#रांची #मुड़मा_जतरा : राजी पाड़हा मुड़मा जतरा का आगाज, मुंडा और उरांव समाज की ऐतिहासिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का उत्सव
- 08–09 अक्टूबर 2025 को मुड़मा गाँव में आयोजित दो दिवसीय राजी पाड़हा मुड़मा जतरा का शुभारंभ हुआ।
- शक्ति खूंटा स्थल पर विधि विधान से पूजा अर्चना और जल अर्पित किया गया।
- देशभर से आए आदिवासी और मूलवासी समुदाय के लोग जतरा में शामिल हुए।
- मुंडा और उरांव समाज की ऐतिहासिक मित्रता और भाईचारे का प्रतीक।
- जतरा के माध्यम से सांस्कृतिक धरोहर, परंपरा और सामूहिकता को संरक्षित करने का प्रयास।
राजी पाड़हा मुड़मा जतरा 2025 का आगाज शक्ति खूंटा स्थल पर विधि विधान से हुआ, जहां देशभर से आए लोग पूजा अर्चना और जल अर्पित करने के लिए उपस्थित हुए। यह दो दिवसीय महोत्सव आदिवासी परंपरा, लोकनृत्य और संस्कृति का अनोखा संगम है। जतरा केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि पूर्वजों की विरासत और सामूहिक पहचान को आगे बढ़ाने का माध्यम भी है।
मुड़मा: ऐतिहासिक स्थल और सांस्कृतिक प्रतीक
मुड़मा स्थल का ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि यह मुंडा और उरांव समाज के समागम और सहयोग का प्रतीक माना जाता है। इतिहास में जब रोहतासगढ़ से उरांव समाज के लोग यहाँ पहुंचे, तब मुंडा समाज के लोगों ने उन्हें बसाने और सहयोग देने का काम किया। यही कारण है कि मुड़मा जतरा आदिवासी समाज में एकता, भाईचारे और सामूहिकता का संदेश देता है।
जातीय एकता और सांस्कृतिक उत्सव
जतरा के दौरान आदिवासी समाज के लोग लोकनृत्य, पारंपरिक गीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी परंपरा को जीवित रखते हैं। यह आयोजन पुरखों की पहचान और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण का प्रतीक है। देश के विविध हिस्सों से आने वाले लोग इसे देखने और इसमें शामिल होने आते हैं, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी बढ़ता है।
आयोजक ने कहा: “हमारा प्रयास है कि मुड़मा जतरा केवल एक उत्सव न रहे, बल्कि यह आदिवासी समाज की एकता और परंपरा का प्रतीक बनकर आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचे।”
जतरा में शामिल होने वाले सभी समुदायों के सहयोग से यह आयोजन न केवल पारंपरिक रूप से सम्पन्न होता है, बल्कि सामूहिकता, भाईचारा और सामाजिक समरसता का संदेश भी देता है।



न्यूज़ देखो: मुड़मा जतरा में संस्कृति और एकता का समागम
मुड़मा जतरा 2025 यह दर्शाता है कि आदिवासी समाज अपने इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति कितना जागरूक है। यह आयोजन सामूहिकता और भाईचारे का सशक्त संदेश देता है और समाज में एकता के मूल्यों को बनाए रखने का अवसर प्रदान करता है।
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