Simdega

बरसलोया में जतरा मेला का भव्य आयोजन, सांस्कृतिक विरासत की झलक से गूंजा प्रांगण

Join News देखो WhatsApp Channel
#कोलेबिरा #सांस्कृतिक_उत्सव : बरसलोया में आयोजित जतरा मेला सह सांस्कृतिक कार्यक्रम में हजारों लोगों की मौजूदगी, कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियों और अतिथियों के प्रेरक संबोधन ने कार्यक्रम में उत्साह भरा।
  • युवा क्लब संघ बरसलोया द्वारा सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक जतरा मेला सह सांस्कृतिक कार्यक्रम।
  • मुख्य अतिथि अनिल कंडुलना, विशिष्ट अतिथि फिरोज अली, तथा कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति।
  • पारंपरिक ढोल–नगाड़ों, स्वागत गीत और शॉल–बुके देकर अतिथियों का स्वागत।
  • बसंती देवी, सरिता बड़ाइक, दीलिप गोप, रूपेश बड़ाइक समेत कई कलाकारों की अद्भुत प्रस्तुति।
  • हजारों की संख्या में दर्शकों की उपस्थिति, पूरे क्षेत्र में उत्सव जैसा माहौल।
  • आयोजन को सफल बनाने में युवा क्लब संघ, समिति और ग्रामवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका।

कोलेबिरा प्रखंड के बरसलोया में सोमवार को आयोजित जतरा मेला सह सांस्कृतिक कार्यक्रम ने पूरे क्षेत्र में सांस्कृतिक उत्सव का शानदार माहौल बना दिया। युवा क्लब संघ बरसलोया द्वारा आयोजित इस पूरे दिन चलने वाले कार्यक्रम में हजारों ग्रामीणों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक स्वागत, ढोल–नगाड़ों की थाप और स्वागत गीतों के साथ हुई। मंच तक अतिथियों को नृत्य–गान के साथ ले जाने की स्थानीय परंपरा ने पूरे आयोजन को और भी खूबसूरत बना दिया।

अतिथियों का शानदार पारंपरिक स्वागत

मुख्य अतिथि झामुमो जिला अध्यक्ष अनिल कंडुलना, विशिष्ट अतिथि झामुमो केंद्रीय समिति सदस्य फिरोज अली, तथा अन्य विशेष अतिथियों जैसे संदीप सद मुंडा (मुखिया), लुंदरु पहान, प्रकाश बागे, बिरिश डुंगडुंग, एल्विन समद, दीलीप बा: और दशरथ नायक का स्वागत पारंपरिक धुनों के साथ किया गया। महिला मंडल समूह ने स्वागत गान प्रस्तुत किया, वहीं समिति के सदस्यों ने अतिथियों को शॉल व बुके भेंट कर सम्मानित किया।

उद्घाटन समारोह में समिति के पदाधिकारियों और अतिथियों ने सामूहिक रूप से फीता काटकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इसके बाद लोकप्रिय गायक रुपेश बड़ाइक ने भक्ति वंदना प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय कर दिया।

“जतरा हमारी संस्कृति और एकता का प्रतीक” — अनिल कंडुलना

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अनिल कंडुलना ने ग्रामीणों को जतरा मेला की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह मेला सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, परंपरा और सांस्कृतिक जड़ों का प्रतीक है।

अनिल कंडुलना ने कहा: “सांस्कृतिक विरासत हमारे जीवन और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारे मूल्यों, विश्वासों और अपनेपन की भावना को गहराई से प्रभावित करती है। जतरा सिर्फ मेला नहीं, बल्कि हमारी परंपरा और पूर्वजों की देन है, जिसे हमें जीवंत रखना है।”

उन्होंने ग्रामीणों से क्षेत्र में सौहार्द और सहयोग बनाए रखने की अपील की और कहा कि ऐसी परंपराएं समाज को मजबूत बनाती हैं।
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि झामुमो पार्टी हमेशा क्षेत्रवासियों की समस्याओं में साथ खड़ी रहेगी।

“जतरा हमारी पहचान है” — विशिष्ट अतिथि फिरोज अली

विशिष्ट अतिथि फिरोज अली ने मेला आयोजन को भव्य और सफल बनाने के लिए समिति और ग्रामवासियों का आभार व्यक्त किया।

फिरोज अली ने कहा: “बरसलोया गांव हमारा अपना गांव है। जतरा मेला हमारी सांस्कृतिक विरासत है जो सदियों से चली आ रही है। ऐसे आयोजन हमारी कला, संस्कृति और परंपरा को जिंदा रखते हैं।”

उन्होंने ग्रामीणों को एकजुट होकर इस परंपरा को आगे बढ़ाने की अपील की।

कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियों ने जीता दर्शकों का दिल

सांस्कृतिक कार्यक्रम में झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक पहचान साफ झलकती दिखी।
मंच पर प्रस्तुतियां देने वाले प्रमुख कलाकार:

  • बसंती देवी – लोकगीत एवं नागपुरी गीत
  • सरिता बड़ाइक – पारंपरिक गीत
  • मुन्नी देवी
  • दीलिप गोप – लोकप्रिय नागपुरी प्रस्तुति
  • रूपेश बड़ाइक – भक्ति एवं ठेठ नागपुरी गीत
  • राजेश नायक
  • डांसर खुशबू कुमारी व सपना कुमारी – आकर्षक एवं ऊर्जावान नृत्य

पूरे कार्यक्रम के दौरान दर्शक उत्साह से भरे रहे। हजारों लोगों ने इन मनमोहक प्रस्तुतियों का आनंद लिया।

आयोजन समिति की महत्वपूर्ण भूमिका

जतरा मेला सह सांस्कृतिक कार्यक्रम को सफल बनाने में निम्न लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा:

  • सुनिल सिंह (अध्यक्ष)
  • नितेश दास
  • फुलजेम्स केरकेट्टा (सचिव)
  • सुरज पंडा
  • जितेंद्र साहू (कोषाध्यक्ष)
  • राजेश नायक
  • संदीप सद मुंडा (मुखिया एवं संरक्षक)
  • कुलदीप गोप, हरिहर सिंह, संगम साहू, सिरनुस डुंगडुंग, सुभाष नायक
  • समिति के अन्य पदाधिकारी, सदस्य और ग्रामवासी

मंच संचालन सूरज पंडा और जितेंद्र साहू द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया।

न्यूज़ देखो: संस्कृति को जीवित रखने की मिसाल

बरसलोया का जतरा मेला यह दर्शाता है कि ग्रामीण समाज में सांस्कृतिक पहचान कितनी गहरी है। आधुनिकता के दौर में भी परंपराओं को जिंदा रखने का यह प्रयास सराहनीय है। ऐसे आयोजन न सिर्फ कला और संस्कृति को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि सामाजिक एकता, भाईचारा और सहयोग की भावना को भी मजबूत करते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अपनी संस्कृति को जिएं—अपनी पहचान को मजबूत करें

किसी भी समाज की पहचान उसकी संस्कृति, परंपरा और सामूहिक उत्सवों से ही बनती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे आयोजन नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं और सामुदायिक रिश्तों को मजबूत करते हैं।
आप भी अपनी परंपराओं को सहेजें, स्थानीय कलाकारों का समर्थन करें, और ऐसे आयोजनों में भाग लेकर समाज को समृद्ध बनाएं।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250723-WA0070
IMG-20250610-WA0011
20251209_155512
IMG-20250925-WA0154
1000264265
IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20251017-WA0018
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Birendra Tiwari

सिमडेगा

Related News

ये खबर आपको कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें

Back to top button
error: