
#गढ़वा #सुरक्षा_सेवा : सीआरपीएफ 172 बटालियन में सेवा निवृत्त जवानों के सम्मान में भावपूर्ण विदाई समारोह आयोजित हुआ।
गढ़वा स्थित सीआरपीएफ 172 बटालियन कैंप में तीन सेवा निवृत्त कॉस्टेबलों के सम्मान में एक गरिमामय विदाई समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर लंबे समय तक देश की आंतरिक सुरक्षा में योगदान देने वाले जवानों को सम्मानित किया गया। समारोह में अधिकारियों और जवानों ने उनके साहस, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता को याद किया। यह आयोजन सेवा, अनुशासन और समर्पण की परंपरा को दर्शाने वाला रहा।
- सीआरपीएफ 172 बटालियन कैंप परिसर में विदाई समारोह का आयोजन।
- ध्रुव मांझी, अश्विनी कुमार और जगदीश चंद्र हुए सेवा निवृत्त।
- कमांडेंट अजय कुमार वर्मा ने शॉल, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मान।
- जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दी गई सेवाओं को किया गया याद।
- अधिकारियों व जवानों ने साझा किए अनुभव और भावनात्मक क्षण।
गढ़वा जिले में स्थित सीआरपीएफ 172 बटालियन के कैंप परिसर में उस समय भावनात्मक और सम्मानपूर्ण वातावरण देखने को मिला, जब बटालियन की ओर से तीन सेवा निवृत्त कॉस्टेबलों को विदाई दी गई। इस विशेष अवसर पर ध्रुव मांझी, अश्विनी कुमार एवं जगदीश चंद्र को उनके लंबे, निष्ठावान और साहसिक सेवाकाल के लिए सम्मानित किया गया।
विदाई समारोह में बटालियन के अधिकारी, जवान और अन्य कर्मी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि इन जवानों ने न केवल संगठन की गरिमा को ऊंचा रखा, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभाई।
सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक बना समारोह
समारोह के मुख्य अतिथि सीआरपीएफ 172 बटालियन के कमांडेंट अजय कुमार वर्मा रहे। उन्होंने तीनों सेवा निवृत्त जवानों को शॉल, स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। यह सम्मान उनके समर्पण, अनुशासन और राष्ट्रसेवा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक रहा।
कमांडेंट अजय कुमार वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि सीआरपीएफ देश की आंतरिक सुरक्षा की रीढ़ है और इसमें कार्यरत हर जवान राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहता है।
कमांडेंट अजय कुमार वर्मा ने कहा: “ध्रुव मांझी, अश्विनी कुमार और जगदीश चंद्र ने अपने सेवाकाल में अत्यंत संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में उत्कृष्ट कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दिया है।”
चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में निभाई अहम भूमिका
कमांडेंट वर्मा ने बताया कि तीनों सेवा निवृत्त जवानों ने जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनाती के दौरान साहस, संयम और अद्वितीय समर्पण का परिचय दिया। इन क्षेत्रों में कार्य करना न केवल शारीरिक रूप से कठिन होता है, बल्कि मानसिक रूप से भी अत्यंत चुनौतीपूर्ण माना जाता है।
उन्होंने कहा कि दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियां, प्रतिकूल मौसम और लगातार तनाव के बीच जवानों को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना पड़ता है। ऐसे माहौल में वर्षों तक सेवा देना असाधारण आत्मबल और अनुशासन की मांग करता है।
अनुशासन और आत्मबल का उदाहरण
अपने संबोधन में कमांडेंट ने कहा कि सीआरपीएफ की सेवा केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति एक संकल्प है। जवानों को नियमित दिनचर्या, कठोर प्रशिक्षण और मानसिक दृढ़ता के साथ हर परिस्थिति में तैयार रहना होता है।
उन्होंने तीनों जवानों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने न केवल इन चुनौतियों का सामना किया, बल्कि संगठन की प्रतिष्ठा और मूल्यों को भी हमेशा सर्वोपरि रखा।
सेवानिवृत्ति नहीं, नई शुरुआत
कमांडेंट अजय कुमार वर्मा ने कहा कि सेवानिवृत्ति सेवा का अंत नहीं, बल्कि जीवन के नए अध्याय की शुरुआत है। अब यह अनुभवी जवान अपने परिवार और समाज के बीच रहकर युवाओं का मार्गदर्शन कर सकते हैं और अपने अनुभवों से समाज को सशक्त बना सकते हैं।
उन्होंने तीनों सेवा निवृत्त जवानों के उत्तम स्वास्थ्य, सुखमय जीवन और उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि संगठन को उनके योगदान पर सदैव गर्व रहेगा।
साथियों ने साझा किए अनुभव
समारोह के दौरान उपस्थित अधिकारियों और जवानों ने भी सेवा निवृत्त हो रहे साथियों के साथ बिताए गए पलों और अभियानों से जुड़े अनुभव साझा किए। कई जवानों की आंखें नम दिखीं, क्योंकि वर्षों तक साथ सेवा देने के बाद विदाई का क्षण भावनात्मक बन गया।
साथियों ने कहा कि इन जवानों से उन्होंने अनुशासन, साहस और टीम भावना सीखी है, जो उनके पूरे करियर में मार्गदर्शक रहेगी।
सम्मान, स्मृति और भावनाओं के साथ समापन
विदाई समारोह का समापन भावनात्मक माहौल में हुआ। सभी उपस्थित कर्मियों ने सेवा निवृत्त जवानों को शुभकामनाएं दीं और उनके योगदान को नमन किया। यह आयोजन न केवल एक औपचारिक कार्यक्रम रहा, बल्कि सीआरपीएफ की एकता, परंपरा और सम्मान की भावना को भी दर्शाने वाला साबित हुआ।

न्यूज़ देखो: राष्ट्रसेवा की परंपरा का सशक्त उदाहरण
सीआरपीएफ 172 बटालियन का यह विदाई समारोह यह दर्शाता है कि संगठन अपने जवानों के योगदान को कभी नहीं भूलता। सेवा निवृत्ति के बाद भी सम्मान और कृतज्ञता की भावना संगठन की मजबूत संस्कृति को दर्शाती है। ऐसे आयोजन जवानों के मनोबल को बढ़ाने के साथ नई पीढ़ी को प्रेरणा भी देते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
राष्ट्रसेवा का सम्मान, समाज की जिम्मेदारी
देश की सुरक्षा में जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष समर्पित करने वाले जवानों का सम्मान करना हम सभी की जिम्मेदारी है। उनकी प्रेरक कहानियां युवाओं को सेवा और अनुशासन का मार्ग दिखाती हैं। इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट में लिखें और राष्ट्रसेवा के प्रति सम्मान की भावना को आगे बढ़ाएं।





