
रांची #विकसितभारत2047 : चित्रकला प्रतियोगिता में बच्चों ने रंगों से रचा आत्मनिर्भर भारत का सपना
- “विकसित भारत 2047 के रंग, कला के संग” कार्यक्रम से बच्चों की रचनात्मकता और सपनों को मिला नया मंच
- विज्ञान, तकनीक, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ भारत और स्टार्टअप्स की झलक बच्चों की पेंटिंग्स में
- प्रतियोगिता में बच्चे समृद्ध संस्कृति और आधुनिक उद्योग का संगम दिखा रहे हैं
- आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियानों को चित्रों में पिरोकर भविष्य की झलक प्रस्तुत
- आयोजन से स्पष्ट हुआ कि बच्चे ही हैं विकसित भारत 2047 के असली ब्रांड एंबेसडर
बच्चों की कल्पनाशक्ति बनी भविष्य का आईना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टि को साकार करने के लिए आयोजित “विकसित भारत 2047 के रंग, कला के संग” कार्यक्रम में देशभर के बच्चों ने अपने सपनों को रंगों में उतारा। कागज़ पर उकेरे गए चित्र केवल कला प्रदर्शन नहीं थे, बल्कि यह बताते हैं कि आने वाले समय में भारत कैसा दिखेगा और बच्चे उसमें किस भूमिका में होंगे।
चित्रों में विज्ञान, पर्यावरण और संस्कृति की झलक
किसी चित्र में विज्ञान और तकनीक की उड़ान थी तो कहीं पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ भारत का संदेश। कुछ बच्चों ने भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को उकेरा, वहीं कई ने आधुनिक उद्योग, स्टार्टअप्स और मेक इन इंडिया की तस्वीर खींची। यह विविधता दिखाती है कि नई पीढ़ी नवाचार और परंपरा दोनों को साथ लेकर चलना चाहती है।
आत्मविश्वास से भरे नन्हें कलाकार
इन प्रतियोगिताओं में शामिल बच्चों का आत्मविश्वास और उत्साह देखते ही बनता है। वे बिना किसी हिचक के अपने विचारों और सपनों को कागज़ पर उतार रहे हैं। उनकी कल्पनाशक्ति में वह भारत झलकता है जो 2047 तक आत्मनिर्भर, समृद्ध और वैश्विक नेतृत्व करने वाला राष्ट्र होगा।
विकसित भारत के ब्रांड एंबेसडर बने बच्चे
कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि बच्चे ही असली ब्रांड एंबेसडर हैं, जो अपनी प्रतिभा, सोच और दृष्टि से राष्ट्र को नई ऊँचाइयों तक ले जाएंगे। उनकी कला हमें यह भरोसा दिलाती है कि भविष्य का भारत केवल सरकार की योजनाओं पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि हर परिवार और हर बच्चे की भागीदारी से साकार होगा।
न्यूज़ देखो: बच्चों की सोच से जन्म लेता है उज्ज्वल भारत
यह आयोजन केवल एक कला प्रतियोगिता नहीं, बल्कि भारत के भविष्य की दिशा और दशा को सामने लाने वाला प्रयास है। न्यूज़ देखो मानता है कि बच्चों की कल्पना और आत्मविश्वास ही हमें 2047 तक विकसित भारत की ओर ले जाने की सबसे बड़ी ताकत है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
मिलकर गढ़ें सपनों का भारत
नन्हें कलाकारों की यह कोशिश हमें सिखाती है कि विकसित भारत केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक साझा जिम्मेदारी है। जब बच्चे सपने देखते हैं और समाज उन्हें पूरा करने की दिशा में काम करता है, तो परिवर्तन निश्चित होता है।
👉 आप बच्चों के चित्रों और उनके विचारों के बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय कमेंट में लिखें।
👉 इस खबर को शेयर करें ताकि और लोग इन बच्चों की प्रतिभा और सोच से प्रेरित हों।
👉 इसे परिवार और दोस्तों के साथ भेजें, ताकि हम सब मिलकर 2047 के सपनों का भारत गढ़ सकें।