Palamau

समता मूलक समाज से ही मजबूत होगा राष्ट्र: आंबेडकर पार्क में परिनिर्वाण दिवस पर विचारों की गूंज

Join News देखो WhatsApp Channel
परिनिर्वाण_दिवस : आंबेडकर पार्क में बाबा साहेब की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि के साथ सामाजिक समता और न्याय पर गहन चर्चा।
  • डॉ. बी.आर. आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर आंबेडकर पार्क में लोगों ने आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
  • जिले भर से पहुंचे बौद्धिक वर्ग ने समता, न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों पर अपने विचार रखे।
  • वक्ताओं ने कहा कि आंबेडकर के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक, जितने उनके समय में थे।
  • समाज में मौजूद वर्ण व्यवस्था, छुआछूत और ऊंच–नीच जैसी कुरीतियों पर गंभीर चर्चा हुई।
  • लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए समान अवसर और सामाजिक न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
  • लोगों ने कहा कि समता मूलक समाज ही एक शक्तिशाली राष्ट्र की नींव रख सकता है।

आंबेडकर पार्क में सोमवार को संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिले के विभिन्न हिस्सों से आए बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिकों ने उनकी आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उन्हें नमन किया। कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने भारत की सामाजिक संरचना, विविधता और आंबेडकर द्वारा समता एवं न्याय के लिए किए गए संघर्ष पर विस्तार से चर्चा की। सभी ने माना कि आज भी भारत में सामाजिक न्याय और समान अवसर के लिए संघर्ष जारी है, और ऐसे समय में आंबेडकर के विचारों का पुनर्पाठ और भी जरूरी हो जाता है।

श्रद्धांजलि सभा में उमड़ा जनसैलाब

कार्यक्रम की शुरुआत सुबह आंबेडकर पार्क में बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई। जिले के कई प्रमुख स्थानों से आए बौद्धिक वर्ग, सामाजिक प्रतिनिधि, शिक्षाविद और युवाओं ने परिनिर्वाण दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि देश की सामाजिक संरचना जितनी विविध है, उतनी ही चुनौतियों से भरी भी है, और इन चुनौतियों का समाधान आंबेडकर के सिद्धांतों में निहित है।

आंबेडकर के विचार आज भी प्रासंगिक

वक्ता ने अपने संबोधन में कहा कि यदि भारत के बुद्धिजीवी समाज विविधता और सामाजिक बनावट को दुर्भावना से ऊपर उठकर निस्वार्थ, लोकतांत्रिक तरीके से समझें, तो यह स्पष्ट दिखाई देगा कि डॉ. आंबेडकर द्वारा कही गई हर बात आज भी उतनी ही प्रासंगिक है
उन्होंने बताया कि यह देश हजारों वर्षों से विविध सामाजिक संरचनाओं से गुजरता आया है, जिसमें राजा–महाराजा, जमींदारी व्यवस्था, छुआछूत, ऊंच–नीच और नस्लीय भेदभाव जैसी समस्याएँ लगातार बनी रहीं। आज भी अनेक स्थानों पर सामाजिक असमानता दिखाई देती है।

सामाजिक विसंगतियों पर खुलकर हुई चर्चा

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने बताया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के बावजूद आज भी सामाजिक न्याय और समता सुनिश्चित करने की चुनौती से जूझ रहा है।
विभिन्न सामाजिक कुरीतियों का उल्लेख करते हुए कहा गया कि:

  • व्यक्ति–व्यक्ति के बीच भेदभाव आज भी दिखाई देता है।
  • कई समुदाय अब भी सम्मान और अवसरों की लड़ाई लड़ रहे हैं।
  • 21वीं सदी में भी लोगों को अधिकारों के लिए आंदोलन करना पड़ता है।

वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि यही असमानता थी जिसने बाबा साहेब को गहराई से प्रभावित किया और उन्होंने अपने अनुभवों को शब्द देकर भारतीय संविधान में सामाजिक न्याय की मजबूत नींव रखी।

संविधान: समानता की मार्गदर्शिका

आंबेडकर पार्क में मौजूद लोगों ने यह भी रेखांकित किया कि भारतीय संविधान सिर्फ कानून का दस्तावेज नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति का आधार है।
आंबेडकर ने अपने संघर्ष और विचारधारा के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि स्वतंत्र भारत:

  • समता पर आधारित हो,
  • नागरिकों के अधिकार सुरक्षित हों,
  • और किसी व्यक्ति को जाति, धर्म, वर्ण, लिंग के आधार पर भेदभाव का सामना न करना पड़े।

वक्ता ने कहा कि जब हम बाबा साहेब को पढ़ते हैं, तो समझ आता है कि उन्होंने जिन बातों को लिखा और जिन संघर्षों का वर्णन किया, वे आज भी समाज में देखे जा सकते हैं।

जन–जागरूकता पर विशेष बल

कार्यक्रम में मौजूद युवाओं, छात्रों और सामाजिक संगठनों ने यह संकल्प लिया कि वे समता और न्याय की दिशा में समाज को जागरूक करेंगे। कई शिक्षाविदों ने कहा कि डॉ. आंबेडकर की विचारधारा को स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संस्थाओं में सही रूप से पढ़ाए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जब तक समाज स्वयं जागरूक नहीं होगा, तब तक समरसता और समानता का लक्ष्य अधूरा रहेगा।

लोगों की प्रतिक्रिया

प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने पहुंचे आम नागरिकों ने कहा कि बाबा साहेब ने भारत को आधुनिक सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दिया। कई युवाओं ने कहा कि उनके विचार उन्हें समानता और आत्मसम्मान की राह दिखाते हैं।
कई सामाजिक संगठनों ने कार्यक्रम के दौरान यह भी जोर दिया कि समाज को जातीय विभाजन छोड़कर मानवता और लोकतांत्रिक मूल्यों को अपनाना चाहिए।

प्रशासन एवं स्थानीय संगठनों का सहयोग

इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में स्थानीय सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों और प्रशासन का सक्रिय सहयोग रहा। कार्यक्रम स्थल पर व्यवस्था, सुरक्षा और प्रबंधन को लेकर स्वयंसेवकों ने विशेष भूमिका निभाई।

न्यूज़ देखो: समता और न्याय की पुकार

इस आयोजन से स्पष्ट होता है कि डॉ. आंबेडकर के विचार सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि आज की सामाजिक जरूरत हैं
कार्यक्रम में उठी आवाजें हमें याद दिलाती हैं कि सामाजिक न्याय केवल कानून से नहीं, बल्कि समाज की सक्रिय भागीदारी से स्थापित होता है।
विविधता से भरे भारत में समान अवसर और सम्मान सुनिश्चित करना समय की मांग है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

समरस समाज का सपना तभी पूरा होगा

समाज तब सशक्त बनता है जब हर व्यक्ति को बराबरी का अधिकार मिले, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, वर्ग या क्षेत्र से आता हो।
बाबा साहेब के विचार हमें बताते हैं कि राष्ट्र की शक्ति उसके नागरिकों की प्रतिष्ठा और अधिकारों में बसती है।
सामाजिक एकता और समानता सिर्फ आदर्श नहीं, बल्कि व्यवहार में उतारी जाने वाली जिम्मेदारी है।
आइए, हम सब मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें जिसमें भेदभाव नहीं, बल्कि सम्मान हो।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

20251209_155512
1000264265
IMG-20251017-WA0018
IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20250925-WA0154
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250610-WA0011
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Samim Ansari

उंटारी रोड, पलामू

Related News

ये खबर आपको कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें

Back to top button
error: