
#पोखरीकलां #धार्मिकआयोजन : जमाले तैयबा कमेटी द्वारा 28 नवंबर को होने वाले जलसा सह दस्तारबंदी कार्यक्रम में देशभर से आने वाले उलेमा और शायरों की विशेष शिरकत
- आयोजन का स्थान पोखरी कलां, प्रखंड बरवाडीह जिला लातेहार।
- कार्यक्रम की तिथि 28 नवंबर, जमाले तैयबा कमेटी के द्वारा आयोजन।
- जानकारी कमेटी के समसुल अंसारी ने दी।
- बिहार के प्रसिद्ध शायर जमजम वैशालवी कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
- मध्य प्रदेश के मौलाना गुलाम जिलानी अजहरी और कोलकाता के मौलाना शहबाज नूरी उपस्थित रहेंगे।
- रहूल अमीन जबलपुरी का भी जलसे में आगमन सुनिश्चित किया गया है।
ग्राम पोखरी कलां में आगामी 28 नवंबर को जमाले तैयबा कमेटी की ओर से भव्य जलसा सह दस्तारबंदी कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस धार्मिक कार्यक्रम की जानकारी समिति के समसुल अंसारी ने दी। आयोजन के लिए तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं और ग्रामीणों में इसे लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है। कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से कई प्रसिद्ध उलेमा और शायर शामिल होंगे, जिससे कार्यक्रम का महत्व और बढ़ने वाला है।
आयोजन की तैयारियाँ और प्रमुख अतिथि
जलसा सह दस्तारबंदी कार्यक्रम को लेकर जमाले तैयबा कमेटी पूरी सक्रियता के साथ तैयारियों में जुटी है। आयोजन स्थल को सजाने से लेकर आवभगत की व्यवस्था तक, सभी तैयारी समिति द्वारा व्यवस्थित की जा रही है।
आयोजन की विशेषता यह होगी कि इसमें कई प्रसिद्ध शायर और उलेमा की मौजूदगी माहौल को और भी आध्यात्मिक और प्रेरणादायक बनाएगी।
बिहार, मध्य प्रदेश और कोलकाता के नामचीन शख्सियतें होंगी शामिल
समिति द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस कार्यक्रम में
जमजम वैशालवी (बिहार),
मौलाना गुलाम जिलानी अजहरी (मध्य प्रदेश),
रहूल अमीन जबलपुरी,
और मौलाना शहबाज नूरी (कोलकाता)
शिरकत करेंगे। इन लोकप्रिय उलेमा और शायरों के आने से लोगों में विशेष उत्साह बना हुआ है।
समसुल अंसारी ने कहा: “जलसा सह दस्तारबंदी में देश के कई मशहूर उलेमा और शायरों की शिरकत होने जा रही है। हम सभी ग्रामीणों को इस कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण देते हैं।”
जलसा सह दस्तारबंदी का सामाजिक और धार्मिक महत्व
ग्रामीण क्षेत्रों में जलसा सह दस्तारबंदी सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज के बीच एकता, सद्भावना और शिक्षाप्रद संदेश देने का बड़ा माध्यम माना जाता है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से युवा समुदाय भी धार्मिक मूल्यों, तहजीब और ज्ञान से जुड़ते हैं। पोखरी कलां में आयोजित इस कार्यक्रम से न केवल स्थानीय लोगों को प्रेरणा मिलेगी, बल्कि आस-पास के क्षेत्रों से भी काफी संख्या में लोग पहुँचने की संभावना है।

न्यूज़ देखो: धार्मिक कार्यक्रमों से बढ़ती सामाजिक एकता
पोखरी कलां में होने वाला यह आयोजन इस बात का उदाहरण है कि धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम ग्रामीण समाज में एकजुटता और सकारात्मकता को मजबूत बनाते हैं। जमाले तैयबा कमेटी द्वारा ऐसे आयोजनों को सफलतापूर्वक करना समाज में आपसी सद्भाव और सहयोग की भावना को बढ़ाता है। प्रशासन और सामाजिक संगठन यदि ऐसे कार्यक्रमों को लगातार प्रोत्साहित करें तो सामुदायिक जुड़ाव और भी मजबूत होगा।
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सामुदायिक एकजुटता का उत्सव और मिलकर आगे बढ़ने का संकल्प
पोखरी कलां का यह आयोजन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक बंधनों को मजबूत करने का अवसर भी है। ऐसे जलसों से जहां धार्मिक सीख मिलती है, वहीं आपसी भाईचारे का संदेश भी दूर-दूर तक फैलता है। यह समय है कि हम सभी एक साथ मिलकर इस सकारात्मक परंपरा को आगे बढ़ाएं।
आप भी इस कार्यक्रम की जानकारी को अपने तक सीमित न रखें, इसे दूसरों तक पहुँचाएं। अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और सामुदायिक जागरूकता में अपना योगदान दें।





