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मेदिनीनगर में बच्चों की सुरक्षा पर विशेष पहल—वरदान चैरिटेबल ट्रस्ट ने शुरू किया ‘गुड टच–बैड टच’ जागरूकता अभियान

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#मेदिनीनगर #बच्चोंकीसुरक्षा : स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को सुरक्षित स्पर्श की जानकारी दी गई—विशेषज्ञों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव
  • वरदान चैरिटेबल ट्रस्ट ने मेदिनीनगर में शुरू किया गुड टच–बैड टच अवेयरनेस अभियान
  • संस्था की सचिव शर्मिला वर्मा ने बच्चों की सुरक्षा को बताया प्राथमिक जिम्मेदारी।
  • शिक्षाविद रामाकांत पांडे, डॉ. अमितू सिंह, एडवोकेट वंदना सहित कई विशेषज्ञों ने दिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन।
  • कार्यक्रम के बाद डॉ. अमितू सिंह ने क्लास 5–10 के बच्चों का नि:शुल्क दंत जांच शिविर लगाया।
  • ग्रीन वैली स्कूल के डायरेक्टर प्रदीप नारायण और प्राचार्या सोनी पंडित ने कार्यक्रम की सराहना की।

मेदिनीनगर, पलामू। बच्चों की सुरक्षा आज समाज की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन चुकी है। बीते वर्षों में बाल अपराध और यौन शोषण के मामलों में वृद्धि ने अभिभावकों, शिक्षकों और सामाजिक संगठनों को चिंतित किया है। इसी कड़ी में मेदिनीनगर की सामाजिक संस्था वरदान चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित सुरक्षित स्पर्श (गुड टच) और असुरक्षित स्पर्श (बैड टच) जागरूकता अभियान स्कूली बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।
अभियान के तहत बच्चों को सरल भाषा में यह बताया गया कि कौन-सा स्पर्श सुरक्षित है और कौन-सा स्पर्श असुरक्षित, तथा ऐसी स्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए, किससे बात करनी चाहिए और कैसे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी है।

बच्चों की सुरक्षा हमारी पहली जिम्मेदारी—शर्मिला वर्मा

इस जागरूकता कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहीं ट्रस्ट की सचिव शर्मिला वर्मा ने कहा कि

“शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है, इसलिए इस जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई है।”
उन्होंने कहा कि यदि बच्चों को समय रहते सही जानकारी मिले तो वे कठिन परिस्थितियों से स्वयं को बचाने में सक्षम होते हैं।

विशेषज्ञों ने बताया—क्यों जरूरी है ‘गुड टच–बैड टच’ की जानकारी

कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षाविद रामाकांत पांडे ने जोर देते हुए कहा कि ऐसे अभियान सभी स्कूलों में होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होने पर ही उनका मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास संभव है।

इसी क्रम में डॉ. अमितू सिंह ने बच्चों के बीच स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि

“बचपन से ही बच्चों को गुड टच–बैड टच की जानकारी देना जरूरी है। कई बार बच्चे अपने घर में भी असुरक्षित होते हैं। इसलिए माता-पिता और अभिभावकों की जिम्मेदारी सबसे अधिक है।”

एडवोकेट वंदना ने कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि

“बच्चों के प्रति यौन अपराध पर कानून बेहद सख्त है। बच्चों को चाहिए कि वे बिना संकोच अपने अभिभावकों, शिक्षकों या किसी भरोसेमंद व्यक्ति को अपनी परेशानी बताएं और कानून पर भरोसा रखें।”

कार्यक्रम में मिला व्यापक समर्थन

अभियान में शामिल प्रीति राज ने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चों के प्रति अपराध थम नहीं रहे, इसलिए यह जागरूकता कार्यक्रम हर स्कूल में चलना अत्यंत आवश्यक है।

संस्था से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता मन्नत सिंह बग्गा ने कहा कि ऐसे आयोजन सभी स्कूलों में होना चाहिए ताकि बच्चे शिक्षा के साथ साथ स्वास्थ्य और सुरक्षा के गुर भी सीख सकें

बच्चों के लिए नि:शुल्क दंत जांच शिविर

जागरूकता कार्यक्रम के बाद दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. अमितू सिंह ने क्लास 5 से 10 तक के छात्रों का नि:शुल्क दंत परीक्षण किया।
उन्होंने बच्चों को दांतों की साफ-सफाई, खानपान और मौखिक स्वच्छता से जुड़ी महत्वपूर्ण सलाहें दीं, ताकि छात्र स्वस्थ रहकर अपनी पढ़ाई पर बेहतर ध्यान दे सकें।

स्कूल प्रशासन ने जताया आभार

ग्रीन वैली स्कूल के डायरेक्टर प्रदीप नारायण ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
प्राचार्या सोनी पंडित ने इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए वरदान चैरिटेबल ट्रस्ट की टीम और डॉ. अमितू सिंह का आभार व्यक्त किया।

संस्था की सदस्य खुश्बू शर्मा ने कहा कि
स्कूलों में नियमित रूप से ऐसे जागरूकता शिविर आयोजित होने चाहिए ताकि बच्चे बचपन से ही अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें।

इस कार्यक्रम में स्कूल के शिक्षक सत्यजीत पासवान, सुनील ठाकुर, संजय कुमार सहित कई शिक्षिकाएं मौजूद रहीं।

न्यूज़ देखो: बच्चों की सुरक्षा—सामूहिक प्रयास की अनिवार्यता

मेदिनीनगर में आयोजित यह अभियान इस बात का उदाहरण है कि बच्चों की सुरक्षा केवल अभिभावकों की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है।
यदि स्कूल, परिवार और सामाजिक संगठन मिलकर काम करें, तो बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों में निश्चित रूप से कमी लाई जा सकती है।
ऐसे कार्यक्रम शिक्षण संस्थानों में नियमित रूप से लागू किए जाने चाहिए, ताकि बच्चे जागरूक, आत्मविश्वासी और सुरक्षित बनें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बच्चों की सुरक्षा पर जागरूक बनें—बचपन सुरक्षित तो भविष्य सुरक्षित

बच्चों को सुरक्षा की जानकारी देना उतना ही जरूरी है जितना उन्हें पढ़ाना—उनके हर सवाल का धैर्य से जवाब दें।
उन्हें स्पर्श की पहचान, खुद की सुरक्षा और विश्वासपात्र व्यक्तियों तक पहुंचने के तरीकों के बारे में समझाएं।
अपने आसपास के स्कूलों और समाज में भी ऐसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करें।
आप बच्चों की सुरक्षा से जुड़े इस अभियान पर क्या सोचते हैं? अपनी राय कमेंट करें और खबर दूसरों तक जरूर पहुंचाएं।

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