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बैरिया दामर में खलिहान में लगी भीषण आग से लाखों की क्षति, ट्रैक्टर-थ्रेसर और धान जलकर राख

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#डंडई #अग्निकांड : बैरिया दामर में धान की थ्रेशिंग के दौरान खलिहान में लगी आग—दो किसानों का लाखों का नुकसान, प्रशासन मौन।
  • बैरिया दामर (डंडई) में थ्रेशिंग के दौरान खलिहान में भीषण आग लग गई।
  • नसीम अंसारी का ट्रैक्टर और थ्रेसर मशीन जलकर पूरी तरह नष्ट।
  • गुलजार अंसारी की तैयार धान की फसल राख में तब्दील।
  • सभी लोग बाल-बाल बचे, नहीं हुई कोई जनहानि।
  • प्रशासन, पुलिस और अग्निशमन विभाग घटना से पूरी तरह बेखबर

डंडई प्रखंड के बैरिया दामर गाँव में बुधवार को धान की थ्रेशिंग के दौरान आग लगने की घटना ने दो किसानों की मेहनत और पूंजी को चंद मिनटों में खाक कर दिया। खलिहान में अचानक उठी आग इतनी तेज थी कि किसानों के पास सिर्फ भागने का मौका बचा, जबकि मशीनें और फसल देखते ही देखते जलकर नष्ट हो गए। ग्रामीणों के अनुसार, सूचना देने के बावजूद कोई भी प्रशासनिक सहायता मौके पर नहीं पहुंची, जिससे किसानों का नुकसान और भी भारी महसूस हो रहा है।

अचानक कैसे भड़की आग, किसानों ने कैसे बचाई जान

घटना के समय किसान गुलजार अंसारी के खलिहान में नसीम अंसारी के ट्रैक्टर और थ्रेसर मशीन से धान की थ्रेशिंग की जा रही थी। इसी दौरान मशीन में अत्यधिक गर्मी या चिंगारी उठी, जिसने तुरंत आसपास रखे धान के ढेर को अपनी चपेट में ले लिया।
आग की लपटें इतनी तेज़ी से फैलीं कि वहां मौजूद नसीम अंसारी, गुलजार अंसारी और उनके परिजन तुरंत जान बचाकर बाहर भागे। ग्रामीणों के अनुसार, यदि एक पल भी देर होती, तो बड़ी जनहानि हो सकती थी। सौभाग्य से सभी लोग सुरक्षित निकल आए, लेकिन उनकी साल भर की मेहनत कुछ ही मिनटों में राख में बदल गई।

ट्रैक्टर-थ्रेसर और धान की फसल—सब कुछ जला

इस अग्निकांड में नसीम अंसारी का ट्रैक्टर और थ्रेसर मशीन पूरी तरह जलकर कबाड़ में बदल गए। दूसरी ओर, गुलजार अंसारी की कई क्विंटल धान की तैयार फसल भी आग की तेज़ लपटों से बच नहीं सकी।
कुल मिलाकर, दोनों किसानों का लाखों रुपये का नुकसान हुआ है, जिसने उनकी आर्थिक स्थिति को गहरा झटका दिया है। यह नुकसान सिर्फ सामानों का नहीं, बल्कि पूरे वर्ष की कड़ी मेहनत और उम्मीदों का भी है।

प्रशासन पूरी तरह गायब, ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ा

घटना के बाद ग्रामीणों ने जब पुलिस, अग्निशमन विभाग और स्थानीय प्रशासन की ओर सहायता की उम्मीद की, तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
ना तो कोई अधिकारी मौके पर पहुंचा, ना ही किसी तरह की त्वरित कार्रवाई की गई। आग बुझाने की कोशिश ग्रामीणों ने खुद ही की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। इस लापरवाही से ग्रामीणों में आक्रोश है और वे इसे प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम बता रहे हैं।

ग्रामीणों ने मांगा मुआवजा, कहा—किसानों को अकेला छोड़ना अन्याय

स्थानीय ग्रामीणों ने कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति पहले ही कमजोर है, और ऐसे हादसों के बाद सरकारी सहायता बेहद आवश्यक है।
लोगों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि दोनों प्रभावित किसानों नसीम अंसारी और गुलजार अंसारी को तत्काल मुआवजा और राहत राशि दी जाए, ताकि वे अपने परिवार और खेती का खर्च चला सकें।

न्यूज़ देखो: अग्निकांड ने प्रशासनिक लापरवाही की सच्चाई उजागर की

बैरिया दामर की यह आगजनी सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन की तत्परता और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल उठाती है। लाखों का नुकसान और किसानों के जीवन की जोखिम के बावजूद सरकारी तंत्र का न पहुंचना चिंताजनक है।
कृषि आधारित गांवों में सुरक्षा, उपकरणों की निगरानी और त्वरित राहत तंत्र को मजबूत करना अब अनिवार्य हो गया है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

किसानों की सुरक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी

खेत-खलिहान में आग की घटनाएँ सिर्फ संपत्ति नहीं, बल्कि मेहनतकश परिवारों के सपने जला देती हैं। ऐसे हादसों से बचाव के लिए जागरूकता, मशीनों की नियमित जांच और प्रशासन की तत्परता बेहद जरूरी है।
गांवों में जोखिम कम हों, इसके लिए सभी नागरिकों को सतर्क रहकर छोटी-छोटी सावधानियों का पालन करना चाहिए।
आपकी सक्रियता ही किसानों की ताकत है—अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और जागरूकता फैलाने में योगदान दें।

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Shashi Bhushan Mehta

डंडई, गढ़वा

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