखाती है कि जंगलों में हाथियों की बढ़ती गतिविधियां ग्रामीणों की जिंदगी के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही हैं। प्रशासन की त्वरित मदद सराहनीय है, लेकिन लंबे समय के लिए ठोस रणनीति बनाना जरूरी है। जब तक हाथियों की आवाजाही पर नियंत्रण और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी, ऐसे हादसे दोहराए जाते रहेंगे।
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मानव और वन्यजीव सहअस्तित्व की चुनौती
जंगल और इंसान दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, लेकिन जब यह संतुलन बिगड़ता है तो दर्दनाक हादसे सामने आते हैं। अब समय है कि हम सब जागरूक होकर प्रशासन से ठोस वन्यजीव प्रबंधन नीति की मांग करें। अपनी राय कमेंट में साझा करें और इस खबर को आगे बढ़ाएं ताकि समस्या की गंभीरता और समाधान की जरूरत तक सभी की नजर पहुंचे।