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कुपोषण के खिलाफ डुमरी में साझा पहल एकजुट संस्था ने सेविकाओं को दिया दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण

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#डुमरी #कुपोषणमुक्तसमाज : आंगनवाड़ी सेविकाओं को पोषण, शिशु देखभाल और रोकथाम रणनीतियों का व्यवहारिक प्रशिक्षण
  • डुमरी प्रखंड सभागार में आयोजित हुआ दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम
  • एकजुट संस्था द्वारा आंगनवाड़ी सेविकाओं के लिए आयोजन।
  • दो बैचों में कुल 60 सेविकाएं हुईं प्रशिक्षित।
  • शिशु के पहले 1000 दिन, पोषण संतुलन पर विशेष जोर।
  • कुपोषण रोकथाम, टीकाकरण और ग्रोथ मॉनिटरिंग की जानकारी।

डुमरी प्रखंड में कुपोषण के खिलाफ जमीनी स्तर पर प्रभावी लड़ाई को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल देखने को मिली। डुमरी प्रखंड सभागार में कुपोषण मुक्त समाज के निर्माण के उद्देश्य से आंगनवाड़ी सेविकाओं के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण एकजुट संस्था द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें सेविकाओं को बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और समग्र विकास से जुड़े अहम पहलुओं की व्यवहारिक जानकारी दी गई।

यह कार्यक्रम प्रखंड स्तर पर कुपोषण से निपटने की रणनीति को सशक्त बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि आंगनवाड़ी सेविकाएं ही ग्रामीण स्तर पर माताओं और बच्चों से सीधे जुड़ी होती हैं।

दो बैचों में हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम

प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रभावी और सहभागितापूर्ण बनाने के उद्देश्य से इसे दो अलग-अलग बैचों में आयोजित किया गया।
प्रथम बैच का प्रशिक्षण 9 एवं 13 दिसंबर को आयोजित हुआ, जिसमें सीसी करमटोली, मेराल एवं सीकरी पंचायत की आंगनवाड़ी सेविकाओं ने भाग लिया।
वहीं द्वितीय बैच का प्रशिक्षण 11 एवं 12 दिसंबर को संपन्न हुआ, जिसमें गोविंदपुर एवं जर्दा पंचायत की सेविकाएं शामिल रहीं।

दोनों बैचों को मिलाकर कुल 60 आंगनवाड़ी सेविकाओं को इस प्रशिक्षण के माध्यम से कुपोषण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गईं, ताकि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र में बच्चों और माताओं के स्वास्थ्य पर बेहतर ढंग से काम कर सकें।

पहले दिन शिशु के सुनहरे 1000 दिनों पर फोकस

प्रशिक्षण के प्रथम दिवस में शिशु के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहले 1000 दिनों पर विशेष जोर दिया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि गर्भावस्था से लेकर बच्चे के दो वर्ष की आयु तक का समय शारीरिक और मानसिक विकास के लिए निर्णायक होता है।

इस सत्र में सेविकाओं को बच्चों के आहार में गुणवत्ता, पोषण संतुलन, कुपोषण के प्रकार और उसके दुष्प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। यह भी बताया गया कि समय पर सही पोषण न मिलने से बच्चों में किस तरह की दीर्घकालिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

दूसरे दिन रोकथाम और निगरानी पर विस्तृत जानकारी

प्रशिक्षण के द्वितीय दिवस में कुपोषण की रोकथाम रणनीतियों पर विशेष चर्चा की गई। इस दौरान सेविकाओं को नियमित टीकाकरण, PLA बैठक, बच्चों की वृद्धि की निगरानी, ग्रोथ चार्ट पर ग्राफ प्लॉटिंग और समर अभियान की विस्तृत जानकारी दी गई।

सेविकाओं को यह भी समझाया गया कि किस प्रकार समय-समय पर बच्चों के वजन और लंबाई की निगरानी कर कुपोषण की पहचान प्रारंभिक स्तर पर की जा सकती है, ताकि समय रहते आवश्यक हस्तक्षेप किया जा सके।

गांव-गांव तक ज्ञान पहुंचाने की अपेक्षा

प्रशिक्षण के दौरान यह अपेक्षा व्यक्त की गई कि आंगनवाड़ी सेविकाएं यहां प्राप्त ज्ञान को केवल अपने तक सीमित न रखें, बल्कि इसे अपने-अपने गांवों में माताओं, अभिभावकों और समुदाय तक पहुंचाएं। इससे बच्चों के स्वास्थ्य और समग्र विकास को बढ़ावा मिलेगा और कुपोषण के खिलाफ सामूहिक लड़ाई को मजबूती मिलेगी।

प्रशिक्षण में रहे ये प्रमुख लोग उपस्थित

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कई प्रमुख पदाधिकारी और विशेषज्ञ उपस्थित रहे। इनमें एलएस रेखा कुमारी बरनवाल, पुष्पा देवी, प्रशिक्षक पंकज ठाकुर, एकजुट संस्था के प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक अभिनंदन घोष, फील्ड फैसिलिटेटर शमा बीबी, दीपिका टोप्पो सहित डुमरी प्रखंड की आंगनवाड़ी सेविका दीदियां शामिल रहीं।

सभी वक्ताओं ने एकमत से कहा कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई तभी सफल हो सकती है, जब सेविकाएं पूरी प्रतिबद्धता के साथ अपने कार्यक्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाएं।

न्यूज़ देखो: जमीनी स्तर पर मजबूत होती पोषण की लड़ाई

डुमरी में आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बताता है कि कुपोषण जैसी गंभीर समस्या से निपटने के लिए स्थानीय स्तर पर क्षमता निर्माण कितना जरूरी है। आंगनवाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षित कर एकजुट संस्था ने समुदाय तक बदलाव की नींव मजबूत की है। अब जरूरत है कि इस प्रशिक्षण का असर गांव-गांव तक दिखाई दे। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

स्वस्थ बचपन से मजबूत भविष्य की ओर

बच्चों का स्वस्थ होना ही समाज के उज्ज्वल भविष्य की बुनियाद है। जब सेविकाएं जागरूक होंगी, तभी गांव भी मजबूत होंगे।
आपके क्षेत्र में कुपोषण से लड़ने के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं? अपनी राय साझा करें, इस खबर को आगे बढ़ाएं और जागरूकता की इस मुहिम को और मजबूत बनाएं।

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Aditya Kumar

डुमरी, गुमला

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