
#लातेहार #बिरसा_रथयात्रा : आदिवासी अस्मिता और सांस्कृतिक गौरव के प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा रथ यात्रा का जिले में भव्य अभिनंदन
- 18 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा रथ यात्रा के लातेहार आगमन पर हजारों लोगों की उपस्थिति।
- जनजातीय समाज ने ढोल–मांदर, नगाड़ा, मदरिया पर पारंपरिक नृत्य से स्वागत किया।
- “बिरसा मुंडा अमर रहे”, “धरती आबा जिंदाबाद” के नारों से शहर गुंजा।
- यात्रा ने नगर के प्रमुख मार्गों का भ्रमण किया, जगह-जगह फूलमालाओं से स्वागत हुआ।
- कार्यक्रम में निलेश गिरिराज कटारे, रमेश उरांव, डब्लू भगत, कमलेश उरांव, बीरेंद्र प्रसाद सहित कई पदाधिकारी और छात्र नेता मौजूद।।
लातेहार में भगवान बिरसा मुंडा की रथ यात्रा का आगमन एक ऐतिहासिक पल बन गया, जब हजारों लोग आदिवासी गौरव और सांस्कृतिक धरोहर को नमन करने हेतु सड़क पर उतर आए। यात्रा के स्वागत में जनजातीय समाज, युवक–युवतियाँ, छात्र–छात्राएं और सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में जुड़े। पूरे जिले का वातावरण लोकनृत्य, पारंपरिक वाद्यों और जयकारों से अनोखी ऊर्जा से भर उठा। यात्रा के नगर भ्रमण के दौरान लोगों की भागीदारी लगातार बढ़ती गई और माहौल उत्साहपूर्ण बना रहा।
भगवान बिरसा मुंडा रथ यात्रा का लातेहार में प्रवेश और उत्सवी माहौल
जैसे ही रथ यात्रा लातेहार की सीमाओं में पहुंची, स्थानीय जनसमुदाय का उत्साह देखने लायक था। गांव और पंचायतों से आए लोग सुबह से ही सड़कों पर कतारबद्ध खड़े थे। रथ के प्रवेश करते ही ढोल–मांदर, नगाड़ा और मदरिया की गूंज हवा में फैल गई। युवाओं ने पारंपरिक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं, जिससे पूरा शहर सांस्कृतिक रंग में डूब गया।
लोगों ने भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीरों, झंडों और फूलों के साथ यात्रा का स्वागत किया। दुकानदारों और संगठनों द्वारा जगह–जगह स्वागत मंच बनाए गए, जहां से रथ पर फूलवृष्टि की गई।
जयघोषों और सांस्कृतिक धुनों से गूंजा शहर
“भगवान बिरसा मुंडा अमर रहे”, “धरती आबा ज़िंदाबाद”, “आदिवासी अस्मिता की जय”—ऐसे जोशीले नारे पूरे मार्ग पर सुनाई दिए। महिलाओं, युवाओं और बच्चों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया।
जनजातीय समाज के पारंपरिक नृत्य दलों ने अपने समूह में यात्रा का हिस्सा बनकर सांस्कृतिक एकजुटता का सशक्त संदेश दिया।
जनभागीदारी ने दिया ऐतिहासिक स्वरूप
सामाजिक संगठनों, स्कूलों, छात्र समूहों और ग्रामीण समुदाय की भारी भीड़ ने रथ यात्रा को ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान किया। कई स्थानों पर स्थानीय बुजुर्गों ने भी रथ की अगवानी की और आदिवासी परंपराओं का सम्मान करते हुए यात्रा को आशीर्वाद दिया।
लोगों ने कहा कि यह आयोजन भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष, स्वाभिमान और आदिवासी पहचान को याद करने का दुर्लभ अवसर है।
प्रमुख पदाधिकारियों और नेताओं की उपस्थिति
इस भव्य आयोजन में कई महत्वपूर्ण पदाधिकारी शामिल रहे। इनमें प्रमुख रूप से प्रांत संगठन मंत्री निलेश गिरिराज कटारे, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रमेश उरांव, जनजाति छात्र कार्य प्रमुख डब्लू भगत, युवा छात्र नेता कमलेश उरांव, बीरेंद्र प्रसाद, राजमनिष कुमार, इंद्रदेव भगत, जगा उरांव, जितेंद्र उरांव, इंद्रदेव उरांव, चंचल उरांव, अर्चना उरांव, मनिषा, प्रियंका, सुमिला सहित बड़ी संख्या में छात्र–छात्राएं मौजूद रहीं।
नगर भ्रमण और भावपूर्ण विदाई
रथ यात्रा ने लातेहार नगर के मुख्य मार्गों पर भ्रमण किया। रास्ते में लोगों ने जयघोष और फूलमालाओं से स्वागत किया। कई स्थानों पर नागरिकों ने सामूहिक नृत्य–गीत द्वारा यात्रा का अभिनंदन किया।
नगर भ्रमण के बाद रथ को लोगों ने भावपूर्ण माहौल में विदाई दी। सहभागी नागरिकों ने इसे जिले के इतिहास का एक अविस्मरणीय अध्याय बताया।
न्यूज़ देखो: जनजातीय गौरव और सामाजिक एकता का प्रतीक आयोजन
लातेहार में आयोजित भगवान बिरसा मुंडा रथ यात्रा ने पूरे समाज को एकजुटता, सांस्कृतिक विरासत और सामुदायिक सम्मान का महत्वपूर्ण संदेश दिया। यह आयोजन दर्शाता है कि आदिवासी समाज अपनी परंपराओं, संघर्षों और पहचान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में गंभीरता से जुटा है। ऐसे कार्यक्रम न सिर्फ सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाते हैं, बल्कि समाज को इतिहास और मूल्यों से जोड़ते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
हमारी विरासत, हमारी पहचान—साथ मिलकर आगे बढ़ें
भगवान बिरसा मुंडा की रथ यात्रा ने हमें यह याद दिलाया कि समाज तब मजबूत बनता है, जब उसकी जड़ें अपनी सांस्कृतिक परंपराओं से गहराई से जुड़ी हों। आज जरूरत है कि हम सब इस विरासत को संजोने, सम्मान देने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभाएं।
आइए, एक जिम्मेदार नागरिक बनकर अपनी संस्कृति, समाज और पहचान की रक्षा का संकल्प लें। अपनी राय कॉमेंट करें, इस खबर को साझा करें और अधिक लोगों तक यह प्रेरक संदेश पहुंचाएं ताकि सामाजिक एकता और जागरूकता का विस्तार हो सके।





