
#चैनपुर #रथयात्रा : टिनटागर गांव में हजारों भक्तों ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में लिया हिस्सा — मौसीबाड़ी तक श्रद्धा और उल्लास से खींचा गया रथ, पूरे गांव में छाया भक्ति का माहौल
- सुबह से शुरू हुई विधिवत पूजा, मुख्य पुजारी ने किया अनुष्ठान
- भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की झलक पाने उमड़ा जनसैलाब
- शाम को भक्तों ने रथ खींचकर मौसीबाड़ी तक पहुंचाया
- पीठा और मिठाइयों की दुकानों से सजा मेला, सांस्कृतिक रंग में रंगा टिनटागर
- पुलिस, मजिस्ट्रेट और स्वास्थ्यकर्मी तैनात, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम
चैनपुर प्रखंड के टिनटागर गांव में शुक्रवार को आयोजित भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा श्रद्धा, संस्कृति और समर्पण का एक अनुपम उदाहरण बनी। सुबह से ही पूजा-पाठ की तैयारियां जोरों पर थीं। मुख्य पुजारी द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अनुष्ठान संपन्न हुआ। इसके बाद भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथ पर विराजमान कर यात्रा का शुभारंभ किया गया।
मौसीबाड़ी तक भक्तों ने खींचा रथ
शाम 5 बजे, पूरे उत्साह के साथ भक्तों ने रथ को खींचते हुए मौसीबाड़ी तक पहुंचाया। इस दौरान चारों ओर ‘जय जगन्नाथ’ के नारों से वातावरण गूंज उठा। गांव की गलियों में धार्मिक झांकियां, ढोल-नगाड़े, भजन मंडलियों का उत्सवमय माहौल नजर आया।
मेले में पीठा बना आकर्षण का केंद्र
रथ यात्रा के साथ-साथ जगन्नाथ मेला भी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। मेले में मिठाइयों की दुकानों के साथ-साथ पारंपरिक झारखंडी व्यंजन, खासकर ‘चावल से बने पीठा’ की बिक्री खूब हुई। गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने उत्सव का आनंद लिया।
सुरक्षा और प्रबंधन में कोई कोताही नहीं
चैनपुर थाना के एसआई दिनेश कुमार, एएसआई धर्मपाल लुगुन, मजिस्ट्रेट उज्ज्वल मिंज एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर मौजूद रही। प्रशासन की ओर से यात्रा मार्ग पर बैरिकेडिंग, मेडिकल किट, और शुद्ध जल की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी। किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो, इसके लिए ग्रामीण स्वयंसेवकों की टीम भी बनाई गई थी।
टिनटागर की परंपरा और सांस्कृतिक पहचान
यह रथ यात्रा टिनटागर गांव की धार्मिक परंपरा और सांस्कृतिक जीवंतता का सशक्त प्रमाण है। वर्षों से यहां रथयात्रा और मेले का आयोजन ग्रामवासियों के सहयोग से बेहद भव्य तरीके से किया जाता रहा है।



न्यूज़ देखो: ग्रामीण आस्था की अद्भुत शक्ति
टिनटागर की रथ यात्रा केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि गांव के लोगों की आस्था, एकजुटता और संस्कृति का प्रतीक है। रथ खींचते हुए श्रद्धालुओं की आंखों में जो उत्साह था, वह बताता है कि परंपराएं कैसे एक पीढ़ी से दूसरी तक जीवित रहती हैं।
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