Garhwa

टीबी मरीज के लिए SDO संजय कुमार की संवेदनशील पहल से जागरूकता और उम्मीद की किरण

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#गढ़वा #स्वास्थ्य : एसडीओ संजय पाण्डेय ने आर्थिक रूप से कमजोर टीबी पीड़ित को फूड बास्केट सौंपकर दी जीवनदायिनी सहायता
  • गढ़वा के एसडीओ संजय पाण्डेय ने टीबी पीड़ित को फूड बास्केट सौंपा।
  • बास्केट में चावल, दाल, आटा, तेल, मसाले, दूध पाउडर, अंडा सहित पोषक आहार।
  • मरीज आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण पोषण की कमी से जूझ रहा था।
  • पहल निक्षय मित्र योजना के तहत टीबी उन्मूलन और जागरूकता बढ़ाने की दिशा में।
  • स्थानीय लोगों ने इस कदम को संवेदनशील और प्रेरणादायक बताया।

गढ़वा में अनुमंडल पदाधिकारी संजय पाण्डेय ने सोमवार को एक आर्थिक रूप से कमजोर टीबी मरीज को फूड बास्केट सौंपा। मरीज लंबे समय से उपचाररत था, लेकिन पोषण की कमी के कारण स्वास्थ्य लाभ में कठिनाई हो रही थी। यह पहल न केवल मरीज के लिए राहत लेकर आई, बल्कि टीबी उन्मूलन के लिए समाज में सकारात्मक संदेश भी भेजा।

बीमारी से लड़ाई में पोषण का महत्व

सूत्रों के अनुसार, यह मरीज बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति से है। उचित पोषण के अभाव में स्वास्थ्य लाभ की गति धीमी थी। एसडीओ संजय पाण्डेय को जब यह जानकारी मिली, तो उन्होंने खुद पहल करते हुए मरीज के पास पहुंचकर चावल, दाल, आटा, तेल, मसाले, दूध पाउडर, अंडा और अन्य जरूरी खाद्य सामग्री से भरा फूड बास्केट सौंपा।

सरकारी योजनाओं का लाभ

एसडीओ पाण्डेय ने मौके पर कहा कि टीबी एक गंभीर लेकिन पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है, बशर्ते समय पर इलाज और सही पोषण मिले। उन्होंने बताया कि राज्य और केंद्र सरकार टीबी उन्मूलन के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, जिनमें निक्षय मित्र योजना भी शामिल है, जिसके तहत मरीजों को निःशुल्क पोषण सामग्री दी जाती है।

एसडीओ संजय पाण्डेय ने कहा: “मैं सभी सक्षम नागरिकों से अपील करता हूं कि वे भी आगे आएं और किसी जरूरतमंद मरीज की मदद करें, ताकि कोई भी आर्थिक तंगी के कारण उपचार और पोषण से वंचित न रहे।”

समाज में सकारात्मक संदेश

स्थानीय ग्रामीणों ने एसडीओ के इस कदम की खुलकर सराहना की। उनका कहना है कि इस प्रकार की पहल मरीजों को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक संबल भी देती है। ग्रामीणों को विश्वास है कि प्रशासन और समाज के संयुक्त प्रयास से गढ़वा जल्द ही टीबी मुक्त जिला बन सकता है।

न्यूज़ देखो: संवेदनशील प्रशासन और जागरूक समाज की मिसाल

गढ़वा में यह घटना प्रशासनिक जिम्मेदारी और मानवीय संवेदनाओं के मेल का सुंदर उदाहरण है। जब प्रशासन के अधिकारी खुद आगे बढ़कर मदद करते हैं, तो जनता का भरोसा और मजबूत होता है। इस तरह की पहलें समाज को प्रेरित करती हैं कि बीमारी और विपरीत परिस्थितियों में भी कोई अकेला न रहे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बीमारी से लड़ाई में एकजुट समाज का महत्व

टीबी जैसी बीमारियों से निपटने में केवल सरकारी योजनाएं ही नहीं, बल्कि समाज की सक्रिय भागीदारी भी जरूरी है। अब समय है कि हम सभी अपने आस-पास जरूरतमंद लोगों की पहचान करें और उनकी मदद में आगे आएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों और परिचितों के साथ साझा करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस नेक कार्य में शामिल हो सकें।

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