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मनातू स्वास्थ्य केंद्र में नर्सों की लापरवाही से प्रसविता की मौत: परिजनों ने की एफआईआर की मांग

#पलामू #स्वास्थ्य_विभाग : मनातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की अनुपस्थिति में नर्सों द्वारा प्रसव कराए जाने से महिला की मौत, परिजनों में आक्रोश

पलामू जिले के मनातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई लापरवाही ने एक परिवार की खुशियों को मातम में बदल दिया। जसपुर गांव की चंपा देवी को प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था, लेकिन डॉक्टर की अनुपस्थिति में नर्सों ने प्रसव कराया और कथित तौर पर छोटा ऑपरेशन कर दिया। इसके बाद चंपा देवी की स्थिति बिगड़ गई और रक्तस्राव बढ़ता गया। परिजनों ने बार-बार रेफर करने की गुहार लगाई लेकिन उन्हें धक्का देकर बाहर कर दिया गया। अंततः देर से रेफर किए जाने पर महिला की रास्ते में ही मौत हो गई, जबकि नवजात शिशु स्वस्थ है।

लापरवाही का आरोप और परिजनों का गुस्सा

परिजनों का कहना है कि नर्स सुनिला कुमारी और डिंपल कुमारी ने बिना डॉक्टर की मौजूदगी के प्रसव कराया और गंभीर स्थिति में भी समय पर रेफर नहीं किया। उनकी इस लापरवाही से चंपा देवी की जान चली गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में प्रसव के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है। नर्सों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए परिजनों ने 22 सितंबर को मनातू थाना में लिखित आवेदन दिया है, लेकिन अब तक मामला दर्ज नहीं हुआ है।

लंबे समय से एक ही जगह पर जमी नर्सें

स्थानीय लोगों का आरोप है कि दोनों नर्स पिछले 15 वर्षों से मनातू स्वास्थ्य केंद्र में जमी हुई हैं और वहीं रहकर अपने पति के साथ निजी क्लीनिक भी चलाती हैं। यह गंभीर सवाल उठाता है कि स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था में इतनी बड़ी अनियमितता कैसे हो सकती है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और सवाल

झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के पांकी विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी ओंकारनाथ जायसवाल ने इस घटना को लेकर स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी। उन्होंने कहा कि सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे करे, लेकिन धरातल पर हालत बदतर है।

ओंकारनाथ जायसवाल ने कहा: “एक ही जगह पर 15 सालों से नर्स का जमे रहना, भ्रष्टाचार और लापरवाही की कहानी कहता है। इस पर तत्काल जांच और कार्रवाई होनी चाहिए।”

प्रशासनिक प्रतिक्रिया

इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं मनातू थाना प्रभारी निर्मल उरांव ने बताया कि आवेदन मिलने के बाद जांच टीम गठित की गई है और रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी।

डॉक्टर विहीन स्वास्थ्य केंद्र

मनातू स्वास्थ्य केंद्र की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां डॉक्टर की पोस्टिंग नहीं है। पूरा अस्पताल नर्सों के भरोसे चल रहा है, जिससे प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को गंभीर जोखिम उठाना पड़ता है। यह घटना उसी लापरवाही और व्यवस्था की खामियों का नतीजा है।

न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल

मनातू स्वास्थ्य केंद्र की यह घटना झारखंड की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई उजागर करती है। जब अस्पताल डॉक्टर विहीन हो और नर्सें मनमानी करें तो गरीब मरीजों की जिंदगी खतरे में पड़ना तय है। यह केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की नाकामी है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार दोषियों पर कार्रवाई कर स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधार पाएगी या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब बदलाव जरूरी है

यह घटना हमें याद दिलाती है कि स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सेवा पर कोई समझौता नहीं हो सकता। ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की नियुक्ति, नर्सों की जवाबदेही और अस्पतालों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना समय की मांग है। अब जरूरत है कि समाज और प्रशासन दोनों जागरूक होकर मिलकर सुधार की पहल करें।
आपकी राय अहम है। कृपया इस खबर को शेयर करें, अपनी प्रतिक्रिया कमेंट करें और बदलाव की इस मुहिम का हिस्सा बनें।

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