Palamau

नागपंचमी पर उमड़ा आस्था का सैलाब, बकस बाबा मंदिर में लगा भक्तों का तांता

Join News देखो WhatsApp Channel
#Palamu #NagPanchami : श्रावण मास में नाग देवता की पूजा से गूंजे मंदिर—सर्पदोष निवारण के लिए श्रद्धालुओं की भीड़
  • पलामू में नागपंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया।
  • बकस बाबा मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा।
  • वाराणसी के कलाकारों ने आकर्षक झांकियां प्रस्तुत कीं।
  • भक्तों ने दूध, लावा और हल्दी से नाग देवता की पूजा की।
  • पूजा से कालसर्प दोष की शांति होने का है महत्व।

श्रावण मास की पंचमी पर पूरे झारखंड में धार्मिक उत्साह चरम पर दिखा। पलामू के बकस बाबा मंदिर में मंगलवार सुबह से भक्तों का तांता लगा रहा। दूध और हल्दी से नाग देवता की पूजा हुई, जबकि वाराणसी से आए कलाकारों की झांकियों ने आकर्षण बढ़ाया।

श्रावण मास की पंचमी पर आस्था का रंग

पलामू जिले में मंगलवार को नागपंचमी पर्व पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया। मंदिरों और नाग देवता के स्थानों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी, हर कोई सर्प दोष से मुक्ति और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना में लीन रहा।

बकस बाबा मंदिर में विशेष पूजा, निकलीं झांकियां

पांडू प्रखंड के कजरूखुर्द स्थित प्रसिद्ध बकस बाबा मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। मंदिर प्रबंधन ने विशेष पूजा-अर्चना की व्यवस्था की। इस अवसर पर वाराणसी से आए कलाकारों ने भव्य झांकियां प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं को आकर्षित किया

मेला समिति अध्यक्ष बीरबहादुर सिंह ने कहा: “भक्तों की सुविधा के लिए सभी व्यवस्थाएं की गई थीं, जिससे लोग निर्बाध रूप से पूजा कर सकें।”

पूजन सामग्री और धार्मिक मान्यता

भक्तों ने दूध, लावा, दूर्वा, हल्दी-कुंकुम और फूलों से नाग देवता की पूजा कीपंडितों के अनुसार, नागपंचमी पर पूजा करने से कालसर्प दोष शांत होता है और जीवन के संकट दूर होते हैं

पंडितों का मत है: “नागपंचमी का व्रत करने से गृह कलह समाप्त होती है और समृद्धि आती है।”

जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति से बढ़ा उत्साह

इस अवसर पर सांसद प्रतिनिधि कृष्ण विजय सिंह, विधायक प्रतिनिधि मुन्ना सिंह, मेला समिति के पदाधिकारी बीरबहादुर सिंह, लव विश्वकर्मा, सुरेंद्र सिंह, चंदन गुप्ता सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे

न्यूज़ देखो: संस्कृति की जीवंत झलक

नागपंचमी जैसे पर्व भारतीय संस्कृति की गहराई और सामुदायिक एकजुटता का प्रतीक हैं। ऐसे आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि सामाजिक मेल-जोल और सांस्कृतिक पहचान को भी जीवित रखते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

परंपराओं से जुड़े, समाज को सजग रखें

आपकी राय में ऐसे त्योहार समाज को जोड़ने में कितने जरूरी हैं? अपने विचार कमेंट में बताएं, इस खबर को शेयर करें, और परंपराओं को आगे बढ़ाने में सहयोग करें

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250723-WA0070
IMG-20250925-WA0154
IMG-20250610-WA0011
1000264265
20250923_002035
Radhika Netralay Garhwa
IMG-20250604-WA0023 (1)
Engineer & Doctor Academy
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें

Related News

Back to top button
error: