
#पलामू #आध्यात्मिक_महोत्सव : जीवन के शाश्वत सत्य और आत्मबोध का संदेश देगा विराट शिव गुरु महोत्सव।
लेस्लीगंज प्रखंड के झरहा स्थित अमानत नदी तट पर 25 दिसंबर को विराट शिव गुरु महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। महोत्सव का मुख्य विषय “आगमन है तो प्रस्थान भी होगी” रखा गया है, जो जीवन की क्षणभंगुरता और आत्मबोध पर केंद्रित है। इस अवसर पर भाई धनंजय की विशेष आध्यात्मिक वार्ता होगी, जिसमें जीवन दर्शन और वैराग्य का संदेश दिया जाएगा। आयोजन का उद्देश्य समाज को आत्मचिंतन और संतुलित जीवन की दिशा देना है।
- 25 दिसंबर को अमानत नदी तट, झरहा लेस्लीगंज में महोत्सव का आयोजन।
- महोत्सव का विषय “आगमन है तो प्रस्थान भी होगी”।
- भाई धनंजय करेंगे विशेष आध्यात्मिक प्रवचन।
- कार्यक्रम सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक चलेगा।
- शिव शिष्य परिवार द्वारा आत्मबोध और गुरु परंपरा का संदेश।
लेस्लीगंज/नीलांबर–पीतांबरपुर क्षेत्र में आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने के उद्देश्य से आगामी 25 दिसंबर को झरहा स्थित अमानत नदी तट पर विराट शिव गुरु महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह महोत्सव जीवन के शाश्वत सत्य “आगमन है तो प्रस्थान भी होगी” को केंद्र में रखकर आयोजित किया जा रहा है, जो मानव जीवन की अस्थिरता, आत्मबोध और संतुलन का गहन संदेश देता है। आयोजन को लेकर क्षेत्र में उत्साह का माहौल है और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
महोत्सव का आयोजन सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक किया जाएगा, जिसमें आध्यात्मिक प्रवचन, विचार-संवाद और शिव तत्व से जुड़े संदेश प्रस्तुत किए जाएंगे। आयोजकों के अनुसार, यह कार्यक्रम केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि जीवन को सही दृष्टि से समझने का एक मंच है।
जीवन के शाश्वत सत्य पर केंद्रित महोत्सव
इस विराट शिव गुरु महोत्सव का मुख्य विषय “आगमन है तो प्रस्थान भी होगी” रखा गया है, जो यह स्मरण कराता है कि जन्म और मृत्यु जीवन के अपरिहार्य सत्य हैं। मनुष्य जीवन में उपलब्धियों, संग्रह और भौतिक सुखों में इतना उलझ जाता है कि वह जीवन के वास्तविक उद्देश्य को भूलने लगता है। इस महोत्सव के माध्यम से इसी सत्य की ओर समाज का ध्यान आकर्षित किया जाएगा।
आयोजकों का कहना है कि आज के समय में जब तनाव, प्रतिस्पर्धा और असंतुलन बढ़ता जा रहा है, तब ऐसे आध्यात्मिक आयोजन लोगों को आत्मचिंतन का अवसर प्रदान करते हैं।
भाई धनंजय की विशेष आध्यात्मिक वार्ता
महोत्सव का प्रमुख आकर्षण भाई धनंजय की विशेष आध्यात्मिक वार्ता होगी। वे अपने प्रवचन में आगमन और प्रस्थान के गहन अर्थ को समझाते हुए जीवन की क्षणभंगुरता, वैराग्य और संतुलित सोच पर प्रकाश डालेंगे। उनके प्रवचन के माध्यम से श्रोताओं को यह संदेश दिया जाएगा कि जीवन केवल भोग और संग्रह का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मिक विकास का अवसर भी है।
भाई धनंजय अपने आध्यात्मिक अनुभवों और गुरु परंपरा के विचारों के माध्यम से यह समझाने का प्रयास करेंगे कि मृत्यु का स्मरण जीवन को भयभीत करने के लिए नहीं, बल्कि उसे सार्थक बनाने के लिए आवश्यक है।
शिव शिष्य परिवार का उद्देश्य और दृष्टिकोण
शिव शिष्य परिवार के राष्ट्रीय संरक्षक भाई अमन सिंह ने बताया कि यह महोत्सव समाज को आत्मचिंतन की नई दिशा देने वाला सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि जब तक मनुष्य आगमन और प्रस्थान के सत्य को नहीं समझता, तब तक वह संतुलित और शांत जीवन नहीं जी सकता।
भाई अमन सिंह ने कहा:
“आज का मनुष्य केवल उपलब्धि और संग्रह में ही स्वयं को सीमित कर रहा है। ऐसे में शिव गुरु महोत्सव के माध्यम से शिव तत्व, गुरु परंपरा और आत्मबोध का संदेश जन-जन तक पहुंचाना हमारा उद्देश्य है।”
उन्होंने बताया कि शिव तत्व जीवन में संतुलन, करुणा और चेतना का प्रतीक है, जिसे अपनाकर व्यक्ति अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को बेहतर बना सकता है।
अमानत नदी तट पर आध्यात्मिक वातावरण
झरहा स्थित अमानत नदी तट को इस महोत्सव के लिए विशेष रूप से चुना गया है। प्राकृतिक वातावरण, नदी का शांत प्रवाह और खुला परिसर इस आयोजन को और भी आध्यात्मिक बना देगा। आयोजकों का मानना है कि प्रकृति के सान्निध्य में किया गया चिंतन आत्मबोध को और गहरा करता है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस तरह के आयोजन से न केवल आध्यात्मिक चेतना बढ़ती है, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान भी मजबूत होती है।
समाज के लिए संदेश और अपेक्षाएं
विराट शिव गुरु महोत्सव का उद्देश्य केवल प्रवचन सुनना नहीं, बल्कि जीवन के प्रति दृष्टिकोण को बदलना है। आयोजकों ने अपील की है कि लोग परिवार सहित इस महोत्सव में शामिल होकर जीवन के इस शाश्वत सत्य को समझने का प्रयास करें।
यह महोत्सव समाज में वैराग्य नहीं, बल्कि विवेक और संतुलन का संदेश देता है, जिससे व्यक्ति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए भी आंतरिक शांति प्राप्त कर सके।
न्यूज़ देखो: आत्मचिंतन की ओर एक कदम
विराट शिव गुरु महोत्सव जैसे आयोजन आज के भौतिकवादी दौर में आत्मचिंतन की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। जीवन के आगमन और प्रस्थान के सत्य को समझना समाज को संतुलित बना सकता है। अब देखना होगा कि ऐसे आयोजनों से कितने लोग अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला पाते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जीवन को समझने का अवसर
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