
#गढ़वा #वन्यजीव_दुर्घटना : चिनिया प्रखंड के डोल पंचायत में 11 हजार वोल्ट तार गिरने से गर्भवती हथिनी की मौत से क्षेत्र में शोक और आक्रोश।
- चपकली गांव में जंगल किनारे करंट लगने से गर्भवती हथिनी मृत।
- 11,000 वोल्ट लाइन पोल से टकराने पर हथिनी के ऊपर गिरी।
- हथिनी का अजन्मा बच्चा भी मौत का शिकार हुआ।
- ग्रामीणों ने वन विभाग को तत्काल सूचना दी।
- घटना से पूरा इलाका स्तब्ध, वन्यजीव प्रेमियों में रोष।
गढ़वा जिले के चिनिया प्रखंड के डोल पंचायत अंतर्गत चपकली गांव में रविवार सुबह एक अत्यंत दर्दनाक घटना हुई, जब जंगल क्षेत्र में एक गर्भवती हथिनी की 11 हजार वोल्ट की हाई-टेंशन लाइन गिरने से मौके पर ही मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हथिनी बिजली के पोल से अपना शरीर खुजला रही थी तभी अचानक ऊपर की लाइन उसके ऊपर गिर गई। करंट लगते ही हथिनी और उसके गर्भ में पल रहे अजन्मे बच्चे दोनों की मौत हो गई। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई और ग्रामीण बड़ी संख्या में मौके पर जमा हो गए। वन विभाग को सूचना दी गई, जिसके बाद टीम घटना स्थल पर पहुँची और स्थिति का आकलन किया।
कैसे हुई दर्दनाक घटना
सुबह ग्रामीणों ने जंगल किनारे हथिनी को जमीन पर गिरे हुए देखा। जांच में सामने आया कि हथिनी बिजली के पोल से टकराई थी। उसी दौरान ऊपर से गुजर रही 11,000 वोल्ट लाइन टूटकर उस पर गिर गई।
करंट का प्रहार इतना तेज था कि हथिनी को बचने का मौका भी नहीं मिला। प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीणों ने बताया कि बिजली गिरते ही हथिनी ने एक तेज चीख निकाली और वहीं खत्म हो गई। उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की भी उसी क्षण मौत हो गई।
स्थानीय लोगों में आक्रोश और स्तब्धता
घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों की भीड़ घटनास्थल पर उमड़ पड़ी। लोगों ने वन विभाग तथा विद्युत विभाग को तत्काल कार्रवाई की मांग की। कई ग्रामीणों ने कहा कि इस क्षेत्र में वर्षों से हाई-टेंशन लाइनें मरम्मत के अभाव में जोखिम बनी हुई हैं, जिससे ऐसी घटनाएँ लगातार होती रही हैं।
गर्भवती हथिनी की मौत ने न सिर्फ ग्रामीणों, बल्कि वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोगों को भी झकझोर दिया है। यह क्षेत्र में हाथियों की आवाजाही का प्रमुख मार्ग माना जाता है, ऐसे में बिजली व्यवस्था की लापरवाही और भी गंभीर प्रश्न खड़ा करती है।
वन विभाग की टीम ने संभाला मोर्चा
घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुँची। टीम ने हथिनी के शव का निरीक्षण किया और पूरे क्षेत्र को सुरक्षित करने की कार्रवाई शुरू की। विभाग आगे की कानूनी प्रक्रिया, पोस्टमार्टम और रिपोर्ट तैयार करने में जुटा है।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए विद्युत विभाग के साथ तालमेल बनाकर जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान की जा रही है। भविष्य में किसी भी जानवर की अनहोनी रोकने के लिए त्वरित उपाय की आवश्यकता है।
वन्यजीव विशेषज्ञों की चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि हाथियों के प्राकृतिक गलियारे सुरक्षित न होने, बिजली लाइनों के खुले रहने और मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ने से ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं। गर्भवती हथिनी की मौत से हाथियों के झुंड पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि क्षेत्र में पहले भी कई दुर्घटनाएँ दर्ज की जा चुकी हैं।
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यह घटना सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि वन्यजीव सुरक्षा और बिजली प्रबंधन की गंभीर खामियों का संकेत है। हाई-टेंशन लाइनें जंगलों और हाथियों के प्राकृतिक मार्गों में बिना सुरक्षा व्यवस्था के चल रही हैं, जिससे जानवरों की जान खतरे में है। विभागों के बीच समन्वय और त्वरित सुधार जरूरी है, वरना ऐसी त्रासदियाँ बार-बार दोहराई जाएँगी।
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वन्यजीव संरक्षण हमारा सामूहिक दायित्व
एक गर्भवती हथिनी की मौत हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि प्रकृति और वन्यजीवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ विभागों की नहीं, बल्कि हम सभी की है। जंगल और जीव हमारी पारिस्थितिकी की धुरी हैं और उनका संरक्षण सीधा हमारे भविष्य से जुड़ा है। आइए जिम्मेदारी निभाएं, जागरूकता बढ़ाएं और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन पर सुधारात्मक कदम उठाने का दबाव बनाएं।
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