
#गुमला #भगवानबिरसामुंडा_पुण्यतिथि : आदिवासी अस्मिता के प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा को दी गई श्रद्धांजलि — उपायुक्त ने उनके योगदान को बताया प्रेरणा का स्रोत
- बिरसा मुंडा पार्क, गुमला में आयोजित हुआ श्रद्धांजलि कार्यक्रम
- उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित सहित कई वरिष्ठ अधिकारी हुए शामिल
- भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अर्पित की श्रद्धांजलि
- आदिवासी समाज के सम्मान और अधिकारों की लड़ाई को किया याद
- सभी अधिकारियों ने उनके जीवन से प्रेरणा लेने का किया आह्वान
बिरसा मुंडा पार्क में आयोजित हुआ श्रद्धांजलि कार्यक्रम
गुमला जिला प्रशासन द्वारा भगवान बिरसा मुंडा जी की पुण्यतिथि के अवसर पर आज प्रातः 11:00 बजे बिरसा मुंडा पार्क, गुमला में एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उपायुक्त श्रीमती प्रेरणा दीक्षित सहित जिले के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
आदिवासी चेतना के प्रतीक को दी गई श्रद्धांजलि
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों ने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उनके संघर्षशील जीवन और आदिवासी समाज के उत्थान के लिए किए गए योगदान को याद किया गया।
उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित ने कहा: “भगवान बिरसा मुंडा केवल एक महापुरुष ही नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता के प्रतीक हैं। उनकी लड़ाई आत्मसम्मान, गरिमा और पहचान के लिए थी। गुमला जिला प्रशासन आदिवासी समाज के स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र विकास के लिए निरंतर कार्य करता रहेगा।”
अधिकारी वर्ग ने लिया प्रेरणा लेने का संकल्प
कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्ता, आईटीडीए परियोजना निदेशक, एसडीओ (सदर), डीएसपी, डीसीएलआर, जिला नजारत उप समाहर्ता सहित अन्य संबंधित पदाधिकारी मौजूद रहे। सभी ने भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान और संघर्ष को नमन करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।

न्यूज़ देखो: जननायक को याद करने का दिन
भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि सिर्फ एक तिथि नहीं, आदिवासी इतिहास और संघर्ष की चेतना का दिन है। गुमला प्रशासन द्वारा इस अवसर पर किया गया कार्यक्रम यह दर्शाता है कि आज भी भगवान बिरसा मुंडा के विचार जीवंत हैं और समाज को दिशा दे रहे हैं। इस आयोजन ने साबित किया कि प्रशासनिक व्यवस्था भी समाज की जड़ों को नमन करना जानती है।
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प्रेरणा लें, जागरूक बनें
भगवान बिरसा मुंडा का जीवन हमें सिखाता है कि अधिकारों के लिए संघर्ष ही असली पहचान बनाता है। आइए, हम भी उनके आदर्शों से प्रेरणा लें और समाज के वंचित वर्गों के सशक्तिकरण में अपनी भागीदारी निभाएं। इस खबर पर अपनी राय कमेंट करें, और इसे अपने दोस्तों व परिजनों तक साझा करें।