
#पांडू #जन्माष्टमी : दरुआ गांव में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भजन-कीर्तन और रात्रि जागरण से गूंजेगा भक्तिरस
- भगवान मदना गोपाल की भव्य पूजा आज मध्यरात्रि 12 बजे दरुआ गांव में होगी।
- श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन में शामिल होगी।
- तीसरे वर्ष लगातार यहां जन्माष्टमी का आयोजन किया जा रहा है।
- रात्रि जागरण और लीलाओं का वर्णन भक्तों को आध्यात्मिक आनंद में डुबो देगा।
- स्थानीय पत्रकार तीर्थ राज दुबे के अनुसार हर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है और अगले वर्ष इसे और भव्य बनाने की योजना है।
पांडू प्रखण्ड के दरुआ गांव में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भक्तिरस का माहौल बनने जा रहा है। मध्यरात्रि से शुरू होने वाली भव्य पूजा में गांव के श्रद्धालु भगवान मदना गोपाल की आराधना और भजन-कीर्तन में भाग लेंगे। लगातार तीसरे वर्ष आयोजित इस आयोजन से गांव में आध्यात्मिक ऊर्जा और उत्साह का संचार होगा।
भक्तों की सहभागिता और पूजा का भव्य स्वरूप
दरुआ गांव में जन्माष्टमी का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समुदाय में एकता और सामाजिक मेल-जोल का भी प्रतीक बन चुका है। श्रद्धालु भजन-कीर्तन में भाग लेकर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का आनंद लेंगे और रात्रि जागरण में भक्तिरस में डूबेंगे।
तीर्थ राज दुबे: “हर वर्ष यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। अगले साल इसे और भी भव्य रूप दिया जाएगा।”
यह स्पष्ट है कि इस आयोजन की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और आने वाले वर्षों में इसका स्वरूप और भव्य होगा।
गांव में उत्साह और तैयारी का माहौल
गांव में पहले से ही पूजा और आयोजन को लेकर तैयारियों का माहौल है। श्रद्धालु अपने-अपने घरों और मंदिरों में सजावट कर रहे हैं। भजन-कीर्तन के लिए मंच सजाया जा रहा है और रात्रि जागरण के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। यह आयोजन गांव के लोगों के लिए आध्यात्मिक अनुभव के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी अवसर प्रदान करता है।
भक्तिरस और सामाजिक समर्पण
भक्तों की सहभागिता से यह आयोजन केवल धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि सामाजिक एकता का भी माध्यम बनता है। युवा और बुजुर्ग सभी मिलकर पूजा, भजन और कीर्तन में भाग लेते हैं, जिससे गांव में सकारात्मक ऊर्जा और सामूहिक उत्साह का संचार होता है।
न्यूज़ देखो: भक्ति और समाज में सामूहिक ऊर्जा का प्रतीक
दरुआ गांव में जन्माष्टमी का यह आयोजन दिखाता है कि धार्मिक उत्सव केवल आध्यात्मिक आनंद ही नहीं, बल्कि समाज में एकता और सहयोग को बढ़ावा देने का साधन भी बनते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
भक्ति और सामूहिक उत्साह में शामिल होने का संदेश
इस जन्माष्टमी आयोजन से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों में सहभागिता से समाज में सकारात्मक बदलाव और सामूहिक ऊर्जा का संचार होता है।
अब समय है कि हम सभी इस भक्ति और उत्साह में योगदान दें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि जागरूकता और सामूहिक आनंद फैल सके।