Giridih

बिरनी में सड़क किनारे गंभीर रूप से घायल नील गाय, दोनों पिछले पैर टूटे — वन विभाग और वेटनरी टीम हरकत में

#बिरनी #वन्यजीव_संरक्षण : सड़क किनारे पड़ी वयस्क नील गाय की हालत गंभीर, उपचार की प्रक्रिया शुरू।

गिरिडीह जिले के बिरनी प्रखंड में सड़क किनारे एक वयस्क नील गाय के गंभीर रूप से घायल मिलने से इलाके में चिंता का माहौल है। चोंगाखार पंचायत के चरगो और करमा गांव के बीच बटेश्वर पेट्रोल पंप के पास नील गाय के दोनों पिछले पैर टूटे पाए गए हैं। सूचना मिलने के बाद वन विभाग और वेटनरी टीम को अलर्ट किया गया है। यह घटना वन्यजीव सुरक्षा और सड़क दुर्घटनाओं को लेकर कई सवाल खड़े करती है।

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  • चरगो–करमा मार्ग पर बटेश्वर पेट्रोल पंप के पास मिली घायल नील गाय।
  • दोनों पिछले पैर टूटे, चलने-फिरने में पूरी तरह असमर्थ।
  • वनपाल सागर विश्वकर्मा ने उच्च अधिकारियों को दी जानकारी।
  • जमुआ वन विभाग ने वेटनरी डॉक्टर से किया समन्वय।
  • इलाज के लिए वाहन भेजने की प्रक्रिया शुरू

बिरनी प्रखंड क्षेत्र में सोमवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब चोंगाखार पंचायत अंतर्गत ग्राम चरगो और करमा के बीच सड़क किनारे एक वयस्क नील गाय को गंभीर रूप से घायल अवस्था में पड़ा देखा गया। यह स्थान बटेश्वर पेट्रोल पंप के समीप है, जहां दिनभर वाहनों की आवाजाही रहती है। सुबह से ही नील गाय एक ही स्थान पर पड़ी हुई थी और उठने या चलने में पूरी तरह असमर्थ नजर आ रही थी।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, नील गाय के दोनों पिछले पैर टूटे हुए हैं। स्थानीय लोगों ने आशंका जताई है कि या तो यह वन्यजीव किसी तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आ गई है या फिर किसी अन्य कारण से उसे गंभीर चोट पहुंची है। हालांकि, घटना के स्पष्ट कारणों की पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है।

ग्रामीणों में चिंता और संवेदनशीलता

घटना की सूचना फैलते ही आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचने लगे। लोगों ने बताया कि नील गाय दर्द से कराह रही है और काफी देर से उसी अवस्था में पड़ी हुई है। उचित इलाज की व्यवस्था तत्काल न होने से ग्रामीणों में चिंता देखी गई। बावजूद इसके, किसी ने भी नील गाय को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं की, बल्कि लोग उसके इलाज की मांग करते नजर आए।

ग्रामीणों का कहना है कि चरगो जंगल क्षेत्र में वर्षों से नील गायों का बसेरा रहा है। दर्जनों की संख्या में नील गायें झुंड बनाकर आसपास के खेतों में पहुंच जाती हैं, जिससे किसानों को फसल नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद स्थानीय किसानों ने अब तक कभी जानबूझकर नील गायों को नुकसान नहीं पहुंचाया है, जो ग्रामीण समाज की संवेदनशीलता को दर्शाता है।

वन विभाग को दी गई सूचना

घटना की जानकारी मिलने के बाद बिरनी प्रखंड के पूर्वी भाग के वनपाल सागर विश्वकर्मा से संपर्क किया गया। उन्होंने बताया कि वे फिलहाल प्रशिक्षण कार्यक्रम में हैं, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने तुरंत अपने उच्च अधिकारियों को सूचित कर दिया है, ताकि आवश्यक कदम उठाए जा सकें।

वनपाल सागर विश्वकर्मा ने कहा: “मामले की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी गई है। घायल नील गाय के इलाज के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।”

वेटनरी टीम के साथ समन्वय

दूसरी ओर, जमुआ वन विभाग के पदाधिकारी ने जानकारी दी कि वेटनरी डॉक्टर से समन्वय स्थापित कर लिया गया है। घायल नील गाय को उपचार के लिए पशु अस्पताल ले जाने हेतु वाहन भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वन विभाग का कहना है कि प्राथमिकता नील गाय को तत्काल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराना है।

सड़क और वन्यजीवों की सुरक्षा पर सवाल

यह घटना एक बार फिर सड़क सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण के मुद्दे को सामने लाती है। जंगल से सटे क्षेत्रों में तेज रफ्तार वाहन और चेतावनी संकेतों की कमी के कारण अक्सर वन्यजीव दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मार्ग पर पहले भी जंगली जानवरों की आवाजाही देखी गई है, लेकिन सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं।

किसानों की पीड़ा और सह-अस्तित्व

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि नील गायों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचता है, जिससे किसानों को आर्थिक क्षति होती है। फिर भी, आदिवासी और ग्रामीण समाज ने हमेशा वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व की परंपरा निभाई है। लोगों का मानना है कि समस्या का समाधान जानवरों को नुकसान पहुंचाने में नहीं, बल्कि व्यवस्थित वन्यजीव प्रबंधन में है।

प्रशासन से उठी मांग

स्थानीय लोगों ने प्रशासन और वन विभाग से मांग की है कि घायल नील गाय का शीघ्र और समुचित इलाज सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, जंगल से सटे सड़क मार्गों पर चेतावनी बोर्ड, स्पीड ब्रेकर और निगरानी व्यवस्था को मजबूत किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

न्यूज़ देखो: वन्यजीव सुरक्षा की परीक्षा

बिरनी की यह घटना दिखाती है कि वन्यजीव संरक्षण केवल कानून तक सीमित नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत है। घायल नील गाय का इलाज समय पर होता है या नहीं, यह प्रशासनिक संवेदनशीलता की परीक्षा होगी। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

प्रकृति और जीवन की रक्षा हमारी साझा जिम्मेदारी

वन्यजीव भी हमारे पर्यावरण का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी सुरक्षा और इलाज के लिए सजग रहना जरूरी है। इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट में दें और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने में योगदान दें।

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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