
#गिरिडीह #प्रवासीमजदूर : गुजरात में काम कर रहे ताहीर अंसारी की टावर लाइन में हुई मौत — तीन बेटे, एक बेटी और बेबस परिवार
- सरिया थाना क्षेत्र के चिरवां गांव के ताहीर अंसारी की गुजरात में सोमवार को मौत।
- टावर लाइन में मजदूरी करते थे, परिवार के अकेले कमाने वाले थे।
- पीछे 13, 10 और 7 साल के बेटे और 5 साल की बेटी छोड़ गए।
- सिकंदर अली ने जताया शोक, प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा पर उठे सवाल।
- मौत की खबर सुनते ही गांव में मातम, परिजन सदमे में।
गुजरात में हादसे की भेंट चढ़ा सरिया का ताहीर
गिरिडीह जिले के सरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत कपलों पंचायत के चिरवां गांव से प्रवासी मजदूर के रूप में गुजरात गए 35 वर्षीय ताहीर अंसारी की सोमवार को मौत हो गई।
वे गुजरात में टावर लाइन के निर्माण कार्य में मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहे थे। परिजनों को जैसे ही यह दुखद खबर मिली, पूरे गांव में मातम का माहौल बन गया।
इकलौते कमाऊ सदस्य की मौत से टूटा परिवार
ताहीर अंसारी, स्वर्गीय सुलेमान अंसारी के पुत्र थे और परिवार के अकेले कमाने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने अपने पीछे तीन पुत्र — साहिल अंसारी (13), शोएब राजा (10), चांद अंसारी (7) और एक पुत्री — समीरा खातून (5) को छोड़ दिया है।
अब परिवार के सामने आर्थिक संकट, शिक्षा, और जीवन निर्वाह की गंभीर चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं।
शोक में डूबा चिरवां गांव
इस दर्दनाक हादसे की सूचना मिलते ही ताहीर के गांव चिरवां में गहरा शोक व्याप्त हो गया। परिवार के सदस्य, रिश्तेदार और स्थानीय ग्रामीण उनकी निर्दोष मौत पर दुख व्यक्त कर रहे हैं। ताहीर की ईमानदारी, मेहनत और पारिवारिक जिम्मेदारी के लिए गांव में उन्हें बहुत सम्मान दिया जाता था।
प्रवासी हित चिंतक सिकंदर अली ने कहा: “ताहीर जैसे मजदूर पूरे देश की रीढ़ हैं। सरकार को चाहिए कि प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा और बीमा व्यवस्था मजबूत करे। हम हर संभव मदद करेंगे।”
प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा पर उठते सवाल
ताहीर की मौत सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि यह सवाल है — आखिर कब तक हमारे प्रवासी श्रमिक बिना सुरक्षा उपकरणों, बीमा, और मजदूर हित योजनाओं के बिना जान गंवाते रहेंगे? गुजरात जैसे औद्योगिक प्रदेशों में प्रवासी कामगारों की सुरक्षा की निगरानी अब और जरूरी हो गई है।
न्यूज़ देखो: प्रवासी मज़दूरों की अनदेखी कब तक?
ताहीर अंसारी की मौत प्रवासी श्रमिकों की खामोश पीड़ा का आइना है। वे जो गांव से दूर, सीमित साधनों में अपने परिवार के लिए सब कुछ दांव पर लगाते हैं, उनकी मौत व्यवस्था की चूक नहीं तो और क्या?
न्यूज़ देखो इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करता है और सरकार व समाज से अपील करता है कि प्रवासी मज़दूरों की सुरक्षा, बीमा और सम्मान सुनिश्चित किया जाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संवेदनशील नागरिक बनें, साथ खड़े हों
आज ताहीर नहीं रहे, लेकिन उनका परिवार ज़िंदा है — संकट में, असहाय। आइए, इस खबर को शेयर करें, टिप्पणी करें, और जो सक्षम हैं वे मदद के लिए आगे आएं। एक संवेदनशील समाज ही सच्चे लोकतंत्र की पहचान है।