
#सिसई #हिन्दूशौर्यदिवस : लरंगो बरटोली से गुमला तक भगवा ध्वज और परिधान में निकली विशाल रैली—युवाओं और भगतों ने एकता, वीरता और सांस्कृतिक गौरव का दिया संदेश
- सिसई प्रखंड के पुसो थाना क्षेत्र अंतर्गत लरंगो बरटोली से रैली की शुरुआत।
- हिन्दू शौर्य दिवस के अवसर पर बड़ी संख्या में भगत और युवा हुए शामिल।
- रैली में भगवा झंडा और भगवा परिधान के साथ गूंजे “जय भवानी” के नारे।
- रैली लरंगो से गुमला तक शांतिपूर्ण ढंग से निकाली गई।
- पुसो थाना प्रभारी सहित पुलिस बल ने संभाली सुरक्षा व्यवस्था।
- आयोजन का उद्देश्य सामाजिक एकता, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रभक्ति को मजबूत करना बताया गया।
सिसई प्रखंड में हिन्दू शौर्य दिवस के अवसर पर रविवार को एक भव्य और अनुशासित रैली का आयोजन किया गया। पुसो थाना क्षेत्र अंतर्गत लरंगो बरटोली से यह विशाल रैली गुमला के लिए रवाना हुई, जिसमें बड़ी संख्या में भगतों, युवाओं और समाजसेवियों ने भाग लिया। रैली के दौरान पूरा क्षेत्र भगवा रंग में रंगा नजर आया और “जय भवानी” के गगनभेदी नारों से वातावरण भक्तिमय और राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत हो उठा। आयोजन शांतिपूर्ण रहा और लोगों में उत्साह का माहौल देखा गया।
लरंगो बरटोली से हुई रैली की भव्य शुरुआत
हिन्दू शौर्य दिवस के अवसर पर रैली की शुरुआत लरंगो बरटोली से हुई, जहां सुबह से ही श्रद्धालुओं और युवाओं का जुटान शुरू हो गया था। भगवा झंडा थामे और भगवा परिधान में सजे प्रतिभागियों ने एकजुट होकर रैली में भाग लिया। रैली शुरू होने से पहले आयोजकों ने सभी प्रतिभागियों से अनुशासन और शांति बनाए रखने की अपील की, जिसका सभी ने पालन किया।
रैली के दौरान युवाओं में खासा उत्साह देखने को मिला। हाथों में झंडा और मुख से “जय भवानी” के नारे लगाते हुए प्रतिभागी पूरे मार्ग में आगे बढ़ते रहे।
एकता, वीरता और सांस्कृतिक गौरव का संदेश
रैली में शामिल भगतों और युवाओं ने हिन्दू समाज की एकता, वीरता और सांस्कृतिक गौरव का संदेश दिया। यह रैली किसी विरोध के लिए नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और अपनी सांस्कृतिक पहचान को सशक्त करने के उद्देश्य से निकाली गई।
आयोजकों का कहना था कि हिन्दू शौर्य दिवस ऐसे वीरों और परंपराओं की स्मृति का दिन है, जिन्होंने समाज और राष्ट्र के लिए बलिदान दिया। इस दिन का उद्देश्य नई पीढ़ी को अपने इतिहास और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ना है।
मार्ग में मिला लोगों का समर्थन और स्वागत
रैली लरंगो से विभिन्न मार्गों से होते हुए गुमला की ओर रवाना हुई। मार्ग में पड़ने वाले गांवों और बस्तियों में स्थानीय लोगों ने रैली का स्वागत किया। कहीं लोगों ने हाथ जोड़कर अभिनंदन किया तो कहीं रैली में शामिल होकर समर्थन जताया।
स्थानीय निवासियों ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं और लोगों को एक-दूसरे के करीब लाते हैं। पूरे मार्ग में उत्साह और अनुशासन का माहौल बना रहा।
सुरक्षा व्यवस्था रही चाक-चौबंद
रैली के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो, इसके लिए पुसो थाना प्रभारी सहित पुलिस बल के जवान पूरे समय मुस्तैद रहे। रैली के आगे और पीछे पुलिस बल तैनात रहा और यातायात व्यवस्था को भी सुचारू रखा गया।
प्रशासन की सतर्कता और रैली में शामिल लोगों के सहयोग से आयोजन पूरी तरह शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से संपन्न हुआ। पुलिस प्रशासन ने भी रैली के अनुशासन और सहयोग की सराहना की।
आयोजकों ने बताए हिन्दू शौर्य दिवस के उद्देश्य
आयोजकों ने बताया कि हिन्दू शौर्य दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज में आपसी भाईचारे, संस्कृति संरक्षण और देश के प्रति समर्पण की भावना को मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन युवाओं को सकारात्मक दिशा देते हैं और उन्हें सामाजिक दायित्वों के प्रति जागरूक बनाते हैं।
आयोजकों का मानना है कि जब युवा संगठित होकर अपनी संस्कृति और मूल्यों को समझते हैं, तभी समाज मजबूत बनता है। इस रैली के माध्यम से यही संदेश दिया गया।
सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक
रैली के सफल आयोजन से क्षेत्र में सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक चेतना का संदेश गया। लोगों ने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आस्था और संस्कृति को अभिव्यक्त करना लोकतंत्र की खूबसूरती है। “जय भवानी” के नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा और वातावरण उत्सव जैसा बना रहा।
न्यूज़ देखो: शांति और अनुशासन के साथ सांस्कृतिक अभिव्यक्ति
लरंगो से गुमला तक निकली यह रैली दिखाती है कि सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन यदि अनुशासन और शांति के साथ हों, तो वे समाज को जोड़ने का काम करते हैं। प्रशासन की सतर्कता और आयोजकों की जिम्मेदारी ने इसे सफल बनाया। ऐसे आयोजनों में कानून-व्यवस्था और आपसी सौहार्द बनाए रखना बेहद जरूरी है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
एकता और अनुशासन से ही मजबूत बनता है समाज
हिन्दू शौर्य दिवस पर निकली यह रैली केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और युवाओं को सकारात्मक दिशा देने का प्रयास है। जब सांस्कृतिक अभिव्यक्ति शांति, अनुशासन और आपसी सम्मान के साथ होती है, तो वह समाज को नई ऊर्जा देती है। ऐसे प्रयास सामाजिक समरसता की नींव को और मजबूत करते हैं।





