
#बानो #ग्रामसभा_निर्णय : जराकेल पहान टोली चबूतरा में ग्राम अध्यक्ष जॉर्ज सोरेंग की अध्यक्षता में सामुदायिक संसाधनों की सुरक्षा और राजस्व सृजन पर महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित
- जराकेल गांव में सामुदायिक संपदा व बालू उठाव के संवैधानिक प्रबंधन हेतु वृहद ग्राम सभा आयोजित की गई।
- ग्राम सभा की अध्यक्षता ग्राम अध्यक्ष जॉर्ज सोरेंग ने की।
- सरकार के निर्देशानुसार पंचायत को स्वयं का राजस्व सृजन कर विकास कार्यों को बढ़ावा देने पर सहमति बनी।
- सभी ग्रामीणों ने सामुदायिक संपदा की सुरक्षा के लिए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया।
- बैठक में ग्राम सभा (पेशा) मोबाइलाइजर विकास मघईया, कंपार्ट मुंडा बाईस पढ़ा महाराजा सनिका मुंडा, मुंडा राजा फागू लुगुन, ग्राम सचिव रामचंद्र बड़ाइक, कई वार्ड सदस्य व ग्रामीण उपस्थित रहे।
- उपस्थित लोगों ने पंचायत स्तर पर संसाधनों के संरक्षण और आर्थिक सुदृढ़ीकरण पर महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।
बानो प्रखंड क्षेत्र के कानारोवां पंचायत के अंतर्गत आने वाले जराकेल गांव में शुक्रवार को सामुदायिक संपदा की सुरक्षा और बालू उठाव के संवैधानिक प्रबंधन को लेकर एक महत्वपूर्ण वृहद ग्राम सभा का आयोजन किया गया। यह बैठक जराकेल पहान टोली चबूतरा में आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता ग्राम अध्यक्ष जॉर्ज सोरेंग ने की। पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने और स्वयं का राजस्व विकसित करने के लिए सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप इस ग्राम सभा में विस्तृत चर्चा की गई। उपस्थित ग्रामीणों ने बैठक के सभी बिंदुओं पर सहमति व्यक्त करते हुए प्रस्ताव को पारित कर दिया।
ग्राम सभा का उद्देश्य और सरकारी दिशा-निर्देश
सरकार द्वारा हाल ही में पंचायतों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने स्तर पर राजस्व सृजन के नए साधन विकसित करें, ताकि विकास कार्यों को गति दी जा सके। इसी क्रम में जराकेल गांव में सामुदायिक संसाधनों की सुरक्षा, विशेषकर बालू उठाव, को नियंत्रित और व्यवस्थित करने हेतु यह ग्राम सभा आयोजित की गई।
ग्राम अध्यक्ष जॉर्ज सोरेंग ने ग्रामीणों को बताया कि सामुदायिक संपत्तियों की सुरक्षा केवल कानूनी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक दायित्व भी है। उन्होंने कहा कि यदि पंचायत स्वयं आर्थिक रूप से सुदृढ़ होगी, तो गांव में विकास कार्यों की निरंतरता सुनिश्चित की जा सकेगी।
प्रस्ताव पर सहमति कैसे बनी?
सभी उपस्थित ग्रामीणों ने यह माना कि बाहरी दखल और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए सामुदायिक संपदा पर ग्राम सभा का विशेष नियंत्रण आवश्यक है। चर्चा के पश्चात प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया, जिसमें उल्लेख है कि बालू उठाव सहित सभी सामुदायिक संसाधनों की निगरानी ग्राम सभा के दिशा-निर्देशों के तहत होगी।
ग्राम स्तर पर पारदर्शिता और निर्णयों को सर्वमान्य बनाने के लिए यह प्रस्ताव महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बैठक में उपस्थित प्रतिनिधि और ग्रामीण
बैठक में काफी संख्या में ग्रामीणों की उपस्थिति रही। विशेष रूप से उपस्थित नाम:
- विकास मघईया – ग्राम सभा (पेशा) मोबाइलाइजर
- बाईस पढ़ा महाराजा सनिका मुंडा – कंपार्ट मुंडा
- फागू लुगुन – मुंडा राजा
- रामचंद्र बड़ाइक – ग्राम सभा सचिव
- लोकनाथ सिंह – राशन डीलर
- रूपधर बड़ाइक, महावीर बड़ाइक, लुकास मुंडा, श्रीमोहन साहू, मनोज साहू
- थॉमस लुगुन, प्यारा मुंडा, मन्मोदम लुगुन
- बीएफटी कुलदीप सिंदुरिया, वार्ड सदस्य पूनम समद
- पुष्पा लुगुन, सबिता देवी, सुनीता डुंगडुंग
- अन्य भारी संख्या में ग्रामीण
इन सभी की सहभागिता से बैठक ने सामुदायिक एकजुटता का मजबूत संदेश दिया।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
ग्राम सभा के दौरान कई ग्रामीणों ने सुझाव दिए कि गांव की संपदा पर नियंत्रण ग्राम स्तर पर ही रखा जाना चाहिए, जिससे विकास योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
कुछ ग्रामीणों ने यह भी कहा कि अवैध बालू उठाव से पर्यावरणीय क्षति होती है तथा पंचायत को इसका rajस्व भी नहीं मिलता। इसलिए समुदाय आधारित प्रबंधन एक बेहतर विकल्प होगा।
अगली कार्रवाई क्या होगी?
प्रस्ताव पारित होने के बाद ग्राम सभा इसे पंचायत समिति और प्रखंड कार्यालय को भेजेगी, जिसके बाद आगे की कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया तय होगी।
इसके अलावा, ग्राम स्तर पर एक निगरानी समिति बनाने का भी सुझाव आया, जो सामुदायिक संपदा की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
न्यूज़ देखो: पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मजबूत कदम
जराकेल गांव में हुई यह ग्राम सभा इस बात का उदाहरण है कि जमीन से जुड़े निर्णय तभी प्रभावी होते हैं जब समुदाय स्वयं उन्हें आगे बढ़ाए। पंचायतों का राजस्व सृजन और सामुदायिक संपदा का संरक्षित उपयोग ग्रामीण विकास की मूल कुंजी है। ऐसे निर्णय स्थानीय लोकतंत्र को मजबूत करते हैं और जवाबदेही बढ़ाते हैं।
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सामुदायिक जागरूकता ही विकास की नींव — मिलकर संभालें अपनी संपदा
जराकेल की ग्राम सभा ने दिखाया है कि जब लोग एकजुट होकर सामुदायिक संसाधनों की रक्षा का संकल्प लेते हैं, तो विकास की राह आसान हो जाती है।
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