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बरवाडीह में सावन की पहली सोमवारी पर उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

#बरवाडीह #सावन_सोमवार : पहाड़ी शिव मंदिर में सुबह से लगा श्रद्धा का मेला — जलाभिषेक के लिए उमड़े भोलेनाथ के भक्त

शिव आराधना के रंग में रंगा बरवाडीह, हर-हर महादेव से गूंजा क्षेत्र

लातेहार जिला के बरवाडीह प्रखंड में सावन की पहली सोमवारी पर श्रद्धा और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिला। खासकर बरवाडीह का पहाड़ी शिव मंदिर और कुटमू, सरईडीह, लाभर नाका, मंडल, कंचनपुर पहाड़, कुटमू बड़का पुल आदि स्थानों के शिवालयों में भोर से ही शिवभक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। श्रद्धालु जल कलश लेकर “हर हर महादेव” और “बोल बम” के जयघोष करते हुए मंदिरों में पहुंचे।

सुबह 4 बजे खोला गया बाबा का पट, श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

बरवाडीह के प्रसिद्ध पहाड़ी शिव मंदिर में सोमवार तड़के सुबह 04:00 बजे ही बाबा भोलेनाथ का पट खोल दिया गया, ताकि श्रद्धालु आसानी से जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और पूजन कर सकें। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों सभी की उपस्थिति से मंदिर प्रांगण भक्ति से सराबोर रहा।

पुजारी बल्लू मिश्रा ने बताया कि सावन माह में सोमवार के दिन शिव आराधना का विशेष महत्व होता है। उनका कहना था:

बल्लू मिश्रा ने कहा: “जो भक्त श्रद्धा और नियम से सोमवार को व्रत करता है, भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भोलेनाथ अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं।”

अन्य शिवालयों में भी दिखी आस्था की गूंज

सिर्फ पहाड़ी मंदिर ही नहीं, बल्कि पूरे बरवाडीह प्रखंड में कुटमू शिव मंदिर, सरईडीह, मंडल, लाभर नाका जैसे क्षेत्रों में स्थित शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। इन मंदिरों में स्थानीय युवाओं और ग्रामीण समितियों की मदद से भक्तों को जल चढ़ाने के लिए लाइन और व्यवस्था बनाई गई थी।

श्रद्धालु परिवार के साथ मंदिरों में पहुंचकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर रहे थे। वहीं कई मंदिरों में कीर्तन, भजन और भंडारे का आयोजन भी किया गया, जिससे माहौल पूरी तरह धार्मिक और आध्यात्मिक बन गया।

स्थानीय लोग निभा रहे हैं सहयोगी भूमिका

श्रावण सोमवारी के सफल आयोजन में स्थानीय युवकों, ग्रामीण समितियों और मंदिर कमेटियों ने खास भूमिका निभाई। जल, प्रसाद वितरण, लाइन प्रबंधन और साफ-सफाई की जिम्मेदारी निभाते हुए उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी श्रद्धालु असुविधा का शिकार न हो।

न्यूज़ देखो: आस्था और अनुशासन का अद्भुत समन्वय

बरवाडीह की सोमवारी ने यह दिखाया कि जब आस्था और अनुशासन साथ चलते हैं, तो आयोजनों में दिव्यता स्वतः आती है। न्यूज़ देखो इस सामूहिक श्रद्धा, सामाजिक सहभागिता और अनुशासन को सलाम करता है। ऐसे आयोजनों से सांस्कृतिक विरासत जीवंत होती है और सामाजिक समरसता भी सशक्त होती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

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आप भी इस सोमवारी की तस्वीरें, अनुभव और भावनाएं हमारे साथ साझा करें। इस लेख को अपने दोस्तों और परिवारजनों के साथ जरूर शेयर करें — ताकि हर घर तक पहुंचे शिवभक्ति की यह ऊर्जा और झारखंड की सांस्कृतिक महिमा।

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