
#सरयू #विश्वआदिवासीदिवस : पारंपरिक नृत्य-गीत और ढोल-मांदर की गूंज के बीच ऐतिहासिक नायकों को नमन
- ज़िप सदस्य बुद्धेश्वर उरांव के नेतृत्व में विशाल शोभायात्रा आयोजित।
- विभिन्न गांवों से आदिवासी समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए।
- ढोल-मांदर, नृत्य और गीतों से गूंजा सरयू प्रखंड।
- नीलाम्बर-पीताम्बर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि।
- वक्ताओं ने एकता, संस्कृति और अधिकारों के संरक्षण पर जोर दिया।
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सरयू प्रखंड में सांस्कृतिक गौरव, भाईचारे और उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिला। पारंपरिक नृत्य-गीत, ढोल-मांदर की थाप और रंग-बिरंगे परिधानों में सजे प्रतिभागियों ने नीलाम्बर-पीताम्बर जैसे ऐतिहासिक नायकों को श्रद्धांजलि दी, जिससे पूरा माहौल उत्साह और गर्व से भर गया।
सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत प्रदर्शन
इस भव्य शोभायात्रा की खासियत रही आदिवासी समाज के लोगों का पारंपरिक वेशभूषा में सजकर, अपने पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ जुलूस में शामिल होना। ढोल-मांदर की थाप और लोकगीतों की गूंज ने पूरे सरयू प्रखंड को एक जीवंत सांस्कृतिक मंच में बदल दिया। महिलाएं और पुरुष, युवा और बुजुर्ग — सभी ने मिलकर अपनी संस्कृति की झलक पेश की, जो आदिवासी जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है।
नीलाम्बर-पीताम्बर को श्रद्धांजलि
शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण रहा ऐतिहासिक स्वतंत्रता सेनानी नीलाम्बर और पीताम्बर की प्रतिमा पर माल्यार्पण। इन वीर भाइयों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष में अपना बलिदान दिया था। प्रतिभागियों ने उनके योगदान को याद करते हुए संकल्प लिया कि उनकी विरासत और संघर्ष की भावना को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाया जाएगा।
वक्ताओं का संदेश
इस अवसर पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने आदिवासी समाज की एकता और संस्कृति के संरक्षण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज के समय में अपनी परंपराओं को जीवित रखना ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, और इसके लिए हर व्यक्ति को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। साथ ही, समाज के अधिकारों की रक्षा और युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़े रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।
स्थानीय भागीदारी और उत्साह
सरयू क्षेत्र के तमाम गांवों से लोग इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर वर्ग के लोगों ने इस दिन को विशेष बनाने में योगदान दिया। स्थानीय बाजारों और गलियों में भी इस अवसर पर चहल-पहल रही, जहां लोग रंगीन कपड़ों और उत्सवी माहौल का आनंद लेते नजर आए।
न्यूज़ देखो: आदिवासी गौरव का जीवंत उदाहरण
विश्व आदिवासी दिवस पर सरयू की यह भव्य शोभायात्रा न केवल संस्कृति का प्रदर्शन थी, बल्कि एकता और गौरव का प्रतीक भी। ऐसे आयोजन यह साबित करते हैं कि परंपराओं को संजोकर रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अपनी संस्कृति को गर्व से अपनाएं
यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारी जड़ें हमारी पहचान हैं। अब समय है कि हम अपनी परंपराओं और इतिहास को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें, ताकि यह संदेश और दूर तक पहुंचे।