
#तोरपा #रौतिया_समाज : समुदाय ने मुलाकात कर सीएनटी एक्ट में भूमि संरक्षण व रौतिया जाति को एसटी सूची में शामिल करने सहित कई प्रमुख मांगें विधायक के समक्ष रखीं — आश्वासन मिलने से लोगों में उम्मीद।
- अखिल भारतीय रौतिया समाज विकास परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने तोरपा विधायक सुदीप गुड़िया से की मुलाकात।
- रोहित कुमार सिंह के नेतृत्व में दिए गए ज्ञापन में रौतिया समुदाय की भूमि को सीएनटी एक्ट सूची में जोड़ने की प्रमुख मांग।
- बाहरी लोगों द्वारा भूमि अतिक्रमण बढ़ने की बात प्रतिनिधिमंडल ने रखी; तत्काल संरक्षण की आवश्यकता पर जोर।
- समुदाय ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कानूनी सहायता और कल्याण सुविधाओं को लागू करने की अपील की।
- रौतिया जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भी विधायक के समक्ष रखा गया।
- विधायक ने प्रतिनिधिमंडल को सकारात्मक पहल का भरोसा दिया और वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार किया।
बानो में अखिल भारतीय रौतिया समाज विकास परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश अध्यक्ष रोहित कुमार सिंह के नेतृत्व में तोरपा विधायक सुदीप गुड़िया से मिला। समुदाय ने अपनी जमीन और पहचान से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। इस मुलाकात का प्रमुख उद्देश्य रौतिया समुदाय की भूमि सुरक्षा, सामाजिक अधिकार और संवैधानिक पहचान से जुड़े सवालों पर राजनीतिक पहल को मजबूत करना था। बैठक के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने विधायक को ज्ञापन सौंपा और आशा जताई कि सरकार समुदाय के अस्तित्व और अधिकारों से जुड़े बिंदुओं पर जल्द कार्रवाई करेगी।
भूमि संरक्षण को लेकर बढ़ी समुदाय की चिंता
रौतिया समाज ने अपनी पारंपरिक जमीन की सुरक्षा के मुद्दे पर कड़ी चिंता व्यक्त की। प्रतिनिधिमंडल ने विधायक को बताया कि उनकी भूमि सीएनटी एक्ट की संरक्षित सूची में शामिल न होने के कारण बाहरी लोगों द्वारा कब्जे और हड़पने की घटनाएं बढ़ रही हैं। समुदाय का मानना है कि यदि रौतिया जाति की जमीन सीएनटी एक्ट में शामिल हो जाती है, तो उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संरक्षण को मजबूती मिलेगी।
रोहित कुमार सिंह ने कहा: “रौतिया समुदाय की भूमि को संरक्षित किए बिना हमारे अस्तित्व की रक्षा संभव नहीं है। सरकार से अपेक्षा है कि वह इस दिशा में ठोस कदम उठाए।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि लंबे समय से समुदाय इस मुद्दे को उठाता रहा है, लेकिन अब प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।
एसटी सूची में शामिलीकरण की मांग
बैठक में समुदाय ने यह भी कहा कि रौतिया जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल कर संवैधानिक अधिकार प्रदान किए जाएँ। इससे समाज को विकास योजनाओं, शिक्षा, रोजगार और कल्याणकारी कार्यक्रमों का व्यापक लाभ मिल सकेगा। विधायक ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए आश्वासन दिया कि वह इसे सरकार तक मजबूती से पहुँचाएँगे।
विधायक सुदीप गुड़िया ने कहा: “रौतिया समाज की मांगें महत्वपूर्ण हैं। मैं इन मुद्दों पर उचित पहल करने और संबंधित विभागों से बात करने का प्रयास करूंगा।”
शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण सुविधाओं को लागू करने की मांग
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित चार प्रमुख सुविधाएँ—शिक्षा, स्वास्थ्य, कानूनी सहायता और कल्याण से जुड़ी सेवाएँ— अभी तक समुदाय तक प्रभावी रूप में नहीं पहुँच पाई हैं। उन्होंने इसे जल्द लागू करने की मांग रखी ताकि समुदाय के युवाओं और परिवारों को वास्तविक लाभ मिल सके।
वार्षिक सम्मेलन के लिए विधायक को दिया गया निमंत्रण
बैठक के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने विधायक को कोलेबिरा प्रखंड में आयोजित होने वाले वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण भी दिया। विधायक ने उपस्थित होकर समाज के साथ संवाद बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की।
इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष रोहित कुमार सिंह के साथ रामलखन सिंह, सालिकग्राम सिंह, विश्वनाथ सिंह, कलेश्वर सिंह, किशुन सिंह, देवपाल साय, श्याम सुंदर, कर्मपाल सिंह, पुस्तोतम सिंह, जयकुमार सिंह, धर्मवीर सिंह, रोहित सिंह, रामधनी सिंह सहित कई सदस्य उपस्थित रहे।
न्यूज़ देखो: रौतिया समाज की आवाज़ अब तेज
यह मुलाकात बताती है कि रौतिया समाज अब अपने अधिकारों, पहचान और भूमि सुरक्षा को लेकर पहले से अधिक जागरूक और संगठित है। समुदाय की ये मांगें न केवल सामाजिक न्याय से जुड़ी हैं बल्कि आदिवासी अस्तित्व, सांस्कृतिक संरक्षण और भविष्य की पीढ़ियों के विकास से गहराई से संबंधित हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और प्रतिनिधि इस मुद्दे को कितनी प्राथमिकता देते हैं।
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समुदाय की ताकत है आपकी सजगता
यह घटना हमें याद दिलाती है कि अधिकारों की लड़ाई तभी मजबूत होती है जब समाज के लोग अपनी बात संगठित होकर रखते हैं। भूमि सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और पहचान—ये केवल मुद्दे नहीं बल्कि भविष्य की बुनियाद हैं। अपनी भूमिका का महत्व समझें, स्थानीय मुद्दों पर जागरूक रहें और अपनी आवाज़ को लोकतंत्र की शक्ति बनाएं।
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