#दुमका #महिलाकृषिसशक्तिकरण : JSLPS और आत्मा (ATMA) के सहयोग से सिंगल विंडो प्रणाली के तहत महिला किसानों को मिला उन्नत मक्का बीज — खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत खरीफ मौसम में उत्पादन बढ़ाने का प्रयास
- JSLPS और ATMA के संयुक्त प्रयास से हुआ बीज वितरण कार्यक्रम
- 21 महिला किसानों को 100 किलोग्राम मक्का बीज का वितरण
- चांदनी महिला मंडल और माँ काली समूह की महिलाओं को मिला लाभ
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के तहत संचालित की गई पहल
- खरीफ फसल के लिए महिला किसानों को सशक्त बनाने की पहल
सशक्त हो रही हैं महिला किसान: काठीकुंड में बीज वितरण कार्यक्रम
दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के अंतर्गत JSLPS और आत्मा (ATMA) के संयुक्त सहयोग से एक बीज वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सिंगल विंडो प्रणाली के माध्यम से किया गया, जिसमें खरीफ फसल के लिए महिला किसानों को उन्नत मक्का बीज उपलब्ध कराया गया।
महिला समूहों को मिला सीधा लाभ
बीज वितरण कार्यक्रम के तहत चांदनी महिला मंडल और माँ काली स्वयं सहायता समूह की 21 महिला सदस्यों के बीच 100 किलोग्राम उन्नत मक्का बीज वितरित किया गया। इस पहल का उद्देश्य महिलाओं को तकनीकी रूप से सशक्त करना, उनके द्वारा उत्पादित फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को बढ़ाना और उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है।
JSLPS के जिला परियोजना पदाधिकारी ने बताया: “यह पहल महिला किसानों को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण आजीविका को मज़बूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
तकनीकी मार्गदर्शन और समन्वय
इस कार्यक्रम में आत्मा के तकनीकी पदाधिकारी, JSLPS के फील्ड कर्मी, और कृषि विभाग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने बीज चयन, मिट्टी की तैयारी, जल प्रबंधन, और उन्नत तकनीकों के उपयोग पर महिलाओं को विस्तार से जानकारी दी। इसके अलावा महिलाओं को बीज भंडारण और सही समय पर बुवाई से जुड़ी सलाह भी दी गई।
भविष्य की योजना: महिला किसानों के लिए व्यापक सहयोग
JSLPS और आत्मा द्वारा यह आश्वासन भी दिया गया कि बीज वितरण के बाद निरंतर फील्ड विजिट, तकनीकी प्रशिक्षण, और मंडी से जोड़ने जैसे लिंक सपोर्ट भी महिला किसानों को दिए जाएंगे, ताकि वे बाजार तक बेहतर पहुंच बना सकें और अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें।
न्यूज़ देखो: महिला किसानों के नाम एक नई उम्मीद
दुमका में चल रही यह योजना साबित करती है कि महिला किसान सिर्फ खेतों की कार्यकर्ता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन सकती हैं। ऐसी पहलें सरकारी योजनाओं को जमीनी हकीकत से जोड़ने का सशक्त उदाहरण बनती हैं।
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अब महिला किसान भी बदलेंगी खेती की दिशा
अगर आप किसी महिला किसान को जानते हैं, तो यह खबर उनके साथ जरूर साझा करें। ऐसी योजनाओं की जानकारी और जुड़ाव ही ग्रामीण सशक्तिकरण की नींव है। सशक्त महिलाएं, सशक्त गांव और सशक्त झारखंड की ओर बढ़ता कदम।