#गिरिडीह #टीबीमुक्तअभियान : सदर अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम में मरीजों को पोषण किट सौंपते हुए समाजसेवा की मिसाल पेश की गई
- जिला समाज कल्याण पदाधिकारी स्नेह कश्यप ने 5 टीबी मरीजों को गोद लिया
- हर मरीज को 6 महीने तक मिलेगा नियमित पोषण आहार
- कार्यक्रम में जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. रेखा झा समेत स्वास्थ्य विभाग की टीम रही मौजूद
- मानवीय पहल की सराहना करते हुए विभाग ने जताया आभार
- सक्षम लोगों से टीबी मरीजों को गोद लेने की अपील
गिरिडीह में समाजसेवा से जुड़ी नई मिसाल
गिरिडीह के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी स्नेह कश्यप ने मंगलवार को सदर अस्पताल परिसर में पांच टीबी मरीजों को गोद लिया और उन्हें पोषाहार किट प्रदान की। इस मौके पर उन्होंने मरीजों को आश्वासन दिया कि आने वाले 6 महीनों तक उन्हें नियमित रूप से पोषण आहार उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि इलाज के दौरान उनकी शारीरिक स्थिति बेहतर बनी रहे।
कार्यक्रम के दौरान जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. रेखा झा, स्वास्थ्य विभाग की टीम, और अन्य मेडिकल कर्मी भी मौजूद रहे।
स्वास्थ्य विभाग ने जताया आभार
इस मानवीय कदम के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से समाज कल्याण पदाधिकारी स्नेह कश्यप को धन्यवाद दिया गया।
टीबी जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए पोषण आहार उनकी रिकवरी में अहम भूमिका निभाता है।
कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारियों ने इसे एक प्रेरणादायक पहल बताते हुए इसे जिले में टीबी उन्मूलन अभियान को गति देने वाला कदम करार दिया।
सक्षम लोगों से सहयोग की अपील
स्नेह कश्यप ने इस अवसर पर समाज के अन्य सक्षम, जागरूक और जिम्मेदार नागरिकों से भी अपील की कि वे आगे आएं और कम से कम एक टीबी मरीज को गोद लेकर पोषण संबंधी सहयोग दें। उन्होंने कहा:
“टीबी एक पूरी तरह से इलाज योग्य बीमारी है, बशर्ते मरीज को समय पर इलाज और पर्याप्त पोषण मिले। अगर हम सब मिलकर साथ आएं तो जल्द ही टीबी मुक्त गिरिडीह और झारखंड का सपना साकार किया जा सकता है।”
न्यूज़ देखो: हर मानवीय प्रयास के साथ
टीबी जैसी बीमारी के खिलाफ लड़ाई में केवल दवा नहीं, साथ चाहिए — पोषण, संवेदना और सहयोग का।
स्नेह कश्यप जैसे अधिकारियों की पहल यही दिखाती है कि प्रशासनिक संवेदनशीलता से कैसे जमीनी बदलाव संभव हैं।
न्यूज़ देखो ऐसे हर छोटे-बड़े मानवीय प्रयास की सराहना करता है —
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आप भी बन सकते हैं किसी ज़िंदगी की ताकत
अगर आप सक्षम हैं, तो एक टीबी मरीज को गोद लेकर उसकी ज़िंदगी बदल सकते हैं। यह न केवल एक व्यक्ति की मदद है, बल्कि समाज को स्वस्थ और सशक्त बनाने की दिशा में भी बड़ा योगदान है।