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मानव सेवा का अनोखा उदाहरण: ठंड बढ़ते ही बरवाडीह में बुजुर्गों तक पहुंची मदद, पूर्व पत्रकार व पुलिस जवान दामोदर रजक ने बांटे कंबल

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#बरवाडीह #सामाजिक_सेवा : कुटमू के भुईयां टोला में पूर्व पत्रकार सह झारखंड पुलिस जवान दामोदर रजक ने बुजुर्ग और जरूरतमंदों के घर जाकर कंबल वितरण किया।
  • कंबल वितरण बरवाडीह प्रखंड के बेतला पंचायत के कुटमू गांव में।
  • पूर्व पत्रकार और झारखंड पुलिस के जवान दामोदर प्रसाद रजक ने किया वितरण।
  • बेगनी मसोमात, महेश्वर मिस्त्री, मालती मसोमात, सरयु बैठा, किशुन सिंह, चरकु सिंह, भाको मसोमात समेत कई लाभान्वित।
  • ठंड के कारण घर से उठने-बैठने में असमर्थ बुजुर्गों तक स्वयं पहुंचकर कंबल सौंपे।
  • दामोदर रजक ने कहा—गरीब और असहाय की मदद करना सबसे बड़ा मानव धर्म

बरवाडीह प्रखंड के बेतला पंचायत अंतर्गत कुटमू गांव में भीषण ठंड के बीच सामाजिक संवेदनशीलता की मिसाल देखने को मिली। झारखंड पुलिस के जवान और पूर्व पत्रकार दामोदर प्रसाद रजक ने शनिवार को कुटमू भुईयां टोला के गरीब एवं असहाय बुजुर्गों के बीच कंबल वितरण कर मानवीय सेवा का संदेश दिया। कई बुजुर्ग ऐसे थे जो ठंड के कारण चलने-फिरने में भी असमर्थ थे, उनके घर जाकर कंबल सौंपे गए ताकि वे ठंड से सुरक्षित रह सकें।

जरूरतमंद बुजुर्गों तक सम्मानपूर्वक पहुंची मदद

दामोदर रजक ने जिन बुजुर्गों और परिवारों को कंबल दिए, उनमें बेगनी मसोमात, महेश्वर मिस्त्री, मालती मसोमात, सरयु बैठा, किशुन सिंह, चरकु सिंह, भाको मसोमात के नाम प्रमुख हैं। क्षेत्र के अन्य जरूरतमंद परिवारों को भी कंबल दिए गए।
वे हर व्यक्ति के घर पहुंचे, परिस्थिति को समझा और सम्मानपूर्वक कंबल सौंपे।

दामोदर प्रसाद रजक ने कहा: “गरीब और असहाय की मदद करना पुण्य का सबसे बड़ा कार्य है। मानव सेवा से आत्मा को शांति मिलती है।”

समाज सेवा में लगातार सक्रिय रहते हैं दामोदर रजक

स्थानीय लोगों ने बताया कि दामोदर रजक जब भी गांव आते हैं, किसी न किसी रूप में सेवा कार्य जरूर करते हैं।
कभी बच्चों को कापी-कलम, कभी पर्व-त्योहार पर कपड़े और मिठाई, तो कभी बुजुर्गों के लिए कंबल वितरण—वे लगातार समाज सेवा में लगे रहते हैं।
उनका मानना है कि सक्षम लोगों को समाज के कमजोर वर्गों को सहयोग करना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति अभाव में जीवन न बिताए।

दामोदर रजक ने अपील की: “हर गांव में कई लोग सहायता के इंतजार में हैं। समाज के सक्षम लोग आगे आएं और किसी जरूरतमंद का हाथ थामें।”

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया: “यह सिर्फ कंबल नहीं, सुरक्षा और सम्मान है”

गांव के बुजुर्गों ने दामोदर रजक को दिल से आशीर्वाद दिया। उनका कहना था कि कंबल केवल एक वस्तु नहीं, बल्कि ठंड के मौसम में सुरक्षा और सम्मान का अहसास है।
ग्रामीण इस पहल को अत्यधिक प्रेरणादायक मान रहे हैं और चाहते हैं कि ऐसे सामाजिक कार्य अन्य लोग भी आगे बढ़कर करें।

न्यूज़ देखो: समाज सेवा की मिसाल पेश करता एक छोटा गांव

कुटमू गांव की यह पहल बताती है कि संवेदनशीलता और मानवता किसी भी संसाधन से बड़ी होती है। दामोदर रजक जैसे लोग दिखाते हैं कि व्यक्तिगत स्तर पर भी समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। प्रशासन और स्थानीय समाज को भी ऐसे प्रयासों को पहचानते हुए सहयोग बढ़ाने की ज़रूरत है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं

सर्दी की मार झेल रहे लोगों के लिए मदद का हर कदम जीवन बदल सकता है। यह पहल हमें याद दिलाती है कि समाज की ताकत उसकी संवेदनशीलता में बसती है। जब हम बुजुर्गों, बच्चों या असहाय लोगों का हाथ थामते हैं, तो हम सिर्फ सहायता नहीं देते—हम उम्मीद भी बांटते हैं।
आप भी अपने क्षेत्र में जरूरतमंदों की मदद करें, कुछ छोटा करें लेकिन दिल से करें।
अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं, खबर को शेयर करें और इसे उन लोगों तक पहुंचाएं जो इस पहल को आगे बढ़ा सकते हैं।

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