
#रांची #भवनध्वस्त : टांगरा टोली में ढह गया सरकारी स्कूल — जर्जर इमारत बनी जानलेवा रात का आसरा
- सुखदेव नगर के पिस्का मोड़ स्थित सरकारी स्कूल भवन गिरने से 1 मौत, 4 घायल।
- रात में सोए हुए थे फेरी वाले, सुबह तेज आवाज के साथ ढही इमारत।
- स्कूल को पहले ही घोषित किया गया था जर्जर, पढ़ाई बंद थी।
- मृतक और घायल मजदूरी कर जीवन यापन करते थे, किसी के पास ठिकाना नहीं था।
- सुखदेव नगर थाना प्रभारी ने दी पुष्टि, घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
सुबह-सुबह हादसे से कांपा इलाका, तेज धमाके के साथ गिरी दीवार
झारखंड की राजधानी रांची के सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पिस्का मोड़ टांगरा टोली में शुक्रवार की सुबह एक पुराने सरकारी स्कूल की जर्जर इमारत का हिस्सा गिर गया। इमारत ढहने के साथ ही पूरे मोहल्ले में धमाके जैसी आवाज गूंज उठी, जिससे लोग घरों से बाहर निकल पड़े। हादसे के वक्त 5 से 6 लोग उस जर्जर भवन के भीतर सोए हुए थे, जिनमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई और चार अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
रात में आश्रय बना जर्जर स्कूल, गरीबों के लिए मौत का फंदा
बताया जा रहा है कि यह सरकारी स्कूल काफी समय से जर्जर हालत में था, और वहां पढ़ाई बंद हो चुकी थी। हालांकि, रात के समय कुछ फेरी वाले और मजदूर वर्ग के लोग इस भवन में शरण लेते थे। गुरुवार रात भी 5–6 लोग वहीं सो रहे थे, तभी सुबह करीब 5 बजे इमारत का एक बड़ा हिस्सा ढह गया।
स्थानीय निवासी ने बताया: “हमने अचानक एक तेज आवाज सुनी, ऐसा लगा जैसे विस्फोट हुआ हो। जब दौड़कर आए तो स्कूल का एक हिस्सा पूरी तरह गिरा हुआ था और कुछ लोग मलबे के नीचे दबे थे।”
पुलिस और स्थानीय लोगों की तत्परता से बची और जानें
हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची सुखदेव नगर थाना पुलिस ने मलबा हटाकर चार लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला और उन्हें तत्काल अस्पताल भेजा गया। इनमें से एक व्यक्ति की हालत गंभीर बताई जा रही है।
सुखदेव नगर थाना प्रभारी मनोज कुमार ने बताया: “यह इमारत पहले ही जर्जर घोषित की जा चुकी थी। वहां पढ़ाई बंद थी, लेकिन कुछ लोग रात में सोने के लिए उसका इस्तेमाल करते थे। एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि चार को इलाज के लिए भेजा गया है।”
वर्षों से खतरनाक था भवन, प्रशासन ने नहीं की घेराबंदी
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल की हालत लंबे समय से बेहद खराब थी। दीवारों में दरारें थीं, छतें झूलने लगी थीं, लेकिन प्रशासन ने कभी इस भवन को पूरी तरह बंद नहीं किया और न ही उचित सुरक्षा के इंतज़ाम किए। यही वजह रही कि मजदूर वर्ग के लोग इसे रात के समय ठहरने की जगह बना चुके थे, जो अब उनके लिए जानलेवा साबित हुआ।
घायलों का इलाज जारी, प्रशासन पर उठ रहे सवाल
चारों घायलों को इलाज के लिए राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) भेजा गया है। प्रशासन की ओर से अब तक कोई मुआवजा या सहायता राशि की घोषणा नहीं की गई है। घटना ने शहरी क्षेत्र में छोड़े गए जर्जर भवनों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
न्यूज़ देखो: लापरवाह सिस्टम की कीमत चुकाता आम आदमी
न्यूज़ देखो यह सवाल उठाता है कि जब भवन जर्जर घोषित किया जा चुका था, तो फिर उसे पूरी तरह से घेर क्यों नहीं दिया गया? अगर प्रशासनिक सतर्कता समय पर दिखाई जाती, तो एक जान नहीं जाती और चार लोग घायल नहीं होते। यह हादसा बताता है कि हमारी नगरीय सुरक्षा प्रणाली कितनी ढुलमुल है, खासकर जब बात गरीब और बेघर लोगों की आती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
समाज की सुरक्षा, हमारी साझी ज़िम्मेदारी
हर नागरिक का जीवन बहुमूल्य और सुरक्षित होना चाहिए। प्रशासन के साथ-साथ हम सबकी जिम्मेदारी है कि जर्जर इमारतों की सूचना समय पर दें और दूसरों को भी ऐसे स्थानों से दूर रहने के लिए जागरूक करें।
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