
#गिरिडीह #धार्मिक_समारोह : श्री महावीर कुटिया मंदिर में रानी सती दादी जी के दो दिवसीय महोत्सव में श्रद्धालुओं ने मेंहदी और भजन के माध्यम से भक्ति रस का अनुभव किया
- श्री महावीर कुटिया मंदिर परिसर में भादो अमावस्या महोत्सव का दो दिवसीय आयोजन।
- कार्यक्रम की शुरुआत में मेंहदी उत्सव हुआ, जिसमें श्रद्धालु महिलाओं ने दादी जी को पारंपरिक मेंहदी अर्पित की।
- रात्रि में दादी जी का ज्योत प्रज्वलन, श्रृंगार और सवामणी भोग संपन्न हुआ।
- भजन गायिका सुरभि दाधीच ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबोया।
- आयोजन का संचालन श्री रानी सती दादी परिवार ट्रस्ट ने किया, अध्यक्ष जीवन राम अग्रवाल, सचिव राकेश मोदी, कोषाध्यक्ष रोहित जालान सहित कई सदस्य उपस्थित थे।
- बड़ी संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय समुदाय के लोग कार्यक्रम में शामिल हुए।
गिरिडीह शहरी क्षेत्र में स्थित श्री महावीर कुटिया मंदिर में भादो अमावस्या के अवसर पर दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के रंग में हुआ। इस आयोजन की शुरुआत मेंहदी उत्सव से हुई, जिसमें महिलाएं पारंपरिक रूप से दादी जी को मेंहदी अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपस्थित हुईं। रात्रि में मंदिर परिसर में दादी जी का ज्योत प्रज्वलन, श्रृंगार और सवामणी भोग संपन्न हुआ।
भक्ति और संगीत का सम्मिलन
भक्तिमय वातावरण में भजन गायिका सुरभि दाधीच ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं को पूरी रात भक्ति रस में डुबो दिया। उनके भजनों ने महोत्सव में उपस्थित लोगों को आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक अनुभव से भर दिया।
सुरभि दाधीच ने कहा: “रानी सती दादी जी की भक्ति में हर श्रद्धालु का मन भावपूर्ण आनंद से भर जाता है।”
आयोजन का संचालन और प्रमुख उपस्थित लोग
कार्यक्रम का सफल संचालन श्री रानी सती दादी परिवार ट्रस्ट ने किया। इस अवसर पर अध्यक्ष जीवन राम अग्रवाल, सचिव राकेश मोदी, कोषाध्यक्ष रोहित जालान सहित बदामी झुनझुनवाला, मुकेश जालान, मिट्ठू खंडेलवाल, सतीश केडिया, पप्पू झुनझुनवाला, मोनू जालान, मोहन जालान, अमित बाछुका, अरुण जालान, सोनू पोद्दार, पंकज जालान जैसे सदस्य मौजूद थे। बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु भी इस आयोजन में शामिल हुए, जिन्होंने महोत्सव को भक्ति और उत्साह से सम्पन्न किया।
न्यूज़ देखो: गिरिडीह में भक्ति और सांस्कृतिक उत्सव का संगम
इस महोत्सव ने दिखाया कि धार्मिक आयोजनों के माध्यम से स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखा जा सकता है। स्थानीय समुदाय का सक्रिय सहभागिता और श्रद्धा से भरा वातावरण यह दर्शाता है कि ऐसे आयोजन समाज में एकता और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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श्रद्धा और संस्कृति को साथ लेकर चलें
स्थानीय धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में सहभागिता से समाज में भाईचारा और आध्यात्मिक चेतना बढ़ती है। अपनी राय कमेंट में साझा करें, इस महोत्सव की झलक अपने मित्रों तक पहुंचाएं और सांस्कृतिक जागरूकता फैलाएं।