
#सिमडेगा #आदिकर्मयोगीअभियान : ग्राम सभा और जनभागीदारी से बनेगा पांच वर्षीय विकास खाका
- आदि कर्मयोगी अभियान के तहत 292 ग्रामों में योजना।
- ग्राम सभा और संसाधन मानचित्रण से तय हुई प्राथमिकताएं।
- आदि सेवा केंद्रों में विशेष कार्यक्रम आयोजित।
- SHG की दीदियों और बच्चों ने किया जागरूकता अभियान।
- सीएसओ कला मंदिर दे रहा तकनीकी सहयोग।
- सड़क, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा पर फोकस।
सिमडेगा जिले में आदिवासी बहुल 292 ग्रामों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए “आदि कर्मयोगी अभियान” के अंतर्गत ग्राम स्तरीय पांच वर्षीय विकास योजना तैयार की जा रही है। इस दिशा में आज जिले के विभिन्न पंचायतों में स्थित आदि सेवा केंद्रों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित हुए, जहां ग्राम सभा की उपस्थिति में विकास योजनाओं का खाका तय किया गया।
ग्राम सभा और योजना निर्माण
हर चयनित गांव में आदि सेवा केंद्र स्थापित कर ग्रामीणों को शामिल किया गया। यहां ग्राम सभा के माध्यम से सामाजिक मानचित्र, संसाधन मानचित्र और ट्रांजिट वॉक जैसी विधियों से योजनाओं का संकलन हुआ। ग्रामीणों ने आपसी सहमति से उन मुद्दों को प्राथमिकता दी जिनसे उनकी बुनियादी आवश्यकताएं पूरी होंगी।
बच्चों और महिलाओं की भागीदारी
कार्यक्रम को जनसरोकार से जोड़ने के लिए बच्चों ने जागरूकता रैली निकाली और स्वयं सहायता समूह (SHG) की दीदियों ने घर-घर जाकर संवाद अभियान चलाया। इससे ग्रामीणों में भागीदारी और उत्साह और बढ़ा।
तकनीकी सहयोग और दिशा
प्रत्येक ग्राम का विलेज एक्शन प्लान तैयार करने में सीएसओ कला मंदिर की टीम सहयोग दे रही है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि गांव की प्रगति तभी संभव है जब योजनाएं स्थानीय जरूरतों पर आधारित हों और पीढ़ियों की भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाई जाएं।
अधिकारियों ने कहा: “यह योजना गांवों को आत्मनिर्भर बनाने का आधार बनेगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, रोजगार और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।”
भविष्य की प्राथमिकताएं
‘आदि कर्मयोगी अभियान’ के तहत सबसे पहले प्राथमिक विकास योजनाओं पर फोकस किया जाएगा। इन योजनाओं में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार, शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना और रोज़गार के अवसर बढ़ाना प्रमुख हैं।



न्यूज़ देखो: जनभागीदारी से विकास की नई राह
सिमडेगा के 292 आदिवासी ग्रामों में बन रही पांच वर्षीय योजना दिखाती है कि जब ग्रामीण खुद योजना निर्माण में भागीदार बनते हैं तो विकास अधिक स्थायी और प्रभावी होता है। यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए मजबूत आधार तैयार करेगी और आत्मनिर्भर गांवों की दिशा में ठोस कदम है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आत्मनिर्भर गांवों की ओर कदम
इस योजना से गांवों को सिर्फ बुनियादी सुविधाएं नहीं, बल्कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने की ताकत भी मिलेगी। जब बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सब मिलकर विकास की राह तय करेंगे तो निश्चय ही बदलाव गहरा और स्थायी होगा।
अब जरूरत है कि हम सभी इस अभियान का हिस्सा बनें, योजना क्रियान्वयन पर नजर रखें और स्थानीय स्तर पर सहयोग दें। अपनी राय कमेंट करें, खबर को शेयर करें और सशक्त गांव बनाने की इस मुहिम का हिस्सा बनें।