#पटना #वक्फबचाओदस्तूरबचाओ — केंद्र सरकार के संशोधित वक्फ कानून के खिलाफ देशभर से नेता और समाजसेवी जुटेंगे गांधी मैदान में
- केंद्र सरकार के संभावित वक्फ एक्ट संशोधन पर देशभर में बढ़ा विरोध
- 29 जून को गांधी मैदान में होगा ‘वक्फ बचाओ-दस्तूर बचाओ’ सम्मेलन
- मौलाना फैसल रहमानी बोले: यह कानून वक्फ संपत्तियों को खत्म करने की साजिश
- JPC की प्रक्रिया को बताया एकपक्षीय, ड्रैकोनियन प्रावधानों का आरोप
- यूपी में 1.37 लाख वक्फ संपत्तियों में सिर्फ 4000 ही बचेंगी, रिपोर्ट का दावा
केंद्र के वक्फ कानून संशोधन पर उठे सख्त सवाल
पटना में 29 जून को होने वाले “वक्फ बचाओ-दस्तूर बचाओ सम्मेलन” को लेकर तैयारियाँ तेज हो गई हैं। इमारत ए मरकज़िया के इमारत ए शरियत मौलाना अहमद फैसल रहमानी ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस कानून को “खतरनाक” और “गिरोहबद्ध तरीके से लागू” किया गया बताया। उनका आरोप है कि इससे देश की धार्मिक-सामाजिक संरचना पर व्यापक असर पड़ेगा।
संसद समिति की प्रक्रिया पर उठे सवाल
मौलाना रहमानी ने बताया कि यह कानून बिना पारदर्शिता के बनाया गया। उन्होंने कहा कि जब यह बिल संसद में आया, तब इसे रोकना चाहिए था लेकिन बाद में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया। वहाँ भी केवल एकतरफा चर्चा हुई। समिति में बोलने वालों को एक या डेढ़ मिनट का ही समय दिया गया।
मौलाना अहमद फैसल रहमानी ने कहा: “इस कानून के जरिए वक्फ संपत्तियों को मिटाने की साजिश है। JPC ने भी निष्पक्ष भूमिका नहीं निभाई। यह बिल पहले से कहीं अधिक कठोर और दमनकारी बना दिया गया है।”
यूपी में वक्फ संपत्तियों के मूल्यांकन से बढ़ी चिंता
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक प्रमुख अंग्रेज़ी अखबार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने नए वक्फ कानून के तहत वक्फ संपत्तियों का मूल्यांकन शुरू कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 1.37 लाख वक्फ संपत्तियाँ दर्ज हैं, लेकिन सरकारी प्रक्रिया के बाद सिर्फ 4000 संपत्तियाँ ही बचेंगी। वक्ताओं ने यह संख्या शून्य तक पहुंचने की आशंका जताई।
गांधी मैदान में होगा सर्वधर्म सम्मेलन
इन परिस्थितियों के विरोध में, 29 जून को पटना के गांधी मैदान में “वक्फ बचाओ-दस्तूर बचाओ सम्मेलन” का आयोजन किया गया है। इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, दलित, पिछड़े, आदिवासी सहित सभी वर्गों के लोगों को आमंत्रित किया गया है। आयोजकों ने कहा कि यह सिर्फ एक मुस्लिम मुद्दा नहीं, बल्कि देश की संवैधानिक विविधता को बचाने की लड़ाई है।
उन्होंने बताया कि पहले 3.66 करोड़ ईमेल और ज्ञापन भेजे गए, पर कोई असर नहीं हुआ। अब जनता “जिस्मानी तौर पर” गांधी मैदान में एकत्र होकर लोकतांत्रिक संस्थाओं को अपनी आवाज़ सुनाएगी।
न्यूज़ देखो: संविधान की आत्मा बचाने का जनसंकल्प
केंद्र सरकार के वक्फ कानून संशोधन को लेकर देशभर में जो उबाल है, वह केवल एक समुदाय का नहीं, बल्कि संविधान की आत्मा और लोकतांत्रिक मूल्यों का सवाल है। पटना में होने वाला यह सम्मेलन एक बड़ा संदेश देगा कि भारत की विविधता, उसकी समानता, और उसकी धर्मनिरपेक्षता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। न्यूज़ देखो ऐसे हर जनसंकल्प के साथ खड़ा है जो सामाजिक न्याय, अधिकारों और संविधान की रक्षा के लिए उठता है।
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साझा आवाज़, साझा अधिकार – एकजुटता से ही बदलाव संभव
किसी भी लोकतंत्र की ताकत उसकी जनता की चेतना होती है। अगर कोई कानून लोगों की भावनाओं, आस्थाओं और अधिकारों को कुचलता है, तो उसे सांवैधानिक तरीके से चुनौती देना हर नागरिक का कर्तव्य है। आइए इस खबर को अपने मित्रों और परिवारजनों के साथ शेयर करें, अपनी राय रखें, और एकजुट होकर बदलाव की राह बनाएं।