#गिरिडीह #प्राकृतिकआपदा : बलिया पंचायत के पोखरिया कोयरिटोला में दो भाइयों का घर गिरा भारी नुकसान का अनुमान
- बलिया पंचायत के पोखरिया कोयरिटोला में शुक्रवार को आंधी-बारिश का कहर।
- बड़ा पेड़ कच्चे मकान पर गिरा, मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त।
- मकान अशोक वर्मा और कार्तिक वर्मा, पिता बिस्पत महतो का था।
- एस्बेस्टर की छत टूटकर बर्बाद, परिवार बेघर हुआ।
- नुकसान का अनुमान 60 से 70 हजार रुपए तक।
- प्रशासन से मदद और मुआवजे की गुहार।
गिरिडीह। जिले के बिरनी प्रखंड क्षेत्र के बलिया पंचायत के पोखरिया कोयरिटोला में शुक्रवार को आई तेज बारिश और आंधी ने ग्रामीणों की जिंदगी पर गहरा असर डाला। एक बड़ा पेड़ गिरकर दो सगे भाइयों के कच्चे मकान पर जा गिरा जिससे मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गया। हालांकि राहत की बात यह रही कि घटना में किसी की जान नहीं गई, लेकिन परिवार अब पूरी तरह से बेघर हो गया है और रहने-खाने के लिए गंभीर संकट का सामना कर रहा है।
घटना का विवरण
गांव के निवासी अशोक वर्मा और कार्तिक वर्मा, पिता बिस्पत महतो ने वर्षों की मेहनत से किसी तरह एक एस्बेस्टर डालकर कच्चा मकान बनाया था। शुक्रवार को अचानक मौसम ने करवट बदली और जोरदार बारिश के साथ आए आंधी में पास का एक बड़ा पेड़ उनके मकान पर गिर गया। घटना के बाद पूरा घर क्षतिग्रस्त हो गया और छत टूटकर बिखर गई।
भुक्तभोगी अशोक वर्मा ने बताया:
“हम दोनों भाइयों ने जैसे-तैसे मेहनत करके यह मकान बनाया था। अब पूरा घर टूटकर बर्बाद हो गया है। हमारे पास न छत है और न ही परिवार को संभालने का कोई सहारा।”
उन्होंने कहा कि अब परिवार को खुले आसमान तले रहना पड़ रहा है और खाने-रहने की भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
नुकसान का आकलन
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाने से लगभग 60 से 70 हजार रुपए का नुकसान हुआ है। इस नुकसान में मकान की छत, दीवारें और घरेलू सामान भी प्रभावित हुए हैं। परिवार अब पुनर्निर्माण के लिए पूरी तरह से प्रशासन और जनसहयोग पर निर्भर है।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
ग्रामीणों ने इस घटना को प्राकृतिक आपदा करार देते हुए प्रशासन से तत्काल राहत और मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि गरीब परिवारों के लिए कच्चे मकान ही एकमात्र सहारा होते हैं। यदि प्रशासन समय पर मदद नहीं करता, तो ऐसे परिवारों को जीवन यापन में गहरी दिक्कतें झेलनी पड़ेंगी।
गांव के लोगों ने संयुक्त रूप से प्रशासनिक अधिकारियों से अपील की कि पीड़ित परिवार को तुरंत राहत सामग्री और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए ताकि वे फिर से अपने जीवन को सामान्य कर सकें।
प्रशासन से उम्मीदें
ग्रामीणों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाओं में प्रशासन को तुरंत मौके पर पहुंचकर मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए। प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों के लिए जिला प्रशासन द्वारा आपदा राहत कोष का प्रावधान होता है, जिसे जल्द से जल्द लागू करने की मांग की जा रही है।
न्यूज़ देखो: बेघर हुए परिवारों की पुकार
गिरिडीह के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं से जुड़े हादसे लगातार सामने आ रहे हैं। गरीब और मजदूर तबके के परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, क्योंकि उनका घर ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है। पोखरिया कोयरिटोला के इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर किया है। प्रभावित परिवार को तुरंत राहत, मुआवजा और पुनर्निर्माण में मदद मिलनी चाहिए ताकि उनकी जिंदगी फिर से पटरी पर लौट सके।
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आपदा के समय एकजुटता ही असली ताकत
जब किसी परिवार का घर टूट जाता है, तो केवल प्रशासन ही नहीं, बल्कि समाज की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। हमें यह समझना होगा कि एकजुट होकर ही हम प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों का सहारा बन सकते हैं। अब समय है कि हम प्रशासन तक इस आवाज को पहुंचाएं और मदद के लिए आगे आएं।
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