
#लातेहार #सांस्कृतिक_उत्सव : दामोदर गांव में आयोजित सोहराई जतरा महोत्सव में आदिवासी समाज ने परंपरागत नृत्य, संगीत और सामूहिक भागीदारी से मनाया उत्सव
- दामोदर गांव में सोहराई जतरा महोत्सव का आयोजन किया गया।
- मुख्य अतिथि पंचायत समिति सदस्य अयुब खान और विशिष्ट अतिथि मुखिया नरेश भगत उपस्थित रहे।
- तीन गांव जोब्या दामोदर, अम्बादोहर और हिसरी की खोढ़हा मंडली ने पारंपरिक वेशभूषा में ढोल-नगाड़े के साथ नृत्य किया।
- महोत्सव में आदिवासी महिलाओं ने पारंपरिक गीत और नृत्य प्रस्तुत कर झारखंडी संस्कृति की झलक दिखाई।
- सरना समिति सदस्यों ने नृत्य मंडलियों को पुरस्कृत किया और मंच संचालन का सफल संचालन किया।
कामता पंचायत की ग्राम जोब्या (दामोदर) सरना समिति की ओर से दिवाली के अगले दिन बुधवार को सोहराई जतरा महोत्सव का आयोजन किया गया। इस महोत्सव में आदिवासी समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में ढोल-नगाड़े की थाप पर झूमते हुए शामिल हुए। महोत्सव का शुभारंभ पाहन सुले उरांव, पुजेर बले उरांव, धर्म अगुवा चन्द्रदेव उरांव, जतरू उरांव, राजू उरांव, अमर उरांव, बंधन उरांव समेत अन्य सरना समिति सदस्यों ने पूजा-अर्चना कर किया।
उत्सव में झारखंडी संस्कृति की झलक
जतरा मेला शाम होते ही स्थानीय लोगों से भर गया। लोग गाजे-बाजे के साथ झूमर नृत्य में भाग लेते हुए उत्सव का आनंद लेते रहे। मुख्य अतिथि अयुब खान ने कहा:
“जतरा समाज की एकजुटता का प्रतीक है। यह हमारे पूर्वजों की परंपरा को आगे बढ़ाने और समाज में भाईचारा बढ़ाने का सशक्त माध्यम है।”
सामाजिक कार्यकर्ता संजीव कुमार ने युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यह महोत्सव आदिवासी पहचान और सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखने का अवसर है।
महोत्सव में प्रमुख अतिथि और आयोजक
मुख्य अतिथि अयुब खान, विशिष्ट अतिथि मुखिया नरेश भगत, पूर्व मुखिया सोमरमनी देवी, ग्राम प्रधान सुले उरांव, वार्ड सदस्य गौरी देंवी, और अन्य गणमान्य उपस्थित थे। सरना समिति सदस्यों ने सभी खोढ़हा नृत्य मंडलियों को पुरस्कार प्रदान किया।
मंच संचालन की जिम्मेदारी दिनेश उरांव, कुलेश्वर रवि, राकेश बेक ने संयुक्त रूप से संभाली। इसके अतिरिक्त वालंटियर टीम के सदस्यों जैसे पवन उरांव, रोशन उरांव, कमलेश उरांव, रोहित उरांव, राहूल उरांव, पंकज उरांव, बिरजू उरांव, आशीष उरांव ने महोत्सव को सफल बनाने में सक्रिय योगदान दिया।
स्थानीय संस्कृति और सामूहिक भागीदारी
जतरा महोत्सव ने ग्रामीण समुदाय को जोड़ने और उनकी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने का प्रभावशाली माध्यम साबित किया। आसपास के कई गांवों की महिलाएं और पुरुष नृत्य और संगीत में भाग लेते हुए उत्सव में रंग भरते रहे। सरना समिति ने पारंपरिक खोढ़हा नृत्य मंडलियों को सम्मानित किया और उन्हें पुरस्कार प्रदान कर महोत्सव की गरिमा बढ़ाई।
न्यूज़ देखो: दामोदर गांव में सोहराई जतरा महोत्सव ने आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान को मजबूती दी
यह महोत्सव आदिवासी समाज में एकजुटता और सांस्कृतिक भागीदारी बढ़ाने का सशक्त माध्यम है। यह आयोजन न केवल झारखंडी परंपराओं को जीवित रखता है बल्कि युवाओं और महिलाओं को भी स्थानीय संस्कृति से जोड़ता है। समाजिक संगठनों और सरना समिति की सक्रिय भागीदारी ने इसे सफल बनाया।
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प्रेरक समापन और सामाजिक संदेश
सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भागीदारी से समुदाय में भाईचारा और एकता बढ़ती है। आदिवासी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। ऐसे आयोजनों में सक्रिय भागीदारी करें, अपने समुदाय को जोड़ें, और सांस्कृतिक चेतना को मजबूत बनाएं। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा कर समाज में जागरूकता फैलाएं।